Chhattisgarh Congress News: कांग्रेस में द्वंद्व: रायपुर में विवाद सामने आया तो दूसरे जिलों में कलह कम नहीं, असंतुष्टों की संख्या बढ़ती जा रही...
Chhattisgarh Congress News: छत्तीसगढ़ कांग्रेस में मंडल स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने का जिम्मा पूर्व मंत्री व विधायकों को दिया जा रहा है।

Chhattisgarh Congress News: रायपुर। कांग्रेस की आर्थिक नाकेबंदी कितनी सफल या असफल हुई, इसकी जगह राजधानी रायपुर में दो कांग्रेस नेताओं सुशील आनंद शुक्ला और गिरीश दुबे की सार्वजनिक रूप से हुई खटपट पर ज्यादा चर्चा होती रही है। कहा जाता है कि मनभेद तो काफी वक्त से भीतर ही भीतर चल रहा था, कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान कुछ ऐसी बात हुई कि यह मतभेद के रूप में उभर कर सामने आ गया। कांग्रेस सरकार जाने के बाद संगठन को दुरुस्त करने के लिए कोई कवायद नहीं की गई और न ही असंतोष रोकने के उपाय किए गए। कांग्रेस के बड़े नेताओं को इसकी भी खबर है कि रायपुर के अलावा बिलासपुर सहित दूसरे शहरों में नेताओं में सामंजस्य का भारी अभाव पैदा हो गया है। ज्यादातर जिलों के नेता एकला चलो की जगह अपने- अपने रास्ते पर चल रहे हैंं। शायद यही कारण है कि आर्थिक नाकेबंदी के दौरान कुछ इलाकों में कांग्रेस का प्रभावी प्रदर्शन नहीं दिखा।
रायपुर में विधानसभा चुनाव के वक्त जिला कांग्रेस को किनारे कर टिकट के दावेदार जिस तरह से संगठन के बड़े नेताओं के माध्यम से सामने आ रहे थे, उससे ही साफ हो गया था कि संगठन की भूमिका कमजोर हो रही है। कांग्रेस में चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाला हर टिकट दावेदार किसी न किसी बड़े नेता की शरण में रहता है। यही कारण है कि राहुल गांधी ने ब्लाक स्तर से जिला स्तर तक के सभी निष्क्रिय और पुराने मठाधीशों को हटा कर नए व उत्साहित लोगों को जिम्मेदारी देने का अभियान चलाया हुआ है। संगठन सृजन के नाम से चल रहा यह अभियान कितना सफल होगा, यह तो वक्त बताएगा। फिलहाल कांग्रेस में सामंजस्य का अभाव साफ दिख रहा है।
बिलासपुर की बात करें तो यहां विधानसभा से लोकसभा और फिर नगरीय निकाय चुनाव के दौरान गुटबाजी साफ दिखी थी। शहर और ग्रामीण, दोनों जिला अध्यक्षों पर मनमानी का आरोप लगता रहा। टिकट वितरण के वक्त भी ज्यादातर नामों पर सहमति नहीं बनी। हालत यह हो गई थी कि नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे सामने आने से पहले ही कांग्रेस नेताओं को हार का अनुमान हो गया था और भीतरघात के नाम पर चुन- चुन कर नेताओं को पार्टी से सीधे बाहर निकालने का किया गया। इसमें कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव भी लपेटे में आ गए और उनकेे खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा जिला कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेज दिया था। हालांकि पूरे मामले की जांच हुई और रिपोर्ट अब ठंडे बस्ते में चली गई है।
सरगुजा और बस्तर संभाग में असंतुलन से बच नहीं सके हैं। बस्तर में खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज हैं, तो सरगुजा में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव हैं। इन दोनों नेताओं के इलाके में भी असंतुष्ट कांग्रेस नेता हैं, जाे मानते हैं कि उन्हें महत्व नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस ने अब सेक्टर नेताओं की नियुक्ति की गई, जो अपने प्रभार के जिलों में जाकर मंडल स्तर पर संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे। अभी ब्लाक स्तर पर नए नेताओं की नियुक्तियां की जा रही हैं, इसके बाद जिलों का नंबर आएगा। उससे पहले सेक्टर के प्रभारी नेताओं को जिलों में जाकर मीटिंग भी करनी है।
