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CGMSC Scame- 314 करोड़ का रीएजेंट घोटाला: जिस रीएजेंट की जिला अस्पतालों में बहुत कम रहती है डिमांड, प्राइमरी हेल्थ सेंटरों में थोक के भाव में कर दी आपूर्ति

CGMSC Scame: EOW जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। घपले-घोटालेबाजों ने सब-कुछ जानते हुए भी एक फर्म विशेष को फायदा पहुंचाने सरकारी खजाने को जमकर चोंट पहुंचाई है। घपले का एक बानगी देखिए, EOW ने स्पेशल कोर्ट को सौंपे जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है कि घपलेबाजों ने ऐसे रीएजेंट जिसकी आवश्यकता जिला अस्पतालों में भी बहुत कम होती है, उसकी आपूर्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी भारी तादादमें कर दी है। ऐसे अस्पतालों में उपयोग हेतु आवश्यक मशीनें, प्रशिक्षित मानव संसाधन या स्टोरेज सुविधाएं ही नहीं थीं।

CGMSC Scame- 314 करोड़ का रीएजेंट घोटाला: जिस रीएजेंट की जिला अस्पतालों में बहुत कम रहती है डिमांड, प्राइमरी हेल्थ सेंटरों में थोक के भाव में कर दी आपूर्ति
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CGMSC Scam

By Radhakishan Sharma

CGMSC Scame-रायपुर। 314 करोड़ के रीएजेंट घोटाले में शामिल घपलेबाजों को शासन के दिशा निर्देशों, गाइड लाइन व जरुरी शर्तें सभी कुछ की जानकारी थी। इसके बाद भी घोटाले को अंजाम दिया। रीएजेंट खरीदी के लिए नियम कायदे को तो ताक पर रखा साथ ही मानव स्वास्थ्या के साथ भी खिलवाड़ किया है। विशेषज्ञों को यह बात अच्छी तरह पता है कि रीएजेंट को सुरक्षित स्टोरेज के लिए रेफ्रिजरेटर के साथ ही 2-8 डिग्री सेल्सियस डिजिटल डिस्प्ले रेफ्रीजरेटर की आवश्यकता होती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जहां रेफ्रिजरेटर नहीं है वहां इसकी आपूर्ति कर दी है।

DPDMIS सॉफ्टवेयर में क्रय आदेश तभी दर्ज हो सकते हैं जब पर्याप्त बजट हो, इस बाध्यता से बचने के लिए CGMSC के प्रबंध संचालक द्वारा एंटीसीपेटरी फंड की प्रविष्टि करवाई गई और लगभग 314 करोड़ रूपये की एंट्री सॉफ्टवेयर में कर दी गई। इसके लिए न तो वित्त नियंत्रक की राय ली गई और न ही वित्त विभाग से परामर्श किया गया। पूरे मांग पत्र के क्रय आदेश सिर्फ 26-27 दिनों के भीतर मोक्षित कॉर्पोरेशन को जारी कर दिया गया। यह क्रियाविधि न केवल असामान्य रूप से शीघ्र थी, बल्कि प्रक्रिया के साथ मजाक करने जैसा था।

0 डीपीडीएमआईएस (DPDMIS) सॉफ्टवेयर की कर दी अनदेखी

औषधियों की आपूर्ति हेतु राज्य स्तर पर डीपीडीएमआईएस (DPDMIS) सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता था, परंतु रीजेंट्स एवं कंज्यूमेबल्स की माँग हेतु ऐसी कोई सॉफ्टवेयर आधारित प्रक्रिया उपलब्ध नहीं थी। इस कारण शासन द्वारा एक विधिवत राज्य स्तरीय निरीक्षण एवं परीक्षण तकनीकी समिति का गठन किया गया, जिसकी बैठक दिनांक 15.05. 2023 को प्रस्तावित थी किन्तु वैधानिक कोरम की पूर्ति न होने के कारण यह बैठक निरस्त कर दी गई।

