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छत्तीसगढ़ में आम आदमी को किफायदी दर में मकान मुहैया करा रहा हाउसिंग बोर्ड, विष्णुदेव साय सरकार ने शुरू की वन टाईम सेटलमेंट योजना

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और आवास मंत्री ओपी चौधरी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने किया वन टाइम सेटलमेंट योजना-2 का शुभारंभ...

छत्तीसगढ़ में आम आदमी को किफायदी दर में मकान मुहैया करा रहा हाउसिंग बोर्ड, विष्णुदेव साय सरकार ने शुरू की वन टाईम सेटलमेंट योजना
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By Sandeep Kumar

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन में सभी के लिए आवास योजना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने वन टाइम सेटलमेंट योजना-2 की शुरुआत की है, जिसके तहत घर खरीदने वालों को 10 से 30 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। इस योजना को 20 जनवरी 2025 को राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी, लेकिन आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इसे तत्काल शुरू नहीं किया जा सका। अब 01 मार्च 2025 से इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया गया है, जिससे आम जनता को किफायती दरों पर घर खरीदने का सुनहरा अवसर मिला है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष एवं आवास विभाग के सचिव अंकित आनंद ने बताया कि यह योजना हर वर्ग के लोगों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इसमें घरों की कीमतों पर 30 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है।

योजना के पहले दो दिनों में ही 8 करोड़ रुपये के 56 मकानों की बुकिंग हो चुकी है, जो इस योजना की जबरदस्त सफलता को दर्शाता है। मंडल आयुक्त कुंदन कुमार ने बताया कि बुकिंग प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया गया है। इच्छुक लाभार्थी मंडल की वेबसाइट पर लॉग-इन करके अपने सपनों का घर बुक कर सकते हैं। साथ ही, टोल-फ्री नंबर 18001216313 और अधिकारियों के नंबरों पर अब तक 900 से 1000 कॉल प्राप्त हो चुकी हैं, जिससे योजना की लोकप्रियता साफ झलकती है। उन्होंने बताया कि यह योजना छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख स्थानों जैसे-रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जगदलपुर, धमतरी, दंतेवाड़ा, राजनांदगांव, कवर्धा, नवा रायपुर अटल नगर, आरंग, महासमुंद, अंबिकापुर, जशपुर, रायगढ़, कोरबा और अन्य प्रमुख शहरों में लागू की गई है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने यह योजना विशेष रूप से उन लोगों के लिए तैयार की है जो वित्तीय कठिनाइयों के कारण घर नहीं खरीद पा रहे थे। छूट के साथ उपलब्ध ये आवास आम लोगों के लिए किफायती होंगे। यह योजना मंडल के लिए मील का पत्थर साबित होगी, और इसका लाभ उठाने का यह अवसर शायद दोबारा न मिले।

कॉलोनीदृफ्लैट मेंटनेंस चार्ज नियमों का स्पष्टीकरण जारी

छत्तीसगढ़ भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने कॉलोनी और फ्लैट्स के हस्तांतरण और मेंटनेंस चार्ज से जुड़े नियमों का स्पष्टीकरण जारी किया है। इसके तहत किसी भी कॉलोनी या फ्लैट के निर्माण के बाद उसे एक पंजीकृत सोसाइटी को हस्तांतरित किया जाता है, जो उसके रखरखाव और सुविधाओं के लिए जिम्मेदार होती है। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक आवंटित व्यक्ति (आबंटिती) के लिए निर्धारित मेंटनेंस चार्ज का भुगतान करना अनिवार्य है। यदि कोई आवंटित व्यक्ति इसका भुगतान नहीं करता, तो संबंधित सोसाइटी इस मामले को रेरा के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है। ऐसे मामलों में बकाया राशि पर ब्याज सहित भुगतान करना होगा। इसके अलावा, यदि कोई आवंटित व्यक्ति अपने एलॉटमेंट डीड में निर्धारित मेंटनेंस चार्ज या अन्य शर्तों का उल्लंघन करता है, तो इससे जुड़े विवादों की सुनवाई का अधिकार रेरा को होगा। हालांकि, मेंटनेंस चार्ज की दरों में बदलाव से संबंधित मामलों की सुनवाई सहकारिता अधिनियम के तहत की जाएगी।

