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छत्तीसगढ़ सरकार की कोशिशों से बदल रही गांवों की तस्वीर, सीएम विष्णुदेव की प्राथमिकता में गांव और गरीब सबसे उपर

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कुशल नेतृत्व में राज्य के गांवों की तस्वीर तेजी से बदल रही है। विभिन्न विभागों की योजनाओं से बड़ी संख्या में लोगों को फायदा मिल रहा है। प्रदेश के साथ सीएम के गृह जिला जशपुर में भी तेजी से विकास के काम हो रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् 56 जरूरतमंद परिवारों को पक्के आवास उपलब्ध कराए गए हैं और 483 परिवारों के मनरेगा जॉब कार्ड बनाए गए हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार की कोशिशों से बदल रही गांवों की तस्वीर, सीएम विष्णुदेव की प्राथमिकता में गांव और गरीब सबसे उपर
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By Sandeep Kumar

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शपथ लेते ही साफ कर दिया था कि उनकी प्राथमिकता में गांव और गरीबों का स्थान सबसे उपर होगा। 10 महीने के उनके शासनकाल में यह परिलक्षित भी हो रहा है। मुख्यमंत्री न केवल लगातार ग्रामीण इलाकों को दौरा कर रहे हैं बल्कि मंत्रालय स्तर पर ग्रामीण विकास की मानिटरिंग भी हो रही है।

जशपुर जिले के बगीचा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत घुघरी जिला मुख्यालय जशपुर से 93 किलोमीटर दूर स्थित है। इस गांव में पंचायत की बैठकों में गांव की समस्याओं का समाधान नियमित रूप से किया जा रहा है। गांव में 567 लोगों का राशन कार्ड बनाया गया हैं जिनमें 37 एपीएल कार्ड, 407 बीपीएल कार्ड शामिल हैं। आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से 216 बच्चों को पोषण आहार का लाभ मिल रहा है। धात्री और गर्भवती महिलाओं के लिए भी पूरक पोषण आहार की व्यवस्था की गई है। सामाजिक सुरक्षा के लिए 342 लोगों को पेंशन योजनाओं से जोड़ा गया है। महिला सशक्तिकरण के उददेश्य से 36 स्व-सहायता समूहों का गठन कर 412 महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया है।

28 हजार रुपए हुई परिवार की कमाई

घुघरी निवासी मंगरी बाई ने बताया कि उन्हें हर महीना 500 रूपए पेंशन मिलती है। उसी पैसे से अपना जीवन यापन करती हैं। परिवार के पालन पोषण करने में सहायता मिल रही हैं। विनोद राम ने बताया कि मनरेगा में गांव के लोग काम करने जाते हैं। गांव के लोगों का जॉब कार्ड बना है। मनरेगा में कार्य करके उनके परिवार के लोग मिलकर 28 हजार रूपए तक कमा लेते हैं, इससे घर परिवार अच्छी तरह से चल रहा है।

बिहान योजना ने जिंदगी बदल दी

लखपति दीदी के नाम से अपनी पहचान बनाने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय की लीलावती बाई आज क्षेत्र में अपने समुदाय के लिए एक प्रेरणा बन गई है। अब लीलावती बाई दोना-पत्तल निर्माण के व्यवसाय से 65 हजार रुपये से अधिक की वार्षिक आय अर्जित कर रही हैं। इसके अलावा, वे कृषि कार्य और लघु वनोपज के संग्रह एवं विक्रय से भी लगभग 40 हजार रुपये कमाती हैं। आज वह अपनी कमाई से प्रसन्न है और बताती है कि बिहान योजना ने उनकी जिंदगी बदल दी। लीलाबाई को देखकर क्षेत्र के अन्य महिलाएं भी जागरूक होकर बिहान योजना से आर्थिक रूप से संबल हो रहे है।

जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम पंचायत कुटमा जहाँ मुख्य रूप से विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग निवासरत हैं। यहां की निवासी लीलावती बाई का प्रमुख आजीविका का स्रोत कृषि और मजदूरी था। उनकी आय इतनी नहीं थी कि वे अपने परिवार की आवश्यकताओं को ठीक से पूरा कर सकें। उनकी स्थिति में बदलाव आना तब शुरू हुआ जब वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान योजना) के अंतर्गत उन्हें मीनू लक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह से जोड़ा गया। इस मिशन के माध्यम से उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्राप्त हुई। लीलावती बाई ने अपने समूह के साथ मिलकर दोना-पत्तल निर्माण का कार्य शुरू किया। उन्हें शुरुआत में योजना के अंतर्गत 15 हजार रुपये की रिवॉल्विंग फंड राशि और 60 हजार रुपये की सामुदायिक निवेश कोष राशि मिली। इसके बाद मार्च 2022 में उन्हें बैंक लिंकेज के माध्यम से 2 लाख रुपये की राशि स्वीकृत हुई। जिससे उन्होंने दोना-पत्तल निर्माण के लिए मशीन खरीदी और इसका प्रशिक्षण लिया।

राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ने से पहले लीलावती की आय सीमित थी, इससे बमुश्किल ही उनका गुजारा हो पाता था। बिहान से जुड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आना शुरू हो गया। आज वह खुश होकर बताती है कि अब वह अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर पा रही है।

रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की तीन सबसे मूल आवश्यकता है, जिनकी पूर्ति के लिए हर व्यक्ति लगातार प्रयास करता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां आजीविका के सीमित संसाधन होते हैं, वहां लोग अपने परिवार की बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, ऐसे में यदि इनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शासकीय सहायता मिल जाए तो जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है।

वरदान साबित हुआ पीएम आवास योजना

जगतपाल राम के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित पीएम आवास योजना वरदान साबित हुआ। जिसके तहत पहाड़ के नीचे बस्ती छतौरी में पीएम जनमन आवास योजना के तहत उनका पक्का आवास के साथ शौचालय बनकर तैयार है। जगतपाल अपने पक्के मकान का मालिक बन गया है और अब वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को ऐसे जनकल्याणकारी योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य में निवासरत दूरस्थ अंचल के लोगों तक बुनियादी सुविधाएं के साथ जनकल्याणकारी योजनाओं से पात्र हितग्राहियों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए हैं। इन योजनाओं में से प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण बेसहरा और जरूरतमंद परिवारों के पक्के घर के सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

परिवारों के जीवन में रोशनी

जशपुर जिले के विकासखंड मनोरा के ग्राम पंचायत करदना में इस योजना के तहत मिले आर्थिक सहयोग से कई परिवारों के जीवन में रोशनी आई है। जिले के सुदूर क्षेत्र में रहने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा समुदाय के जगतपाल झोपड़ी बनाकर निवास करते थे। जिन्हें बरसात के मौसम में प्रतिवर्ष छत से बारिस का पानी टपकता था, सांप बिच्छू जैसे जहरीलें जीव-जंतुओं का डर बना रहता था। हर साल छत की मरम्मत करने में जमा पूंजी खर्च हो जाती थी, समुचित रोशनी की भी व्यवस्था नहीं थी।

रामनिधि ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पक्का आवास मिलने पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार जताते हुए कहा कि अब उन्हें बारिश में टपकती छत से मुक्ति मिल गई है। उन्होंने बताया कि पक्के आवास निर्माण के लिए राशि के अलावा अन्य कार्यक्रमों शौचालय, मनरेगा की मजदूरी, उज्जवला गैस, शासकीय राशन, पेंशन अन्य शासकीय सुविधाओं का भी लाभ मिल रहा है।

जशपुर जिले के ग्राम पंचायत मूढ़ी में निवास करने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा रामनिधि का आवास वर्ष 2023-24 में पीएम जनमन के तहत स्वीकृत हुआ। उन्होंने बताया कि जनमन योजना में उन्हें आवास निर्माण के लिए 2 लाख रूपए की सहायता राशि मिली और मनरेगा योजना के तहत 12 हजार रूपए का शौचालय बनवाया गया। साथ ही उन्हें मनरेगा से 95 दिवस रोजगार की राशि भी मिली है।

रामनिधि ने बताया कि पहले उनका घर कच्चा था, जिसके कारण बरसात में बहुत परेशान होना पड़ता था। बरसात के समय छत से पानी टपकता था। पॉलीथीन बांध कर घर पर रहना पड़ता था। घर कच्चा होने के कारण कई बार सांप-बिच्छू घर में घुस जाते थे। उन्होंने बताया कि उन्हें हर साल बरसात के पहले घर की मरम्मत भी करनी पड़ती थी जिसमें राशि बहुत खर्च होता था। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण पक्का घर बनाने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही थी।

