Begin typing your search above and press return to search.

Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: दुर्ग में सिर्फ स्टील नहीं, प्रत्याशियों की भी फैक्ट्रीः छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से 5 के प्रत्याशी इसी जिले से

Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: दुर्ग जिले के भिलाई में एशिया का सबसे बड़ी स्टील कारखाना है। भिलाई स्टील प्लांट में बनी पटरियों से पूरे देश में ट्रेनें दौड़ती हैं। इस्पात के भारी प्लेंटे भी देश में सिर्फ बीएसपी में बनाएं जाते हैं। फौलादी स्टील के साथ दुर्ग अब लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों के मामले में भी चर्चा में है।

Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: दुर्ग में सिर्फ स्टील नहीं, प्रत्याशियों की भी फैक्ट्रीः छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से 5 के प्रत्याशी इसी जिले से
X
By Sandeep Kumar Kadukar

अनिल तिवारी

Chhattisgarh Loksabha Chunav 2024: रायपुर। भिलाई स्टील प्लांट की वजह से दुर्ग का नाम देश में जाना जाता है। एशिया के इस सबसे बड़े स्टील प्लांट को देश की आजादी के कुछ साल बाद 1955 में प्रारंभ किया गया था। बीएसपी में ऐसे उत्कृष्ट स्टील का निर्माण किया जाता है कि उसकी पटरियों पर ट्रेनें दौड़ती है। भारतीय रेलवे के लिए पटरियों का काम सिर्फ बीएसपी करता है। इससे बीएसपी की अहमियत को समझा जा सकता है। बीएसपी में नौकरी के चलते देश के सारे राज्यों के लोग भिलाई में रहते हैं। इसलिए भिलाई को लघु भारत भी कहा जाता है। बीएसपी का कारखाना और टाउनशिप से दुर्ग जिला मुख्यालय की दूरी मुश्किल से 10 किलोमीटर है। मगर दुर्ग इस समय बीएसपी की वजह से नहीं, प्रत्याशियों को लेकर चर्चा में है। वो इसलिए कि छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से दुर्ग को मिलाकर पांच सीटों पर दुर्ग के ही प्रत्याशी उतारे गए हैं।

हालांकि, चंदूलाल चंद्राकर, मोतीलाल वोरा जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता दुर्ग जिले से ही निकलकर देश की सियासत में बड़ी भूमिका निभाए। चंदूलाल देश के शीर्षस्थ अखबार के संपादक के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव बने थे। वहीं मोतीलाल वोरा मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे। फिर यूपी के राज्यपाल। केंद्र में कई विभागों के मंत्री भी।

सीएम समेत पांच मंत्री

छत्तीसगढ़ में जब 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी, तब दुर्ग से भूपेश बघेल मुख्यमंत्री चुने गए और पूरे पांच साल इस पद पर रहे। यही नहीं, मुख्यमंत्री समेत पांच मंत्री, रविंद्र चौबे, ताम्रध्वज साहू, मोहम्मद अकबर, रुद्र गुरू दुर्ग संभाग से ही थे। चार महीने पहले दिसंबर 2024 में छत्तीसगढ़ में सरकार बदल गई। भूपेश बघेल की कुर्सी से उतरते ही सत्ता का सेंटर भी बदल गया।

पांच सीटों के प्रत्याशी दुर्ग से

लोकसभा चुनाव में एक बार फिर दुर्ग का दम दिख रहा है। छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से पांच ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जिनमें दुर्ग जिले के नेताओं को प्रत्याशी बनाया गया है। इनमें दुर्ग संसदीय सीट के साथ ही राजनांदगांव, कोरबा, महासमुंद और बिलासपुर शामिल है। हालांकि, सोशल केमेस्टी को भी इसमें प्रायरिटी दी गई है। जिन नेताओं को मैदान पर उतारा गया है, उनमें पांच पिछड़े वर्ग से हैं। इनमें कुर्मी, साहू और यादव समाज से प्रत्याशी शामिल हैं। यही नहीं, सामान्य वर्ग की महिला प्रत्याशी सरोज पांडे कोरबा से मैदान में हैं। आखिर, क्या है दुर्ग के नेताओं को सियासी दंगल में उतारने का समीकरण? चलिए हम बताते हैं।

भूपेश बघेल, कांग्रेस प्रत्याशी, राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र