रेरा के नए वित्तीय सुरक्षा मॉडल से बढ़ेगी सुरक्षा

छत्तीसगढ़ में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने और प्रोजेक्ट में भूमि, मकान आदि सम्पत्तियां खरीदने वाले लोगों के हितों को संरक्षित करने के उद्देश्य से रेरा ने रियल एस्टेट में वित्तीय अनुशासन और पादर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। राजधानी रायपुर स्थित न्यू सर्किट हाउस में एक बैंक एम्पैनलमेंट इवेंट में रेरा ने 17 बैंकों को सूचीबद्ध किया और रियल एस्टेट प्रमोटरों के साथ अपने नए वित्तीय सुरक्षा मॉडल को साझा किया। कार्यक्रम में रेरा के अध्यक्ष संजय शुक्ला ने बताया कि इस नए वित्तीय माडल का मुख्य उद्देश्य आबंटियों के निवेश को सुरक्षित रखना और धनराशि के दुरुपयोग को रोकना है। बैंकों के सिस्टम को रेरा नामित खातों के अनुरूप बनाया गया है ताकि लेनदेन में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन बना रहे। साथ ही निधियों की निकासी, आवंटन और निगरानी सॉफ़्टवेयर-आधारित प्रणाली के माध्यम से होगी, जिससे मानव हस्तक्षेप न्यूनतम होगा और गलतियों की संभावना कम होगी।

रेरा के इस पहल से बैंकों, प्रमोटरों और रियल एस्टेट के खरीदारों को लाभ होगा। इसके तहत सूचीबद्ध बैंकों को अब भौतिक दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे संचालन सुगम होगा। हर प्रोजेक्ट के लिए रियल-टाइम अपडेट मिलेगा, जिससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी। बैंकिंग प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है, जिससे निधियों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित होगी। रियल एस्टेट प्रमोटरों और डेवलपर्स को अब बार-बार दस्तावेज जमा नहीं करने पड़ेंगे क्योंकि अब सभी दस्तावेज़ डिजिटल रूप से उपलब्ध होंगे जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया सरल होगी। इसी तरह रियल एस्टेट खरीदारों को भी लाभ होगा। खरीदारों की जमा की गई धनराशि सुरक्षित रहेगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनका पैसा सही ढंग से उपयोग हो। साथ ही परियोजनाओं को तय समय पर पूरा करने के लिए प्रमोटरों पर दबाव बनेगा, जिससे खरीदारों को घर मिलने में देरी नहीं होगी। वित्तीय अनुशासन मजबूत होने से रियल एस्टेट क्षेत्र में भरोसा बढ़ेगा।

वित्तीय अनियमितताएं रोकने की पहल

रेरा के अध्यक्ष संजय शुक्ला ने बताया कि इस नए वित्तीय माडल के अंतर्गत अब किसी भी रियल एस्टेट परियोजना में आबंटियों से प्राप्त कुल राशि का 70 प्रतिशत भाग एक रेरा नामित बैंक खाते में जमा करना अनिवार्य होगा। रियल एस्टेट सेक्टर में वित्तीय अनियमितताओं को रोकने और खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए रेरा ने बैंकों को इस प्रक्रिया में शामिल किया है। सरकार द्वारा इस प्रणाली को अपनाने से रियल एस्टेट क्षेत्र को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। तय नियमों के तहत वित्तीय प्रबंधन आसान होगा, जिससे परियोजनाओं को सुचारू रूप से पूरा किया जा सकेगा। रियल एस्टेट क्षेत्र में वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, जिससे सभी हितधारकों को लाभ मिलेगा। रेरा के अध्यक्ष संजय शुक्ला ने कहा कि इस नई व्यवस्था के तहत आबंटियों से प्राप्त धनराशि स्वचालित रूप से 70 प्रतिशत रेरा खाते में और 30 प्रतिशत अन्य आवश्यकताओं के लिए सुरक्षित होगी। यह राशि केवल परियोजना के वास्तविक विकास कार्य और उसके अनुपात में ही खर्च की जा सकेगी। बैंकों के सिस्टम को रेरा नामित खातों के अनुरूप बनाया गया है ताकि लेनदेन में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन बना रहे। साथ ही निधियों की निकासी, आवंटन और निगरानी सॉफ़्टवेयर-आधारित प्रणाली के माध्यम से होगी, जिससे मानव हस्तक्षेप न्यूनतम होगा और गलतियों की संभावना कम होगी। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ रेरा के सदस्य धंनजय देवांगन, रजिस्ट्रार आस्था राजपूत, क्रेडाई छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष पंकज लाहोरी एवं विभिन्न बैंकों के जोनल हेड शामिल हुए।