0 सुविधा ना होने की जानकारी के बाद भी कर दी आपूर्ति

रीएजेंट के रखरखाव के लिए 2-8 डिग्री सेल्सियस डिजिटल डिस्प्ले रेफ्रीजरेटर की आवश्यकता का सुझाव दिया था। इस समिति में डॉ अनिल परसाई भी सदस्य थे। स्वास्थ्य संस्थानों में रीएजेंट के भण्डारण के लिए आवश्यक उक्त रेफ्रीजरेटर नही होना संज्ञान में होते हुए भी संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा न सिर्फ वृहद इंडेंट तैयार किये गये बल्कि स्वास्थ्य केन्द्रों में रीएजेंट आपूर्ति करने के भी निर्देश सीजीएमएससीएल को दे दिये गये। विवेचना में पाया गया कि 15.06. 2023 एवं 16.06.2023 को रीएजेंट्स के क्रय आदेश जारी करने के बाद सीजीएमएससीएल को स्वास्थ्य केन्द्रों को मूलभूत सुविधाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त हो चुकी थी। जिससे संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं को भी अवगत कराया गया था। परंतु संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं ने उक्त तथ्य की जानकारी होने के बावजूद न तो रेफ्रीजरेटर की आपूर्ति स्वास्थ्य संस्थाओं को की और न ही सीजीएमएसससीएल को कय आदेश निरस्त करने के निर्देश दिये। इसी प्रकार सीजीएमएससीएल के अधिकारियों ने भी प्रथम कय आदेश निरस्त न करते हुए दिनांक 12.07.2023 को पुनः रीएजेंट के द्वितीय कय आदेश जारी कर दिये ।

0 EOW ने कुछ ऐसे लगाए आरोप

संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें द्वारा उपकरण एवं रीएजेंट की आवश्यकता के संबंध में समुचित आकलन किये बिना मांग पत्र सीजीएमएससीएल को प्रेषित की गई। इनके द्वारा स्वास्थ्य केन्द्रों में मूलभूत सुविधाओं, मानव संसाधन, रेफ्रीजरेटर एवं अन्य का आकलन किये बिना मांग पत्र जारी किया जिससे सीजीएमएससीएल द्वारा कय प्रक्रियाओं का पालन न करते हुए मेडिकल उपकरण एवं रीएजेंट की आपूर्ति कर दी गई।

विवेचना में पाया गया कि रीजेंट्स की खरीदी स्वास्थ्य संस्थानों की वास्तविक आवश्यकता का वैज्ञानिक मूल्यांकन किए बिना की गई, जो सार्वजनिक धन का घोर दुरुपयोग है। प्रकरण की गहन विवेचना से यह तथ्य स्थापित होता है कि सामान्यतः औषधियों की आपूर्ति हेतु राज्य स्तर पर डीपीडीएमआईएस (DPDMIS) सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता था, परंतु रीजेंट्स एवं कंज्यूमेबल्स की माँग हेतु ऐसी कोई सॉफ्टवेयर आधारित प्रक्रिया उपलब्ध नहीं थी। इस कारण शासन द्वारा एक विधिवत राज्य स्तरीय निरीक्षण एवं परीक्षण तकनीकी समिति का गठन किया गया, जिसकी बैठक दिनांक 15.05. 2023 को प्रस्तावित थी किन्तु वैधानिक कोरम की पूर्ति न होने के कारण यह बैठक निरस्त कर दी गई।

इसके उपरांत, आरोपी डॉ. अनिल परसाई द्वारा दिनांक 23.05.2023 को संचालक स्वास्थ्य सेवाएं की अनुमति के बिना जो कि एक उच्च प्रशासनिक एवं वैधानिक प्राधिकारी है- स्वेच्छाचारी ढंग से पुनः एक नई राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया। यह कार्यवाही पूर्णतः प्राधिकृत आदेश के अभाव में की गई तथा प्रशासकीय शक्ति का दुरुपयोग स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। उक्त समिति में डॉ. परसाई स्वयं को पुनः सदस्य के रूप में नामांकित कर निर्णय प्रक्रिया को अपने नियंत्रण में रखा।

