Chhattisgarh Bandh 24 December : धर्मांतरण और हमले के खिलाफ कल छत्तीसगढ़ बंद : सर्व आदिवासी समाज की हुंकार, चैंबर ऑफ कॉमर्स का मिला साथ
Chhattisgarh Bandh 24 December : कांकेर जिले के आमाबेड़ा (बड़े तेवड़ा) में हुए विवाद और स्थानीय जनजाति समाज पर हुए कथित हमले के विरोध में 24 दिसंबर (बुधवार) को छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया गया है।

Chhattisgarh Bandh 24 December : धर्मांतरण और हमले के खिलाफ कल छत्तीसगढ़ बंद : सर्व आदिवासी समाज की हुंकार, चैंबर ऑफ कॉमर्स का मिला साथ
Chhattisgarh Bandh 24 December : रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा एक बार फिर सुलग उठा है। कांकेर जिले के आमाबेड़ा (बड़े तेवड़ा) में हुए विवाद और स्थानीय जनजाति समाज पर हुए कथित हमले के विरोध में 24 दिसंबर (बुधवार) को छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया गया है। इस बंद को सर्व समाज (सर्व आदिवासी समाज) ने पुकारा है, जिसे प्रदेश के सबसे शक्तिशाली व्यापारिक संगठन छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (CCCI) ने अपना पूर्ण समर्थन देकर इसे और प्रभावी बना दिया है।
Chhattisgarh Bandh 24 December : विवाद की जड़ : क्या हुआ था आमाबेड़ा में? पूरा विवाद कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र के बड़े तेवड़ा गांव से शुरू हुआ। बताया जा रहा है कि एक धर्मांतरित व्यक्ति के शव को दफनाने को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और मिशनरियों के बीच ठन गई। स्थानीय जनजाति समाज का तर्क था कि चूंकि व्यक्ति ने अपना धर्म बदल लिया है, इसलिए उसे पारंपरिक रीति-रिवाजों वाली जमीन पर नहीं दफनाया जा सकता। इस बहस ने हिंसक रूप ले लिया। आरोप है कि मिशनरियों ने योजनाबद्ध तरीके से स्थानीय समाज पर हमला किया, जिसमें कई लोग घायल हुए। इस घटना के बाद पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई को "एकतरफा" बताते हुए सर्व समाज ने प्रदेशव्यापी आंदोलन का रास्ता चुना है।
Chhattisgarh Bandh 24 December : चैंबर की बैठक : व्यापारियों ने दिखाई एकजुटता सोमवार को रायपुर स्थित प्रदेश कार्यालय में चैंबर अध्यक्ष सतीश थौरानी की अध्यक्षता में एक हाई-प्रोफाइल बैठक हुई। इसमें रायपुर समेत प्रदेश भर के व्यापारिक संगठनों ने हिस्सा लिया। बैठक के मुख्य बिंदु इस प्रकार रहे:
प्रशासनिक भेदभाव का आरोप : चैंबर महामंत्री अजय भसीन ने घटना की जानकारी देते हुए कहा कि प्रशासन का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा है, जिससे व्यापारियों और आम जनता में रोष है।
सुरक्षा का सवाल: पूर्व विधायक और चैंबर संरक्षक श्रीचंद सुंदरानी ने दो टूक कहा कि धर्मांतरण की ये घटनाएं प्रदेश की सामाजिक समरसता और शांति के लिए गंभीर खतरा हैं। उन्होंने व्यापारियों से अपील की कि वे अपनी सुरक्षा और स्वाभिमान के लिए इस बंद को सफल बनाएं।
गांव-गांव तक असर: पूर्व विधायक लाभचंद बाफना ने सुझाव दिया कि यह बंद केवल रायपुर या बड़े शहरों तक सीमित न रहे। बस्तर से लेकर सरगुजा तक, छोटे से छोटे दुकानदार को इस मुहिम से जोड़ा जाए ताकि एकता का संदेश दिल्ली तक पहुंचे।
व्यापारी उतरेंगे सड़कों पर, कलेक्टर को देंगे अल्टीमेटम
निर्णय लिया गया है कि 24 दिसंबर को व्यापारी केवल शटर गिराकर घर नहीं बैठेंगे, बल्कि प्रमुख चौराहों पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन करेंगे। भाटागांव व्यापारी संघ ने घोषणा की है कि वे इस मुद्दे पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे। बंद के दौरान अस्पताल, एम्बुलेंस और दवा दुकानों जैसी आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण विवाद और बंद की पिछली घटनाएं
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर 'प्रदेश बंद' या बड़े आंदोलन का यह पहला मामला नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में बस्तर और मैदानी इलाकों में ऐसे कई मौके आए हैं जब समाज सड़कों पर उतरा है:
नारायणपुर दंगा (जनवरी 2023): धर्मांतरण को लेकर नारायणपुर में भीषण तनाव हुआ था। चर्च में तोड़फोड़ और पुलिस अधिकारियों पर हमले के बाद पूरे बस्तर में बंद का माहौल रहा। तब भी आदिवासी समाज ने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के खिलाफ 'बस्तर बंद' का आह्वान किया था।
कवर्धा ध्वज विवाद (अक्टूबर 2021): कवर्धा में झंडा हटाने को लेकर हुए विवाद ने भी सांप्रदायिक और धार्मिक रंग लिया था, जिसके बाद पूरे छत्तीसगढ़ में हिंदू संगठनों और व्यापारिक संगठनों ने ऐतिहासिक बंद रखा था। उस समय भी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने व्यापारिक हितों के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर समर्थन दिया था।
दंतेवाड़ा और सुकमा (2022-23): बस्तर के अंदरूनी इलाकों में मसीही समाज और मूल निवासी आदिवासियों के बीच शव दफनाने को लेकर दर्जनों बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं। हर बार इन घटनाओं ने छोटे स्तर पर स्थानीय बंद और चक्काजाम को जन्म दिया है।
कल यानी 24 दिसंबर को होने वाला बंद केवल एक व्यापारिक विरोध नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक संदेश देने की कोशिश है। यदि बंद पूर्णतः सफल रहता है, तो यह शासन-प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं ताकि बंद के दौरान कहीं भी अप्रिय घटना न हो।
