CIC, IC Appointment: मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त की नियुक्ति का रास्ता साफ: हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को किया खारिज, नियुक्ति पर लगी रोक हटाई
CIC, IC Appointment: बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने मुख्य सूचना आयुक्त व आयुक्त की नियुक्ति के लिए तय किए गए मापदंड को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। याचिका खारिज करने के साथ ही नियुक्ति पर लगी रोक को हटा दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने मुख्य सूचना आयुक्त व आयुक्त की नियुक्ति के लिए तय किए गए मापदंड को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। याचिका खारिज करने के साथ ही नियुक्ति पर लगी रोक को हटा दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
अनिल तिवारी सहित अन्य ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर कर चुनौती दी थी। राज्य शासन द्वारा सूचना आयुक्त के लिए 25 साल का अनुभव की अनिवार्यता को चुनौती दी थी। एक अन्य याचिकाकर्ता ने कहा कि पेशे से एक वकील हैं और उन्हें कानून के क्षेत्र में 23 वर्षों का अनुभव है और उन्होंने समिति द्वारा 09 मई 2025 के निर्णय को रद्द करने की प्रार्थना की है जिसके द्वारा मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया गया था। एक अन्य याचिकाकर्ता ने कहा कि वह पेशे से एक वकील हैं और उनके पास पीएचडी है और उनके पास 21 वर्ष का अनुभव है।
कानून के क्षेत्र में अनुभव है और राज्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी पर विचार करने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश जारी करने के लिए प्रार्थना की है, उन्होंने खोज समिति द्वारा शुरू की गई नियुक्ति के लिए साक्षात्कार की आगे की कार्यवाही को रद्द करने के लिए प्रार्थना की है।
25 सितंबर 2022 को राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त के 01 पद की नियुक्ति के लिए विज्ञापन राज्य सरकार द्वारा वापस ले लिया गया था। इसके बाद, 07 फरवरी 2024 को राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त के 01 पद पर नियुक्ति के लिए नया विज्ञापन जारी किया गया था। सामान्य प्रशासन विभाग ने राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए 04 मार्च 2025 को एक और विज्ञापन जारी किया था। उक्त पद सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दायरे में आता है और उक्त पद के लिए निर्धारित योग्यता आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 15 के तहत प्रदान की गई है, जो मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री की समिति की सिफारिश पर राज्यपाल द्वारा नियुक्ति को अनिवार्य बनाती है। 04-फरवरी 2025 के विज्ञापन के अनुसार, राज्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता - सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के नियम 15 (5) एवं 15 (6) के अनुसार आवेदक विधि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, समाजसेवा, प्रबंध, पत्रकारिता, जनसंपर्क माध्यम या प्रशासन और शासन में व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाला प्रख्यात व्यक्ति होना चाहिए।
आवेदक यथास्थिति, संसद का सदस्य या किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के विधान-मंडल का सदस्य नहीं होगा या कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा या किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं रखेगा या कोई कारोबार नहीं करेगा या कोई वृत्ति नहीं करेगा। यह स्पष्ट किया जाता है कि राज्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति के पूर्व संबंधित व्यक्ति को लाभ का पद, कोई कारोबार या व्यापार छोड़ना बंद करना होगा। विज्ञापन के खंड 6 में प्रावधान है कि 65 वर्ष की आयु पूरी कर चुके उम्मीदवार नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 19 मार्च 2025 अधिसूचित की गई थी।
पात्रता मानदंड निर्धारित करने, उम्मीदवारी की जांच करने और अनुशंसा भेजने संबंध में राज्य शासन ने सर्च कमेटी का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव गृह हैं। सर्च कमेटी ने 05 मार्च 2025 के निर्णय द्वारा निर्णय लिया है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। साक्षात्कार के लिए निर्धारित तिथियों और स्थान के अनुसार उपयुक्त उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार 26 मार्च 2025 को आयोजित किया जाना था। कुल 209 आवेदन पत्र 155 आवेदनकर्ताओं से प्राप्त हुए। 155 आवेदनकर्ताओं में से 114 आवेदनकर्ताओं द्वारा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया है।
सर्च समिति ने सभी आवेदनों की प्रारंभिक स्क्रूटनी किया। आवेदनों की संख्या अधिक होने के कारण समिति द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि, आवेदक के आवेदन-पत्र और संलग्न दस्तावेजों में उल्लेखित अनुसार जो विधि, विज्ञान और प्रोद्योगिकी, समाजसेवा, प्रबंध, पत्रकारिता, जनसंपर्क या प्रशासन और शासन में अनुभव 30 वर्ष या उससे अधिक हो, साथ ही आयु 65 वर्ष से कम हो, केवल उन्हीं आवेदनकर्ताओं को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जाए। लिहाजा 33 उम्मीदवारों को न्यू सर्किट में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया।
29 मई को हाई कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया पर लगा दी थी रोक
याचिकाकर्ता ने 20 मई 2025 को नियमों व मापदंडों को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई 29 मई 2025 को हुई। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक अंतिम चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने से रोक दिया है। अंतरिम आदेश के मद्देनजर, राज्य शासन ने कार्यवाही स्थगित रखी।