दुर्ग लोकसभा सीट को छोड़कर भूपेश बघेल को कांग्रेस ने राजनांदगांव से उम्मीदवार बनाया गया है। पाटन से कांग्रेस विधायक भूपेश बघेल दुर्ग जिले के ही रहने वाले हैं। दुर्ग सीट से अभी भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल सांसद हैं और वही फिर से इस सीट से मैदान में हैं। लेकिन कांग्रेस ने दुर्ग से भूपेश बघेल को टिकट देने की बजाय राजनांदगांव से उतारा। विधानसभा के नतीजों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस इसे अपने के लिए सुरक्षित मानकर चल रही है। राजनांदगांव लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में पांच सीटें आई थी। जबकि बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी ने यहां से सामान्य वर्ग के उम्मीदवार संतोष पांडेय को उतारा है ऐसे में पार्टी भूपेश बघेल पर दांव खेलकर ओबीसी वोटर्स को साधने की कोशिश की है। भूपेश बघेल राज्य में ओबीसी के सबसे बड़े चेहरे हैं। राजनांदगांव लोकसभा सीट से अभी बीजेपी के संतोष पांडेय सांसद हैं। बीजेपी ने यहां से फिर से मौजूदा सांसद को ही टिकट दिया है।

देवेंद्र यादव, कांग्रेस प्रत्याशी, बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र


भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को बिलासपुर लोकसभा का प्रत्यासी बनाने के पीछे कांग्रेस की अलग रणनीति है। दरअसल, बीजेपी ने यहां से तोखन साहू को प्रत्‍याशी बनाया है। ओबीसी वर्ग से आने वाले 54 साल के तोखन साहू को टिकट देकर बीजेपी ने ओबीसी के साथ साहू समाज को साधने की कोशिश की है, जिसके सबसे ज्यादा मतदाता हैं। इसी का काट निकालते हुए कांग्रेस ने यादव बहुल बिलासपुर से भिलाई के देवेंद्र यादव की पैराशूट लैंडिग कराई है। बिलासपुर में महापौर भी कांग्रेस का है और वे भी यादव समाज से रामशरण यादव हैं। इसका लाभ देवेंद्र यादव को मिल सकता है। पूरे छत्तीसगढ़ में साहू समाज के लोगों की संख्या 30 लाख, 5 हजार से ज्यादा है। ये प्रदेश की आबादी का 24.3 फीसदी है। इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने तोखन साहू को मैदान में उतारा, तो कांग्रेस ने भी प्रदेश के 22 लाख 67 हजार से ज्यादा की संख्या वाले यादव समाज को साधने की कोशिश की है। राज्य में ओबीसी वर्ग में दूसरे नंबर पर यादव समाज के ही लोग हैं, जो यहां की जनसंख्या के 18.12 फीसदी हैं।

ताम्रध्वज साहू, कांग्रेस प्रत्याशी, महासमुंद लोकसभा क्षेत्र

कांग्रेस ने पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को महासमुंद लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से मिली हार के बाद महासमुंद सीट से उन्हें टिकट दी गई है। दुर्ग जिले के ताम्रध्वज साहू को महासमुंद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाने के पीछे कांग्रेस की बड़ी रणनीति है। क्योंकि सामान्य सीट होने के बावजूद महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग की जनसंख्या ज्यादा है। यहां 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इनमें साहू, अघरिया, यादव, कुर्मी और कोलता समाज के लोग हैं। यही वजह है कि जाति समीकरण को ध्यान में रखकर ओबीसी समुदाय के प्रत्याशी को टिकट दिया है। चार बार विधायक और एक बार सांसद का चुनाव जीत चुके ताम्रध्वज के सामने भाजपा प्रत्याशी रुपकुमारी चौधरी मुकाबले में हैं। जातिगत समीकरण में फिट रुपकुमारी चौधरी को लेकर बीजेपी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है। लेकिन अब तक हुए 19 चुनाव में 12 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। लोकसभा की पांच विधानसभा सीटों पर बीजेपी और तीन पर कांग्रेस काबिज है। विद्याचरण शुक्ल, अजीत जोगी, पं. श्यामाचरण शुक्ल जैसे दिग्गज राजनीतिज्ञों की सियासी भूमि पर साहू समाज के भरोसे ताम्रध्वज की नैया कितनी पार लगेगी, नतीजे ही बताएंगे।