समिति की बैठक में न तो विधिवत सामूहिक विमर्श कराया गया, न ही सभी नामांकित सदस्यों से हस्ताक्षर लिए गए। डीएचएस के अधिकारी द्वारा टेबल टॉप एक्सरसाईज करते हुए समिति के समक्ष तथ्यों को छुपाते हुए इंडेंट शीट तैयार कराये गये विवेचना में यह तथ्य सामने आया है कि विभिन्न अवसरों पर केवल चार सदस्यों से पृथक-पृथक हस्ताक्षर कराए गए, जो कि प्रक्रिया की पारदर्शिता एवं वैधता को सीधा आघात पहुँचाता है। इसके अतिरिक्त, समिति द्वारा हाथ से तैयार की गई ड्राफ्ट इंडेंट शीट को दरकिनार कर डॉ. परसाई एवं अन्य द्वारा मनोनुकूल एवं पूर्वनिर्धारित इंडेंट सूची तैयार कर सीजीएमएससीएल को दिनांक 02.06.2023 को संपूर्ण पर्चेस ऑर्डर जारी करने हेतु पत्राचार किया गया। यह संपूर्ण कार्यवाही स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है कि डॉ. अनिल परसाई ने न केवल समिति के अधिकारों का उल्लंघन किया, अपितु एक विधिसम्मत मंच को निष्क्रिय करते हुए एकपक्षीय निर्णय लिया।

0 गंभीर आरोप, मानव स्वास्थ्य के साथ किया खिलवाड़

ऐसे रीएजेंट जिसकी आवश्यकता जिला अस्पतालों में भी बहुत कम होती है उनकी आपूर्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी पर्याप्त मात्रा में कर दी गई। जबकि वहां उपयोग हेतु आवश्यक मशीनें, प्रशिक्षित मानव संसाधन या स्टोरेज सुविधाएं ही नहीं थीं। स्पष्ट है कि यह निर्णय अनावश्यक और विवेकहीन था। संचालनालय द्वारा बनाई गई मांग की गणना भी किसी वैज्ञानिक आधार पर नहीं थी, बल्कि पूर्व निर्धारित इंडेंट शीट पर आधारित थी, जो मात्र एक रफ प्रारूप था।

इस खरीदी के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों में मानव संसाधन की उपलब्धता, स्टोरेज क्षमता की जांच, विद्युत आपूर्ति, स्थान की उपलब्धता आदि का परीक्षण नहीं किया गया। इसके अतिरिक्त, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा किसी भी संस्थान के मौजूदा संसाधनों की पुष्टि किए बिना रीजेंट्स की अनुशंसा कर दी गई। स्पष्ट है कि यह संपूर्ण प्रक्रिया योजनाबद्ध लापरवाही, जल्दबाजी, मिलीभगत और वित्तीय अपारदर्शिता का परिचायक है।

0 बजट और ना ही शासन की स्वीकृति, कर दिया 314.81 करोड़ रूपये के पर्चेस आर्डर

संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा मेडिकल एवं रीएजेंट की आपूर्ति हेतु मांग पत्र भेजे जाने के पूर्व बजट की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई। सीजीएमएससीएल द्वारा भी पूरे मांग पत्र का क्रय आदेश केवल 26-27 दिनों के अंतराल में कर दिया गया। रीएजेंट के रखरखाव की उचित व्यवस्था नही होने के बावजूद रीएजेंट के कय आदेश जारी कर आपूर्तिकर्ता को लाभ पहुंचाया गया।

रीएजेंट्स की खरीदी हेतु दिनांक 02.06.2023 के मांग पत्र पर ही कुल 314.81 करोड़ रूपये के पर्चेस ऑर्डर CGMSC द्वारा जारी किए गए, जिनका कय एंटीसीपेटरी बजट अनुमोदन के आधार पर की गई, जबकि इस हेतु कोई स्वीकृत बजट या शासन से प्रशासनिक अनुमति उपलब्ध नहीं थी। डीएचएस द्वारा भी न तो खरीदी के लिए कोई बजट सुनिश्चित किया गया, न ही शासन से वित्तीय अनुमति प्राप्त की गई।

0 सरकारी खजाने पर सेंध लगाकर मोक्षित कारपोरेशन को पहुंचाई बेजा लाभ

300 करोड़ रूपये से अधिक के रीएजेंट के मांग भेजे जाने के पूर्व आंतरिक वित्तीय अधिकारी से भी राय नही लिया गया। डीपीडीएमआईएस (DPDMIS) सॉफ्टवेयर में क्रय आदेश तभी दर्ज हो सकते हैं जब पर्याप्त बजट हो इस बाध्यता से बचने के लिए CGMSC के प्रबंध संचालक द्वारा एंटीसीपेटरी फंड की प्रविष्टि करवाई गई और लगभग 314 करोड़ रूपये की एंट्री सॉफ्टवेयर में कर दी गई। इसके लिए न तो वित्त नियंत्रक की राय ली गई और न ही वित्त विभाग से परामर्श किया गया। पूरे मांग पत्र के कय आदेश सिर्फ 26-27 दिनों के भीतर मोक्षित कॉर्पोरेशन को जारी कर दिया गया। यह क्रियाविधि न केवल असामान्य रूप से शीघ्र थी, बल्कि प्रक्रिया के साथ मजाक करने जैसा था।

