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छत्तीसगढ़ में डचरोज की खेती से किसान बने आत्मनिर्भर, उद्यानिकी फसल को बढ़ावा देने विष्णुदेव सरकार कर रही है निंरतर प्रयास

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ सरकार के उद्यानिकी विभाग द्वारा उद्यानिकी फसल को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है...

छत्तीसगढ़ में डचरोज की खेती से किसान बने आत्मनिर्भर, उद्यानिकी फसल को बढ़ावा देने विष्णुदेव सरकार कर रही है निंरतर प्रयास
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By Sandeep Kumar

छत्तीसगढ़ सरकार के उद्यानिकी विभाग द्वारा उद्यानिकी फसल को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसके लिए परंपरागत रूप से खेती-किसानी कर रहे किसानों को प्रशिक्षण और सहयोग भी प्रदान किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि उद्यानिकी मंत्री रामविचार नेताम ने कृषि विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश में उद्यानिकी फसल को बढ़ावा देेने तथा किसानों के लिए उद्यानिकी फसलों को लाभकारी बनाने के निर्देश दिए हैं।

इसी कड़ी में मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला प्रशासन के सहयोग से कमलाडांड़ के किसान एबी अब्राहम डचरोज (गुलाब) की खेती कर आत्मनिर्भर बन गए हैं। वहीं गांव के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत का काम कर रहे हैं। कमलाडांड़ के डचरोज सरगुजा सहित मध्यप्रदेश के सीमावर्ती शहरों के बाजारों में छत्तीसगढ़ की खुशबू बिखेर रही हैं।

मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के कमलाडांड़ में फूलों की खेती ने एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है। यहां के किसान एबी अब्राहम ने पारंपरिक खेती छोड़कर गुलाब की खेती में हाथ आजमाया और अब वह इस क्षेत्र में न केवल अपनी पहचान बना रहे हैं। गुलाब की खेती से जहां उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है, वहीं स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं।

मनेन्द्रगढ़ विकासखंड के इस छोटे से गांव के किसान, जो पहले गेहूं, धान, और मक्का जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, अब उद्यानिकी फसलों की ओर तेजी से रुझान दिखा रहे हैं। एबी अब्राहम इस बदलाव के मुख्य उदाहरण हैं, जिन्होंने एक एकड़ भूमि में डचरोज गुलाब की खेती शुरू की। फूलों की खेती न केवल उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी, बल्कि इसके माध्यम से उन्हें उम्मीद से कहीं अधिक मुनाफा भी हुआ। अब उनके खेत में गुलाब की खुशबू फैली हुई है, जिसे वह आसपास के शहरों और कस्बों में बेच रहे हैं।

एबी अब्राहम द्वारा उगाए गए गुलाब की मांग पूरे सरगुजा संभाग और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती शहरों में बढ़ रही है। मनेन्द्रगढ़ और आस-पास के बाजारों में भी उनकी आपूर्ति की जा रही है। फूलों की खेती से उन्हें मिलने वाला मुनाफा पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना अधिक है। खास बात यह है कि फूलों की खेती में अधिक लागत की आवश्यकता नहीं होती, जिससे किसान अपनी आर्थिक स्थिति को तेजी से सुदृढ़ कर पा रहे हैं। गुलाब की खेती न केवल एबी अब्राहम के लिए लाभकारी साबित हो रही है, बल्कि इसने ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए हैं। फूलों की देखभाल, तुड़ाई, पैकिंग, और परिवहन से जुड़े कार्यों में कई स्थानीय लोगों को काम मिला है, जिससे आने वाले समय में इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं और अधिक बढ़ सकती हैं।

फूलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह से सक्रिय है। उद्यानिकी विभाग द्वारा समय-समय पर किसानों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे फूलों की खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर अधिक से अधिक लाभ कमा सके। एबी अब्राहम की मेहनत और प्रशासन के सहयोग से फूलों की खेती ने कमलाडांड़ में एक नई दिशा और गति प्राप्त की है। फूलों की खेती ने न केवल एबी अब्राहम को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि उन्हें समाज में एक नई पहचान भी दी है।

अब वह स्थानीय स्तर पर एक सफल किसान के रूप में पहचाने जाते हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और सही दिशा में कदम बढ़ाकर अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। पारंपरिक फसलों से हटकर फूलों की खेती करना उनके लिए न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हुआ है। एबी अब्राहम के खेतों में खिले गुलाबों की विभिन्न प्रजातियों से पूरा कमलाडांड़ क्षेत्र सुगंधित हो रहा है।

गुलाब की खेती के कारण गांव का माहौल भी बदल रहा है। अब हर तरफ फूलों की खुशबू फैली हुई है, जिससे न केवल किसानों का जीवन बेहतर हो रहा है, बल्कि पर्यावरण में भी सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। कमलाडाड़ के किसान एबी अब्राहम की फूलों की खेती की सफलता ने न केवल उनके जीवन को संवारा है, बल्कि इसने पूरे गांव में रोजगार और आत्मनिर्भरता का संदेश भी दिया है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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