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Chhattisgarh Vidhan Sabha winter Session 2025: बिना काम ठेकेदार को पेमेंट करने पर धरमलाल कौशिक ने डिप्टी सीएम अरुण साव पर किए तीखे प्रहार

Chhattisgarh Vidhan Sabha winter Session 2025: केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना में से एक जल जीवन मिशन के कामकाज में भ्रष्टाचार, लेटलतीफी और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मिल रहे काम को लेकर विधायक धरमलाल कौशिक ने जल संसाधन मंत्री व डिप्टी सीएम अरुण साव को सदन में जमकर घेरा।

Chhattisgarh Vidhan Sabha winter Session 2025: बिना काम ठेकेदार को पेमेंट करने पर धरमलाल कौशिक ने डिप्टी सीएम अरुण साव पर किए तीखे प्रहार
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By Radhakishan Sharma

Chhattisgarh Vidhan Sabha winter Session 2025: रायपुर। केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना में से एक जल जीवन मिशन के कामकाज में भ्रष्टाचार, लेटलतीफी और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मिल रहे काम को लेकर विधायक धरमलाल कौशिक ने जल संसाधन मंत्री व डिप्टी सीएम अरुण साव को सदन में जमकर घेरा। बिना काम ठेकेदारों को कर रहे भुगतान का मुद्दा सदन में गूंजते रहा। विधायक ने मंत्री से पूछा कि आपने ठेकेदार को काम पूरा हुए भुगतान कर दिया है। अफसर अब ठेकेदार के पीछे घूम रहे हैं। काम तो पूरा होने वाला नहीं है। ऐसे ठेकेदारों और इनको भुगतान करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे क्या। विधायक के सवाल का मंत्री को जवाब देते नहीं बना। पूरे मंत्री सदन में घिरे रहे।

विधायक धरमलाल कौशिक ने बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के गांवों में जल जीवन मिशन के अधूरे कामकाज को लेकर सवाल पूछा। विधायक ने पूछा कि 25 नवंबर 2025 की स्थिति में जल जीवन मिशन के तहत कराये जा रहे ग्रामवार कुल कितने कार्य के लक्ष्य के विरूद्ध कितने पूर्ण, अपूर्ण व अप्रारंभ कार्य हैं तथा अपूर्ण, अप्रारंभ कार्यों को कब तक पूर्ण, प्रारंभ किया जाएगा? इन कार्यों की कितनी राशि भुगतान की गयी व कितना भुगतान शेष है? एजेंसीवार जानकारी दें। ? 15 जुलाई, 2025 के तारांकित प्रश्न संख्या 04 (क्रमांक 222) के उत्तर के तहत राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन (शीर्ष समिति) उच्च पावर समिति के सदस्य कौन-कौन हैं? इस समिति की अनुशंसा पर एक फर्म पर एफआईआर किन आरोप व अनियमितता के आधार पर की गई एवं अन्य फर्मों पर एफआईआर नहीं करने के क्या कारण हैं? निविदा स्वीकृत करने के समय उक्त फर्मों के दस्तावेजों की जांच किन-किन अधिकारियों द्वारा की गई और उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? इन संस्थाओं को 17 फरवरी, 2025 के बाद कितना कितना भुगतान किया गया है और किनकी अनुमति से किया गया है? प्रश्न के उत्तर अनुसार क्या कुल 11 जल प्रदाय योजनाओं में अनुभव प्रमाण पत्र कूटरचित पाये गए? तो क्या इनकी अमानती राशि राजसात की गई ? यदि नहीं तो कब की जाएगी? इनके अनुबंध निरस्त करने के पूर्व कितनी राशि का भुगतान किया गया है और भुगतान की गई राशि की वसूली कब तक की जाएगी।

मंत्री अरुण साव ने विधायक के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि जितने काम का मूल्यांकन हुआ है, उतना का ही भुगतान ठेकदारों को किया गया है। हमने विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट हिदायत दी है कि जब तक पूरा काम नहीं होगा ठेकेदारों को 70 प्रतिशत राशि का भुगतान नहीं करेंगे। मंत्री के जवाब को नकाराते हुए विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि सवाल के जवाब में जो दस्तावेज अधिकारियों के माध्यम से आपने उपलब्ध कराया है, बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में अब भी 111 काम अधूरे पड़े हैं। काम पूरा नहीं हुआ है और आपने ठेकेदारों काे भुगतान पूरा कर दिया है। अब तो स्थिति ये है कि अफसर ठेकेदारों के पीछे-पीछे घूम रहे हैं। ठेकेदारों को पूरा भुगतान हो गया है, अब वे क्यों काम पूरा करेंगे। मंत्री के जवाब के बीच विधायक धरमलाल ने मंत्री से पूछा कि चलिए 111 को छोड़िए अकेले झलपा की ही स्थिति बता दीजिए। झलपा में जल जीवन मिशन के कामकाज की क्या स्थिति है, ठेकेदार को कितना भुगतान किया गया है। विधायक के सवाल का मंत्री जवाब नहीं दे पाए।

फर्जी दस्तावेज से करोड़ों का दिया काम, फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे

