Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में बच्चा अदली-बदली, शबाना को दे दिया साधना का बच्चा और... जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही, अब DNA टेस्ट से होगा फैसला...
Chhattisgarh News: अस्पताल कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही के चलते दो बच्चे आपस में बदल गए। जिन बच्चों के बदले जाने का शक है उनमें से एक हिंदू परिवार का है तो दूसरा मुस्लिम परिवार का है।

Chhattisgarh News: दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में जिला अस्पताल की लापरवाही के कारण दो परिवारों की जिंदगी में उथल-पुथल मच गया है। जिला अस्पताल में एक ही दिन कुछ समय के अंतराल में जन्मे दो बच्चे अस्पताल कर्मचारियों की लापरवाही से बदल गए। इसका खुलासा एक हफ्ते बाद हुआ। अब मामले की जांच के लिए कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने जांच टीम बनाई है और दोनों बच्चे के डीएनए टेस्ट कराने की बात कही जा रही है।
जानिए पूरा मामला
दरअसल, 23 जनवरी को दुर्ग निवासी शबाना कुरैशी पति अल्ताफ कुरैशी और भिलाई निवासी साधना सिंह पति शैलेंद्र सिंह की डिलीवरी हुई। दोनों को बेटा पैदा हुआ। एक बच्चे का जन्म दोपहर 1.25 बजे और दूसरे बच्चे का जन्म 9 मिनट बाद 1.34 बजे हुआ। पहचान के लिए दोनों बच्चों के हाथ में उनकी मां के नाम का टैग पहनाया गया। इसी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजातों की जन्म के बाद उनकी माताओं के साथ फोटो भी ली गई। इसके बाद नर्स ने बच्चों को उनकी माताओं को सौंप दिया। बच्चों को माताओं को सौंपते समय चूक हो गई।
साधना के बच्चे को शबाना को और शबाना के बच्चे को साधना को सौंप दिया गया। फिर दोनों का डिस्चार्ज हो गया। इस तरह हिंदू का बच्चा मुस्लिम के घर और मुस्लिम का बच्चा हिंदू के घर जा पहुंचा। बताया जा रहा है कि दोनों ही बच्चों के नाम इंग्लिश में लिखे थे जिसकी वजह से गलती हो गई। मेडिकल स्टाफ शबाना और साधना के नाम में कन्फ्यूज हो गया। साधना शबाना के बच्चे को दूध पिलाती रही तो वहीं शबाना भी साधना के बच्चे को दूध पिलाती रही। करीब एक हफ्ते तक दोनों बच्चे अलग-अलग मां के साथ रहे।
एक हफ्ते बाद हुआ घटना का खुलासा
इस घटना का खुलासा एक हफ़्ते बाद तब हुआ जब शबाना टांका खुलवाने अस्पताल गई। शबाना के जेठ अजहर कुरैशी ने बताया 21 जनवरी को यहां एडमिट किया गया था। एक फरवरी को टांका खुलवाने गए तब अचानक बच्चे के हाथ में लगे टैग पर नजर पड़ी। जिसमें साधना लिखा हुआ था। तब पता चला कि हमारे पास जो बच्चा है वह साधना का बच्चा है। उसके बाद अस्पताल में दिखाया तो ड्यूटी के दौरान उपस्थित डॉक्टर ने उस दिन की फोटो को चेक किया। तब साफ हुआ कि बच्चे बादल गए हैं।
शबाना के पास मौजूद साधना के बच्चे की पुष्टि हुई। इस बच्चे में तिल का निशान था। तिल के निशान को देखकर भी कन्फर्म हो गया कि बच्चा उनका नहीं साधना का है। अजहर कुरैशी ने कहा कि हम चाहते हैं जिनका खून है वह उनके पास पहुंच जाए। यदि वे बच्चे की पुष्टि कराना चाहते है तो हम डीएनए टेस्ट के लिए भी राजी है। बस हमारा बच्चा हमको मिल जाए और उनका बच्चा उनके पास चला जाए।
हिंदू परिवार बच्चा देने को तैयार नहीं
साधना के परिवार को एक हफ्ते तक के बच्चे को पालने के बाद उससे लगाव हो गया है। वह बच्चे को वापस लौटाने के लिए तैयार नहीं है। साधना के परिवार का कहना है कि एक हफ्ते से बच्चे की देखभाल कर रहे हैं और इससे हमें भावनात्मक लगाव हो गया है और वे लोग बच्चे की अदला बदली नहीं करेंगे। वही मुस्लिम पक्ष कहना है कि दोनों परिवारों के बीच बातचीत हुई पर बातचीत से मसला हल नहीं हुआ। हम डीएनए टेस्ट करवाने के लिए भी तैयार है। इधर, कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने पूरे मामले की जांच और सच्चाई सामने लाने के लिए एक कमेटी बनाई है। जो पूरे मामले की जांच करेगी।