आवास निर्माण में आई तेजी

छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद पिछले 13 महीनों में शहरों में प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों के निर्माण में तेजी आई है। योजना के तहत अब तक स्वीकृत कुल दो लाख 49 हजार 166 आवासों में से दो लाख चार हजार 196 आवासों को पूरा कर लिया गया है। राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों के निर्माण के लिए नगरीय निकायों को ज्यादा राशि प्रदान की जा रही है। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत सरकार बेघर गरीब लोगों को घर बनवाने के लिए घर दे रही है, वर्तमान समय में सरकार छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ₹1,20,000 गरीबों के बैंक अकाउंट में भेज रही है वहीं छत्तीसगढ़ के पहाड़ी इलाकों में मौजूद गांव के गरीबों को ₹1,30,000 घर बनाने के लिए दिए जा रहे हैं। इस योजना के तहत लाभार्थी को 90-95 मानव दिवसों का श्रम नरेगा से प्राप्त होता है, साथ ही शौचालय निर्माण के लिए ₹12,000 की अतिरिक्त सहायता स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के तहत मिलती है। छत्तीसगढ़ में लाभार्थियों का चयन सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 के डेटा के आधार पर किया जाता है। इसके अंतर्गत सबसे गरीब परिवारों को प्राथमिकता दी जाती है, जिन्हें कच्चे मकानों में रहने की आवश्यकता होती है।

राज्य सरकार ने बढ़ाई राशि

छत्तीसगढ़ में पीएम आवास योजना में राज्य सरकार की तरफ से मिलने वाली राशि में वृद्धि की घोषणा की गई है। छत्तीसगढ़ सरकार की कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के लिए कई नई सौगातें दी गई हैं। राज्य कैबिनेट ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 के पहले फेज में कमजोर आय वर्ग के एक लाख 32 हजार परिवारों को आवास उपलब्ध कराने के लिए कुल 3938 करोड़ 80 लाख रुपए के अनुदान को मंजूरी दी है। इसमें 1450 करोड़ का अनिवार्य राज्यांश (राज्य का हिस्सा), 538 करोड़ 80 लाख रुपए का अतिरिक्त राज्यांश और 1950 करोड़ रुपए का केंद्रांश (केंद्र सरकार का हिस्सा) शामिल है। राज्य सरकार के नए फैसलों के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अन्तर्गत प्रति आवास लागत राशि तीन लाख 21 हजार रुपए को बढ़ाकर तीन लाख 89 हजार रुपए दिए जाएंगे। सरकार ने इसमें अब तक दी जा रही 85 हजार रुपए राज्यांश में 63 प्रतिशत की वृद्धि की है।

