Chhattisgarh New MD: निगमों के अध्यक्षों को चाहिए पसंद के MD: निगम-मंडल अध्यक्षों व एमडी में खींचतान, प्रशासनिक फेरबदल की बढ़ी संभावना...
Chhattisgarh New MD: ज्यादातर निगम व मंडल अध्यक्षों का अपनी एमडी के साथ नहीं बैठ रही पटरी, कामकाज प्रभावित होने से अच्छा संदेश नहीं...

Chhattisgarh New MD: रायपुर। भाजपा सरकार बनने के एक साल बाद विभिन्न निगम और मंडलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी। कुछ निगम व मंडल अब भी बाकी ही रह गए हैं। इन निगम और मंडलाें में प्रबंध संचालक के पद पर आईएएस अधिकारियों की पदस्थापना की गई है। कुछ निगम और मंडल में अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले से ही प्रबंध संचालक काम कर रहे हैं। कुछ माह ही बीते हैं और निगम व मंडलों से नकारात्मक रिपोर्ट सरकार व संगठन तक पहुंचने लगी है। अध्यक्ष और एमडी में सामंजस्य नहीं बना पाने के कारण अब कामकाज भी प्रभावित होने लगा है। सबसे ज्यादा गड़बड़ी छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में हो रही है, वहां गर्मियों की छुटि्टयों के बाद स्कूल दोबारा खुल गए, लेकिन पाठ्य पुस्तकें स्कूलों तक नहीं पहुंच सकीं। चर्चा है कि निगम में उच्च स्तर पर इसे लेकर एक- दूसरे पर दोषारोपण किया गया। अध्यक्ष की नियुक्ति होने से पहले ही किताबों की छपाई की प्रक्रिया शुरू हो जानी थी, जो नहीं हो सकी थी। अब निगम में अध्यक्ष और एमडी, दोनों के दो खेमे निगम में स्पष्ट रूप से नजर आ रहे हैं।
कुछ इसी तरह की खींचतान की खबर उन निगम और मंडलों में ज्यादा है, जहां योजनाओं का बड़ा फंड है और अब तक सही तरीके से योजनाओं पर अमल शुरू नहीं किया जा सका है। सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर उन्हीं कामों में समन्वय नहीं बन पा रहा है, जहां ठेके पर काम होने हैं या किसी निजी एजेंसी को काम का जिम्मा दिया जाना है। अभी कुछ और निगम व मंडलों में नियुक्तियों का काम बाकी है, इन निगम व मंडल में वहां के प्रबंध संचालक या सचिव ही सर्वेसर्वा हैं। निगम व मंडलों में सदस्यों की भी नियुक्ति की गई है और सदस्यों की अपेक्षा है कि उनके सुझाव या निर्देश का सम्मान किया जाए। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में उन सदस्यों का आक्रोश सामने आ जाता है, जिनकी बातों को निगम में तवज्जो नहीं दी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार विधानसभा का मानसून सत्र खत्म हो चुका है। सत्र से पहले सीएम ने सुशासन के जरिए पूरे प्रदेश में सरकारी योजनाओं व कामकाज का फीड बैक लिया था। माना जा रहा है कि कलेक्टरों की एक छोटी लिस्ट निकाली जा सकती है। फिलहाल मुख्यमंत्री सचिवालय में इसके लिए कोई सुगबुगाहट नहीं है। यदि कलेक्टरों की लिस्ट निकली तो बहुत संभव है कि निगम और मंडलों में प्रबंध संचालक भी बदल दिए जाएं। वैसे भी कुछ निगम और मंडल अध्यक्ष अपनी पसंद के आईएएस अफसर को प्रबंध संचालक बनाना चाहते हैं, जिससे कामकाज में समन्वय बनाने में दिक्कतें न आएं। निगम और मंडलों में चल रहे खींचतान की खबर भाजपा संगठन तक पहुंच चुकी है। लिहाजा, अब मुख्यमंत्री के इशारे का इंतजार किया जा रहा है।