याचिकाकर्ताओं ने 25 वर्ष के अनुभव को दी थी चुनौती
याचिकाकर्ताओं ने राज्य शासन द्वारा एक नई पात्रता आवश्यकता (25+ वर्ष का अनुभव) लागू करने को मनमान और नियम विरुद्ध बताया। चयन प्रक्रिया शुरू होने और आवेदन आमंत्रित करने के बाद, नई पात्रता मानदंड लागू करना कानूनन अनुचित है और पूरी चयन प्रक्रिया को दूषित करता है, क्योंकि यह चयन प्रक्रिया के बीच में ही खेल को बदलने के समान है। इस तर्क की पुष्टि के लिए वे तेज प्रकाश पाठक बनाम राजस्थान उच्च न्यायालय (2025) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया।
आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 15(5) और 15(6) न्यूनतम वर्षों के अनुभव की कोई शर्त निर्धारित नहीं करती है, और राज्य शासन बिना किसी वैधानिक आधार के ऐसी कोई शर्त नहीं जोड़ सकते। सभी उम्मीदवारों को बदले हुए मानदंडों के बारे में सूचित करने के लिए कोई शुद्धिपत्र या नया विज्ञापन जारी नहीं किया गया, जिससे चयन प्रक्रिया में मूलभूत रूप से खामियां हैं। इसलिए, वे पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द करने या साक्षात्कार में भाग लेने की अनुमति मांगी।
शॉर्टलिस्टिंग की प्रक्रिया सभी उम्मीदवारों को ज्ञात नहीं है। उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग के मानदंडों को सार्वजनिक करे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शॉर्टलिस्टिंग वस्तुनिष्ठ और तर्कसंगत मानदंडों के आधार पर की जाए।
राज्य सरकार ने अपने जवाब में ये कहा
छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 4 स्वीकृत पद है। मुख्य सूचना आयुक्त का एक (1) और सूचना आयुक्तों (आईसी) के तीन (3)। उक्त 4 पदों में से सूचना आयुक्तों के दो पद 20 मार्च 2024 को भरे गए थे। आईसी के पद को भरने के लिए, जो मई 2025 में खाली हो जाता, 04 मार्च .2025 को आवेदन आमंत्रित करते हुए एक विज्ञापन जारी किया गया था। सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों और समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों के अनुसार, मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पद पर चयन चयन समिति द्वारा किया जाता है। यह चयन समिति द्वारा किया जाता है। समिति की रिपोर्ट की एक प्रति छत्तीसगढ़ राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की गई थी। मानदंडों के प्रकाशन के इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं हो सकता है, जो कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप है, जो इस तथ्य से स्पष्ट होगा कि इसे तत्काल याचिका में संलग्न किया गया है। आरटीआई अधिनियम का उद्देश्य नागरिकों के लिए सूचना के अधिकार की व्यावहारिक व्यवस्था निर्धारित करना है ताकि वे सार्वजनिक प्राधिकारियों के नियंत्रण में सूचना तक पहुंच सुनिश्चित कर सकें।
विज्ञापन और धारा 2(1) के अनुसार आवश्यक योग्यता निर्धारित करने वाली शर्त के अवलोकन से यह स्पष्ट होगा कि निर्धारित मानदंड आरटीआई अधिनियम में निर्धारित क्षेत्रों का व्यापक ज्ञान, साथ ही क्षेत्र में अनुभव और प्रतिष्ठा है। इस प्रकार, विज्ञापन में पहले से ही मानदंड उपलब्ध हैं और सर्च कमेटी द्वारा आवेदनों को सूचीबद्ध करने के लिए विचार किए गए मानदंड उक्त मानदंडों के अनुरूप हैं, इसलिए इसे मनमाना या अवैध नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा, ऐसे मानदंडों को निर्धारित करने में सर्च कमेटी के अधिकार को कोई चुनौती नहीं होने के कारण, इसके संबंध में कोई विवाद नहीं चलेगा।
जस्टिस एनके व्यास ने अपने फैसले में ये लिखा
रिट याचिकाओं में किए गए कथन से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क नहीं दिया है कि शॉर्टलिस्टिंग में सर्च कमेटी द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया दुर्भावना या मनमानी से ग्रस्त है या इसका तर्कसंगत या वस्तुनिष्ठ रूप से पालन नहीं किया गया है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग करते समय सर्च कमेटी द्वारा कोई अवैधता की गई है।
याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाया गया एकमात्र तर्क यह है कि सर्च कमेटी ने उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग करने से पहले शॉर्टलिस्टिंग के फैसले को प्रकाशित नहीं किया है, ऐसे में अंजलि भारद्वाज के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा किया गया यह निवेदन गलत है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देश नहीं दिया है कि इसे पहले प्रकाशित किया जाना चाहिए, वास्तव में शॉर्टलिस्टिंग के लिए एकमात्र शर्त यह है कि इसका तर्कसंगत और वस्तुनिष्ठ रूप से पालन किया जाना चाहिए, जिसका राज्य शासन के विभिन्न विभागों द्वारा सावधानीपूर्वक पालन किया गया है। वैसे भी, याचिकाकर्ताओं ने कहीं भी यह तर्क नहीं दिया है कि शॉर्टलिस्टिंग की विधि का प्रकाशन न करने के कारण उनके प्रति कोई पूर्वाग्रह उत्पन्न हुआ है, जो कि इस न्यायालय के लिए सर्च कमेटी द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का सर्वोपरि विचार है।
उपरोक्त विवेचना और मामले के कानून एवं तथ्यों पर विचार करने से यह स्पष्ट है कि राज्य शासन के विभागों ने अभ्यर्थियों की शॉर्टलिस्टिंग में कोई भी ऐसी अवैधता नहीं की है जिससे उनके द्वारा शुरू की गई संपूर्ण चयन प्रक्रिया दूषित हो। परिणामस्वरूप, सभी रिट याचिकाएं खारिज किए जाने योग्य हैं और तदनुसार, उन्हें खारिज किया जाता है। इस न्यायालय द्वारा 29 मई 2025 को पारित अंतरिम आदेश निरस्त किया जाता है।
