Chhattisgarh Police: IPS ने पोस्टिंग से किया इंकार, 2 ASP, DSP एसीबी में जाने की बजाए चले गए कोर्ट, 5 DSP ने दो महीने बाद भी नहीं किया ज्वाईन...
Chhattisgarh Police: छत्तीसगढ़ के पुलिस महकमे में अनुशासनहीनता ऐसी बढ़ती जा रही कि ट्रांसफर और पोस्टिंग के बाद आईपीएस, एएसपी और डीएसपी ज्वाईन नहीं कर रहे। उपर से पत्र लिख सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। आईपीएस को राजभवन में एडीसी बनाया जाता है, तो वह हाथ खड़ा कर देता है और एएसपी, डीएसपी ट्रांसफर के बाद कोर्ट चले जा रहे या फिर ज्वाईन करने से इंकार कर रहे। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि आईपीएस ने एडीसी बनने में राज्यपाल के समक्ष असमर्थता व्यक्त कर दी। इससे आईपीएस बिरादरी भी हिल गया, क्योंकि आज तक राजभवन में काम करने से किसी ने मना नहीं किया, वो भी तब जब राज्यपाल ने पेनल में से किसी आईपीएस को सलेक्ट किया हो।

Chhattisgarh Police: रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांस्टेबल और इंस्पेक्टर लेवल तक ट्रांसफर, पोस्टिंग के बाद इंकार करना या हाई कोर्ट जाने की खबरें तो आदमी सुनता था मगर अब स्थिति यह हो गई कि सरकार की पोस्टिंग के बाद आईपीएस काम करने से मना कर दे रहे, एएसपी और डीएसपी कोर्ट चले जा रहे या नए पदास्थपना में ज्वाईन नहीं कर रहे।
सबसे पहले राज्य सरकार ने एसीबी को स्ट्रांग करने के लिए एडिशनल एसपी जयप्रकाश बढ़ई और प्रभात पटेल को एसीबी में ट्रांसफर किया गया। दोनों अधिकारियों ने एसीबी में ज्वाईनिंग की बजाए हाई कोर्ट की शरण ले ली। उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार को निर्देश दिया था कि नक्सलियों के खात्मे के डेडलाइन मार्च 2026 तक नक्सल इलाकों में एक-एक थानों के लिए एसडीओपी की नियुक्ति कर दें। अमित शाह के निर्देश का पालन करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने 14 अगस्त 2025 को 11 उप पुलिस अधीक्षकों का ट्रांसफर आदेश निकाला। इनमें से बड़ी मुश्किल से आधा दर्जन अफसरों ने ज्वाईन किया है। पुलिस मुख्यालय के लाख प्रयास के बाद भी आज की तारीख में पांच ने नई पोस्टिंग में ज्वाईनिंग नहीं दी है। इन 11 पुलिस अधिकारियों को रिलीव कराने के लिए पुलिस महकमे को काफी पापड़ बेलने पड़े।
सरकार के फैसले पर सवाल
इन 11 में से एक महिला डीएसपी राज्य पुलिस सेवा एसोसियेशन के अध्यक्ष को पत्र भेज सरकार के ट्रांसफर नीति पर ही सवाल खड़ा कर दिया। अध्यक्ष को भेजे पत्र में महिला अधिकारी ने चुनचुनकर तबादले की खामियां गिनाई। महिला अधिकारी का पत्र सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ था। मगर सरकार ने अनसूना कर दिया।
आईपीएस ने एडीसी बनने से मना