प्रीति ऐसे बनी आत्मनिर्भर

नारी सशक्तिकरण के माध्यम से एक सशक्त समाज की परिकल्पना को साकार करने में ग्रामोद्योग संचालनालय की टसर धागाकरण योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जशपुर जिले में इस योजना के अंतर्गत कुमारी प्रीति चौहान जैसी महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। कलेक्टर के मार्गदर्शन में प्रीति ने टसर धागाकरण का प्रशिक्षण प्राप्त किया और अब वह इस कार्य में अच्छी आय अर्जित कर रही हैं। गरीब परिवार से आने वाली प्रीति आज अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं और अपनी बचत से खेती में भी योगदान दे रही हैं। उनके खाते में अब तक 1 लाख 2 हजार रुपये से अधिक की राशि जमा हो चुकी है, जिससे उनका जीवनस्तर बेहतर हुआ है।

मुख्यमंत्री की मंशानुसार जशपुर जिले में धागाकरण प्रशिक्षण देकर समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करना है, जिससे उन्हें अपने गाँव में ही रोजगार मिल सके और उन्हें अन्य राज्यों की ओर रोजगार के लिए देखना न पड़े। टसर धागाकरण से जुड़ी अन्य महिलाएं भी अब गरीबी से उबरकर आत्मनिर्भर हो रही हैं। इस योजना से उन्हें न केवल धागाकरण का कार्य मिला है, बल्कि वे अपनी कृषि भूमि पर खेती कर उन्नत किस्म का धान और अन्य फसलें भी उगा रही हैं। कई महिलाएं जो कभी साइकिल खरीदने का सपना देखती थीं, अब इस योजना से मिली आय से दोपहिया वाहन भी खरीद रही हैं और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान कर रही हैं।

रेशम विभाग द्वारा महिलाओं को कोकून बैंक के माध्यम से कोसा उपलब्ध कराया जाता है और उनके द्वारा उत्पादित धागे को विपणन कर उनकी आय को सीधे उनके खाते में जमा किया जाता है। इस प्रकार टसर धागाकरण योजना महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है, जिससे न केवल उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रही हैं, बल्कि उनका समाज में एक अलग पहचान भी बन रही है। नारी सशक्तिकरण के इस प्रयास से महिलाएं अब आत्मनिर्भर हो रही हैं और अपने परिवार और समाज को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

दुरपति राठिया कच्चे मकान में रहकर रोजी-मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करती थी। पक्का आवास बनाने के लिए वह पाई-पाई जोड़कर रकम जमा की थी। लेकिन उन्हे पक्के आवास के लिए जोड़े पैसे बेटे की शादी में खर्च करना पड़ा। विधवा महिला के लिए अब पक्का आवास बनाना मानो असंभव सा लगने लगा। तभी पीएम आवास योजना ने उनके पक्के घर के इरादे को बल दिया और आज दुरपति का कच्चा मकान पक्के मकान में तब्दील हो गया है।

पीएमएवाय ने किया सपना साकार

रायगढ़ जिला अंतर्गत तमनार विकासखण्ड के ग्राम पंचायत महलोई जो कि जनपद मुख्यालय से 07 कि.मी. एवं जिला से लगभग 30 कि.मी. दूरी पर स्थित है। हितग्राही दूरपति राठिया विधवा एकल महिला है, जो कि मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करती है। इन्हीं कमाएं हुए पैसों से अपने लड़के का भी विवाह भी किया। जिससे पक्का आवास बनाना उनके लिए अब लगभग असंभव था। कच्चा मकान होने के कारण आशियाने की चिंता बनी रहती है। कच्चे मिट्टी के मकान जिसमें बरसात में पानी टपकता रहता था, विषैले जीव-जंतुओं का भी खतरा बना रहता था। वहीं बरसात के दिनों में घर में पानी घुसने के साथ ही गंदगी फैलने से रहने में काफी असुविधा होती थी।

कच्चा मकान बनाकर अपना जीवन यापन करने वाली दुरपति राठिया का भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत आवास स्वीकृत होने से उनके चेहरे पर खुशी स्पष्ट दिखने लगी। जब उन्हें शासन द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) अंतर्गत पक्का आवास निर्माण हेतु सहायता राशि प्राप्त होना बताया गया तो वह खुशी से फुले नहीं समाये। इस प्रकार दूरपति राठिया अपने पुराने कच्चे मिट्टी के घर को छोड़कर पक्के प्रधानमंत्री आवास में निवासरत है। पक्का मकान मिलने से अब वह बहुत खुश हैं। उन्होंने अपनी खुशी जाहिर करते हुए शासन-प्रशासन को अपना धन्यवाद दिया।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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