विधायक धरमलाल कौशिक ने सवाल उछाला कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर करोड़ों का काम लेने वाले ठेकेदारों को क्यों बचाया जा रहा है। एक पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर कार्रवाई करने के बाद उसी दस्तावेज के आधार पर काम लेने वाले अन्य लोगों को क्यों संरक्षण दिया जा रहा है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। इस पर मंत्री अरुण साव ने कहा कि हाई कोर्ट ने चीफ सिकरेट्री को कार्रवाई करने का आदेश दिया था। विभाग में कामकाज का अलग मापदंड है। अपेक्स कमेटी इस तरह की शिकायतों पर निर्णय लेती है। हालांकि अपेक्स कमेटी के चेयरमैन चीफ सिकरेट्री ही होते हैं। मंत्री ने सदन को जानकारी दी कि विभाग की ओर से रिव्यू पिटिशन दायर किया गया था। इस पर विभाग के कामकाज को लेकर कोर्ट को जानकारी दी गई। हाई कोर्ट ने अपेक्स कमेटी के माध्यम से निर्णय लेने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर अपेक्स कमेटी की बैठक हुई थी। अपेक्स कमेटी ने निर्णय दिया है,फर्जी दस्तावेज के आधार पर काम लेने वाले ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा और एफआईआर कराई जाएगी। यह कार्रवाई जल्द कराई जाएगी। मंत्री ने सदन को जानकारी दी कि मेसर्स विजय सालुंके के खिलाफ एफआईआर किया गया है। फर्जी दस्तावेज के आधार पर ठेका हासिल करने का आरोप है।

बिना जलस्रोत के वहां दिया पानी टंकी, कितने दिनों में उपलब्ध कराएंगे जलस्रोत

विधायक अजय चंद्राकर ने कहा जल जीवन मिशन के कामकाज की जांच करें, एफआईआर करें, 70 फीसदी भुगतान रोके, यह समस्या नहीं है। सबसे बड़ी समस्या ये है कि जिन गांवों में बिना जल स्रोत के पानी टंकी का निर्माण करा दिया गया है, ऐसे गांव में घर-घर पानी पहुंचाने की विभाग की क्या योजना है। कितने दिनों में ऐसे गांव में जलस्रोत उपलब्ध कराएंगे। यदि ये संभव नहीं है तो ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे क्या।

इन ठेकेदारों का अनुबंध किया निरस्त

मंत्री ने सदन को बताया कि राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन (शीर्ष समिति) उच्च पॉवर समिति द्वारा 17 फरवरी 2025 की बैठक में की गई अनुशंसानुसार तथा कूटरचित अनुभव प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने के कारण 01 फर्म (मेसर्स विजय वी. सालुंखे) पर एफआईआर की गयी एवं अन्य 06 फ़र्मों (मेसर्स ए.के. कंस्ट्रक्शन, मेसर्स विक्रम टेली इन्फ्रा, मेसर्स, श्री गणपती कंस्ट्रक्शन, मेसर्स आनंद कंस्ट्रक्शन रायपुर, मेसर्स धर्मेश कुमार रायपुर एवं मेसर्स सोमबंसी इनवायरो) के द्वारा मेसर्स विजय वी. सालुंखे के द्वारा प्रस्तुत कूटरचित अनुभव प्रमाण-पत्र का ही उपयोग जॉइंट वेंचर में किया गया है। अतः इनके विरुद्ध अनुबंध के प्रावधान अनुसार अनुबंध निरस्त किया गया।

विधायक ने कहा, दस्तावेजों के बजाय शपथ पत्र को मान लिया सही

मंत्री ने जवाब दिया है कि निविदा स्वीकृत करने के समय सभी 07 फर्मों के दस्तावेजों की जांच खंड स्तर कार्यपालन अभियन्ता, मंडल स्तर-अधीक्षण अभियंता, परिक्षेत्र स्तर-मुख्य अभियंता एवं तत्पश्चात मिशन संचालक कार्यालय स्तर पर जांच के पश्चात् अनुमोदन किया गया है। सम्बंधित फ़र्मों के द्वारा प्रस्तुत 100 रु. के स्टाम्प में दिए गए शपथ पत्र के आधार पर ऑनलाइन प्रस्तुत दस्तावेजों को सही मानते हुए अभिलेखों की जांच की गयी है। अतः अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। इन संस्थाओं को 17 फरवरी 2025 के बाद भुगतान नहीं किया गया है। मंत्री के इस जवाब पर सवाल उठाते हुए विधायक धरमलाल कौशिक ने कि कूटरचित दस्तावेजों की जांच करने के बजाय विभागीय अधिकारियों ने खेल कर दिया है। शपथ पत्र में लिखी गई बातों को सही मानते हुए उसे सही करार दिया है। यह कैसी जांच है। दस्तावेजों के बजाय ऑनलाइन भेजे गए शपथ पत्र में लिखी बातों को किस आधार पर सही मान लिया गया है। विधायक धरमलाल कौशिक ने आरोप लगाया कि अफसर जानबुझकर फर्जी दस्तावेज पेश करने वाले ठेकेदारों को संरक्षण दे रहे हैं।

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