छत्तीसगढ़ बनने के बाद 25 साल में राजभवन में विवेकानंद से लेकर दीपांशु काबरा जैसे दर्जन भर से अधिक एडीसी पोस्टेड रहे मगर किसी ने भी सरकार के आदेश के बाद नाक-भौंह नहीं सिकोड़ा। एडीसी बनने की इच्छा ना भी रही होगी, तो सरकार का आदेश मान राजभवन में ज्वाईन किया। मगर राज्य बनने के रजत जयंती वर्ष में राजभवन में एक अजीबोगरीब घटना हुई। एडीसी सुनील शर्मा की जगह नया एडीसी नियुक्त करने के लिए सरकार ने राजभवन को तीन नामों का पेनल भेजा था। इनमें पुष्कर शर्मा और उमेश गुप्ता शामिल थे। राज्यपाल ने इनमें से उमेश गुप्ता को सलेक्ट किया। जाहिर है, राजभवन में एडीसी की नियुक्तियां ऐसे ही नहीं होती। आमतौर पर राज्यपाल खुद इंटरव्यू लेते हैं। लेकिन, ऐसा पहली बार हुआ कि 2020 बैच के आईपीएस उमेश गुप्ता ने एडीसी बनने से अनिच्छा जता दी। बताते हैं, राज्यपाल रामेन डेका के सिकरेट्री सीआर प्रसन्ना ने राज्य सरकार को एडीसी के लिए आईपीएस अधिकारियों का दूसरा पेनल भेजने पत्र लिखा है।
आईपीएस बिरादरी आवाक
आईपीएस उमेश गुप्ता के एडीसी न बनने की खबर से छत्तीसगढ़ की आईपीएस बिरादरी हतप्रभ है। सरकार पोस्टिंग दें, और अफसर मना कर दें, छत्तीसगढ़ में आईपीएस स्तर पर पहली बार हुआ है। इससे पहले राजनांदगांव के एसपी विनोद चौबे जब शहीद हुए थे, तब एक एडिशनल एसपी ने 2009 में मानपुर-मोहला में एसडीओपी बनने से इंकार कर दिया था। मगर आईपीएस में यह कभी नहीं हुआ। राजभवन में पोस्टिंग से मना करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। उपर से राज्यपाल से मिलकर असमर्थता जताना, ऐसा कभी नहीं हुआ।
अनुशासनहीनता क्यों?
छत्तीसगढ़ पुलिस में बढ़ती अनुशासनहीनता की वजह दंड प्रक्रिया शिथिल होने के साथ ही राजनीतिक हस्तक्षेप भी है। पुलिस मैन्यूल में कड़े दंड के प्रावधान हैं मगर डीजीपी अगर कार्रवाई कर दें तो डीजीपी के खिलाफ ही शिकायत चालू हो जाएगी। पूर्व डीजीपी अशोक जुनेजा ने एकाध बार कड़े तेवर दिखाने की कोशिश की थी तो उपर से निर्देश आ गया, ये अपना आदमी है। उधर, ट्रांसफर होते ही विधायक, सांसदों या राजनीतिक दलों के नेताओं के फोन घनघनाने शुरू हो जाते हैं, अपना आदमी है...सहयोग करता है...इसी ने चुनाव में जीतवाया है...इसे रिलीव मत कराएं। और जब ऐसे सिफारिशी फोन आएंगे तो फिर पुलिस मुख्यालय क्या कर लेगा। आज की तारीख में वास्तविकता यह है कि पुलिस मुख्यालय एक इंस्पेक्टर का ट्रांसफर नहीं कर सकता। जबकि, इंस्पेक्टर के तबादले का पावर पुलिस मुख्यालय को है।
प्रमोशन के बाद भी छोटे पद पर
कुछ दिनों पहले ये खबर आई थी कि एक डायरेक्ट आईपीएस एडिशनल एसपी बनने के बाद भी दुर्ग में इसलिए सीएसपी बने बैठा था, ताकि प्रमोशन लेने पर सरकार कहीं बस्तर ना भेज दे। जबकि, प्रमोशन का वेतन वह प्राप्त कर रहा था। मगर पोस्टिंग कर रहा था, जूनियर वेतनमान का। ऐसी स्थिति में पुलिस में अराजकता तो आएगी ही।
देखिए 14 अगस्त का डीएसपी ट्रांसफर का आदेश, इसमें से पांच पुलिस अधिकारियों ने अभी भी ज्वाईन नहीं किया है।