सरोज पांडेय, भाजपा प्रत्याशी, कोरबा लोकसभा क्षेत्र


2019 में जब पूरा देश मोदी लहर पर सवार था, तो कोरबा लोकसभा क्षेत्र बीजेपी गंवा बैठी थी। यहां से दिग्गज कांग्रेस नेता और वर्तमान में छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत सांसद हैं। कांग्रेस ने उन्हें दूसरी बार इस सीट से मैदान में उतारा है। उनके मुकाबले भाजपा ने दुर्ग जिले की राज्यसभा सांसद रहीं पार्टी की तेजतर्रार और महिला नेत्री सरोज पांडेय के मुकाबले में खड़ा किया है। दुर्ग से सरोज पांडेय को कोरबा शिफ्ट करने के पीछे भाजपा का अलग सियासी समीकरण है। कांग्रेस की इस सीट को छीनने उसने महिला के मुकाबले महिला उम्मीदवारी बहुत पहले से तय कर रखी थी। इसका पता इसलिए चलता है कि अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले और टिकट के ऐलान से पहले सरोज पांडेय ने 12 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात दी थी। दुर्ग में हमेशा भितरघात का शिकार होने वाली सरोज पांडेय, जब पूरे देश में मोदी लहर थी, तो 2014 में चुनाव हार गई थीं। कोरबा में सरोज पांडेय को बाहरी प्रत्याशी बताकर घेरने की कोशिश हुई, तो उन्होंने ज्योत्सना पांडेय को भी कोरबा से बाहर का बताकर हमला किया। कोरबा वैसे तो सामान्य सीट है, लेकिन यहां बहुलता अनुसूचित जनजाति की है। ओबीसी और सामान्य 42 फीसदी हैं, तो अनुसूचित जनजाति के 44.5 फीसदी। इस सीट पर जातीय समीकरण से ज्यादा दिग्गज नेताओं का प्रोफाइल काम करता है। बीजेपी ने यहां अपनी दमदार महिला नेत्री को मैदान में उतारकर इसे और भी हाईप्रोफाइल कर दिया। लिहाजा कांग्रेस ने महिला सांसद का टिकट नहीं काटा और ज्योत्सना महंत रिपीट की गईं।

राजेंद्र साहू, कांग्रेस प्रत्याशी, दुर्ग लोकसभा क्षेत्र


कांग्रेस ने अपनी पहली ही सूची में राजेंद्र साहू को दुर्ग से उम्मीदवार बना दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी और साहू समाज का होने की वजह से राजेंद्र को टिकट मिली। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी आबादी साहू समाज की है। जिनकी संख्या करीब 33 फीसदी है। वहीं कुर्मी वोटर की संख्या 22 फीसदी है। बाकी 15 फीसदी में सतनामी समाज और यादव समाज के लोग हैं। जिला सहकारी बैंक दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र साहू को दाऊ वासुदेव का राजनीतिक शिष्य माना जाता है। स्वाभिमान मंच से दुर्ग विधायक और महापौर का चुनाव लड़ चुके राजेंद्र साहू 2017 में कांग्रेस में शामिल हुए। राजेंद्र साहू को उनके समाज का आशीर्वाद भी मिला हुआ है। लिहाजा जातिगत समीकरण भी उनके साथ है और भूपेश बघेल का आशीर्वाद भी राजेंद्र साहू के पास था। लिहाजा उन्हें आसानी से टिकट मिल गई।

विजय बघेल, भाजपा प्रत्याशी, दुर्ग लोकसभा क्षेत्र


छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद से ही दुर्ग लोकसभा ही ऐसी सीट थी, जहां पर प्रत्याशी का टिकट फाइनल माना जा रहा था। हुआ भी वही। भाजपा ने फिर से मौजूदा सांसद विजय बघेल पर भरोसा किया। वजह थी विधानसभा चुनाव में उनका परफॉर्मेंस। उन्होंने तत्कालीन मु्ख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस सीट से कड़ी चुनौती दी थी। लग रहा था कि भूपेश बघेल को दुर्ग से ही टिकट मिल सकता है और मुकाबला एक बार फिर चाचा-भतीजा के बीच होगा। 2008 में वे एक बार भूपेश बघेल को हरा भी चुके हैं। लिहाजा पहली ही सूची में विजय बघेल का नाम फाइनल हो गया। विजय बघेल कुर्मी समाज से ताल्लुकात रखते हैं। दुर्ग लोकसभा इलाके में 22 फीसदी वोटर कुर्मी हैं।

Sandeep Kumar Kadukar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

Read MoreRead Less

Next Story