रीजेंट की आपूर्ति 6-8 माह की अनुमानित आवश्यकता के अनुसार की जानी थी, लेकिन CGMSC ने समूची मात्रा की खरीद अत्यधिक शीघ्रता से कर डाली, जिससे न केवल अधिक मात्रा में रीजेंट अनावश्यक रूप से भेजे गए, बल्कि स्टोरेज और उपयोग की क्षमता से कहीं अधिक आपूर्ति हो गई। यह भी पाया गया कि अधिकांश PHC/CHC में मशीनें इंस्टॉल नहीं हुई थीं, या कोल्ड स्टोरेज व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण बड़ी मात्रा में रीजेंट एक्सपायर हो गए। यह संपूर्ण प्रक्रिया वित्तीय पारदर्शिता, स्वीकृति, जवाबदेही और शासन की अनुमति के बिना की गई। जिससे सरकार को गंभीर आर्थिक जोखिम उत्पन्न हुआ। इस आदेश के माध्यम से मोक्षित कॉर्पोरेशन को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।

0 बगैर रेफ्रिजेरेटर रीएजेंट की कर दी सप्लाई

रिएजेंट के भण्डारण हेतु रेफ्रिजेरेटर की आवश्यकता थी और उनका भण्डारण 4°C पर किया जाना था, परंतु यह जानते हुये कि सुविधा केन्द्रो में इनके भण्डारण के लिए आवश्यक मशीनरी उपलब्ध नही है फिर भी ऐसे रीएजेंट का कय आदेश पूरी मात्रा में जारी किया गया। सीजीएमएससी को भण्डारण एवं वितरण का संज्ञान था किन्तु संज्ञान होते हुए वास्तविक तथ्यों की अनदेखी करते हुये रिएजेंट के आपूर्तिकर्ता को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की दृष्टि से निर्धारित सतर्कता एवं स्थापित शासन की प्रक्रिया का पालन नही किया गया हैं।

15वें वित्त आयोग के तहत् उपकरणों के तकनीकी विनिर्देश निर्धारित करने वाले समिति ने रीएजेंट के रखरखाव के लिए 2-8 डिग्री सेल्सियस डिजिटल डिस्प्ले रेफ्रीजरेटर की आवश्यकता का सुझाव दिया था। इस समिति में डॉ० अनिल परसाई भी सदस्य थे। स्वास्थ्य संस्थानों में रीएजेंट के भण्डारण के लिए आवश्यक उक्त रेफ्रीजरेटर नही होना संज्ञान में होते हुए भी संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा न सिर्फ वृहद इंडेंट तैयार किये गये बल्कि स्वास्थ्य केन्द्रों में रीएजेंट आपूर्ति करने के भी निर्देश सीजीएमएससीएल को दे दिये गये। विवेचना में पाया गया कि दिनांक 15.06. 2023 एवं 16.06.2023 को रीएजेंट्स के कय आदेश जारी करने के बाद सीजीएमएससीएल को स्वास्थ्य केन्द्रों को मूलभूत सुविधाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त हो चुकी थी। जिससे संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं को भी अवगत कराया गया था। परंतु संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं ने उक्त तथ्य की जानकारी होने के बावजूद न तो रेफ्रीजरेटर की आपूर्ति स्वास्थ्य संस्थाओं को की और न ही सीजीएमएसससीएल को कय आदेश निरस्त करने के निर्देश दिये। इसी प्रकार सीजीएमएससीएल के अधिकारियों ने भी प्रथम कय आदेश निरस्त न करते हुए दिनांक 12.07.2023 को पुनः रीएजेंट के द्वितीय कय आदेश जारी कर दिये । जिससे आपूर्तिकर्ता द्वारा पूरे रीएजेंट की आपूर्ति एक साथ कर दी गई। जिससे अत्यधिक मात्रा में रीएजेंट्स एक्सपायर हो गये।

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