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Chhattisgarhi Bhasha : अब अ से होगा "अमली" और आ से "आमा", चौकिये मत... यहाँ पढ़िए

Chhattisgarhi will be studied in Chhattisgarh : इस नए पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ की लोककथाएं जैसे लोरिक चंदा, ढोला मारु और देवारों की कथाएं शामिल की जा सकती हैं। इसके अलावा राज्य के प्रमुख त्योहारों जैसे पोला, हरेली और छेरछेरा के बारे में भी कहानियों और कविताओं के माध्यम से जानकारी दी जाएगी।

Chhattisgarhi Bhasha : अब अ से होगा अमली और आ से आमा, चौकिये मत... यहाँ पढ़िए
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By Meenu Tiwari

Chhattisgarhi will be studied in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में अब बच्चे अ से अमली और आ से आमा पढेंगे. जी हां चौकिये मत. दरअसल सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए एक विषय के रूप में छत्तीसगढ़ी को शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य न सिर्फ बच्चों को उनकी मातृभाषा से जोड़ना है, बल्कि उन्हें छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोककला, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान से भी परिचित कराना है।


इस नए पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ की लोककथाएं जैसे लोरिक चंदा, ढोला मारु और देवारों की कथाएं शामिल की जा सकती हैं। इसके अलावा राज्य के प्रमुख त्योहारों जैसे पोला, हरेली और छेरछेरा के बारे में भी कहानियों और कविताओं के माध्यम से जानकारी दी जाएगी। पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल, शिल्प, और संगीत के वाद्य यंत्रों को भी शामिल किया जाएगा। बताया जा रहा है की यह पाठ्यक्रम कब से शुरू होगा इसकी फ़िलहाल कोई निश्चित जानकारी नहीं है पर सरकार इस दिशा में काम कर रही है.

यह पहल राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) द्वारा की जा रही है, जो इस नए पाठ्यक्रम को तैयार करने का जिम्मा संभालेगी। इस पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए परिषद छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों, लोक कलाकारों, गीतकारों, शिल्पकारों, संगीतकारों, नर्तकों और कहानीकारों से सहयोग लेगी।


छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई शुरू होने से बच्चे न केवल अपनी भाषा को लेकर गर्व महसूस करेंगे, बल्कि लोक गीतों, कहानियों और नाटकों के माध्यम से वे अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी करीब से जान पाएंगे। यह बच्चों में छत्तीसगढ़ की पहचान और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करेगा।



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