अब राज्य सरकार लाभार्थियों को एक लाख 39 हजार रुपए प्रति आवास राज्यांश देने का निर्णय लिया है। इससे कमजोर आय वर्ग के एक लाख हितग्राही लाभान्वित होंगे। एएचपी वर्ग के आवास के लिए दी जाने वाली चार लाख 75 हजार रुपये की लागत राशि को बढ़ाकर अब पांच लाख 75 हजार रुपये कर दिया गया है। राज्य सरकार इसमें राज्यांश के रूप में ढाई लाख रुपए प्रति आवास देती थी। इसमें 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए अब दो लाख 80 हजार रुपए कर दिया गया है। इस निर्णय से किफायती आवास घटक के 27 हजार परिवारों को लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले प्रवासी, फुटकर व्यापारी, संविदा कर्मी सहित ईडब्ल्यूएस/एलआईजी लाभार्थियों के लिए आवासों की नई सौगात के रूप में किफायती किराया आवास (एआरएच) घटक शामिल किया गया है। हितग्राहियों के लिए प्रति आवास दो लाख 38 हजार रुपए के अतिरिक्त राज्यांश के मान से कुल 118 करोड़ 80 लाख रुपए का अतिरिक्त राज्यांश मंजूर किया है। किराए में रहने वाले दस हजार शहरी परिवारों को इसका फायदा मिलेगा।

पीएम आवास योजना शहरी-2.0 का काम शुरू

छत्तीसगढ़ के शहरी इलाकों में जिनके पास खुद की जमी है, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से घर बनवाने के लिए अनुदान मिलेगा। इसके लिए सर्वे का काम शुरू हो गया है। शहरी क्षेत्रों में पक्के मकान बनवाने के लिए केंद्र सरकार ने पीएम आवास योजना शहरी 2.0 शुरू की है। केंद्र सरकार की तरफ से पीएम आवास योजना शहरी 2.0 शुरू की गई है। यह योजना छत्तीसगढ़ के सभी 192 नगरीय निकायों में लागू होगी। इसके सर्वे के लिए सरकार की तरफ से पहले ही निर्देश जारी किए गए थे। छत्तीसगढ़ के सभी क्लेक्टरों को निर्देश दिया गया है कि वे हितग्राहियों की पहचान के लिए रैपिड असेसमेंट सर्वे कराएं। इसके साथ उसका डीपीआर तैयार करके केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजें। सरकार द्वारा किए जा रहे सर्वे के बाद जिन लाभार्थियों का नाम आएगा उन्हें मकान बनाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार अनुदान देगी। पीएम आवास योजना शहरी 2.0 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के हितग्राहियों को भी फायदा होगा। इस योजना के तहत जिनके पास शहरी क्षेत्रों में खुद की जमीन है, उन्हें से कम 35 और अधिकतम 45 वर्गमीटर कॉरपेट क्षेत्रफल में मकान बनाने का प्रावधान है। इस योजना के तहत वक्के मकान में कम से कम दो कमरे, किचन और बाथरूम बनाकर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री गृह प्रवेश योजना

इस साल मुख्यमंत्री गृह प्रवेश योजना शुरू किया जाएगा। इसके तहत लाभार्थी को निर्धारित समयावधि में आवास पूर्ण करते हुए गृह प्रवेश करने पर प्रोत्साहन के रूप में 32,850 रुपए अलग से दिए जाएंगे। वहीं, आवास के लिए केंद्र सरकार की ओर से 1.50 लाख और राज्य सरकार की ओर से 1 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसके बाद आवास में लगने वाले शेष राशि हितग्राही को खुद के पास से लगानी होगी। ध्यान रहे कि लाभार्थी को इस पीएम आवास योजना के तहत मंजूरी मिलने के बाद भी कार्य शुरू करना होगा। इस योजना का लाभ लेने वाले आवेदक के पास स्वयं के स्वामित्व की भूमि व स्थायी पट्टे की भूमि/आबादी भूमि होना अनिवार्य है। इसके साथ ही परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। आवदेक के पास देश में कहीं भी कोई पक्का आवास नहीं होना चाहिए। उसे ही पीएम आवास योजना शहरी 2.0 लाभ मिलेगा. इस योजना के लिए 2500 वर्गफीट से अधिक क्षेत्रफल के अपात्र होंगे। वहीं, अस्थायी गंदी बस्ती, जिसे अन्यत्र व्यवस्थापित किया जाना प्रस्तावित है, में इस योजना लागू नहीं होगी। इस योजना के तहत विधवाओं, एकल महिलाओं, दिव्यांगजन, वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडर, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अल्पसंयकों और समाज के अन्य कमजोर एवं वंचित वर्गों के व्यक्तियों को वरीयता दिए जाने का प्रावधान है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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