CGMSC Scame: साढ़े तीन अरब के रीजएजेंट्स घोटाले में कार्टेलाइजेशन का सूत्रधार निकला शशांक चोपड़ा, टेंडर फिक्सिंग को दिया अंजाम
CGMSC Scam: EOW की जांच रिपोर्ट में सीजीएमसीएल में साढ़े तीन अरब के रीएजेंट्स घोटाले में कार्टेलाइजेशन का सूत्रधार कोई और नहीं शशांक चाेपड़ा ही है। सीजीएमसीएल के छह अफसरों को करोड़ों का रिश्वत देकर अरबों हथिया लिया। शशांक चोपड़ा मोक्षित कार्पोरेशन एवं मोक्षित इन्फ्रास्ट्रक्चर एण्ड डेवलपर्स के पार्टनर तथा मोक्षित मेडिकेयर प्राईवेट लिमिटेड का डायरेक्टर है। इन्हीं कंपनियों के जरिए सरकारी खजाने को अरबों का चोट पहुंचाया है।

CGMSC Scam
CGMSC Scame-रायपुर। EOW द्वारा स्पेशल कोर्ट में पेश की रिपोर्ट में चाैंकाने वाला खुलासा किया है। साढ़े तीन अरब के रीएजेंट्स घोटाले के मास्टर माइंड कहें या फिर कार्टेलाइजेश का सूत्रधार, सब-कुछ शशांक चाेपड़ा ही है। जांच रिपोर्ट के अनुसार कार्टेलाइजेशन का सूत्रधार शशांक चोपड़ा ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) की निविदा प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए अपनी प्रभाव में रही फर्मों- श्री शारदा इंडस्ट्रीज, रिकॉर्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड का योजनाबद्ध तरीके से उपयोग किया। इन फर्मों को उसने मोक्षित कॉर्पोरेशन के समान उत्पाद, कोटेशन व रीएजेंट स्पेसिफिकेशन प्रस्तुत करने हेतु राजी किया। ऐसा कर टेंडर में होने वाली प्रतिस्पर्धा को ही खत्म कर दिया। जैसे ही तीनों कंपनियों ने अपनी सहमति दी,टेंडर मोक्षित कार्पोरेशन ने हथिया ली। ईओडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि यह एक पूर्वनियोजित बिड-रिगिंग और टेंडर फिक्सिंग की साजिश थी, जो सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।
टेंडर शर्तों को 'टेलर मेड' बनाने का किया काम
मोक्षित कार्पोरेशन ने टेंडर की शर्तों को अपनी आवश्यकताअनुरूप तैयार करावाकर संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं एवं सीजीएमएससीएल के अधिकारी व कर्मचारी के साथ सुनियोजित तरीके से षडयंत्र पूर्वक निविदा की शर्तों को टेलर-मेड तैयार करवाया। इसके पीछे की मंशा भी साफ थी कि अरबों के इस खेल में प्रतिस्पर्धा को पूरी तरह खत्म करना और टेंडर हथियाना ही था। शशांक चोपड़ा अफसरों से मिलीभगत कर इस षड़यंत्र में पूरी तरह सफल भी हो गया। शशांक चोपड़ा ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) की निविदा प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए फर्मों और दस्तावेजों का संगठित रूप से उपयोग किया। उसने केवल बाहरी स्तर पर ही नहीं, बल्कि संस्था के भीतर प्रशासनिक ढांचे में भी अपना प्रभाव स्थापित किया। वरिष्ठ अधिकारी बसंत कौशिक, जो टेंडर स्क्रूटनी कमेटी के प्रमुख सदस्य थे, शशांक चोपड़ा के निकट संपर्क में थे और उसके इशारे पर ही पूरे घालमेल को अंजाम देते रहे।
फर्जी कंपनी और बोगस बिल, करोड़ों का भुगतान
शशांक चोपड़ा ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में आपूर्ति किये गये मेडिकल उपकरणों के इस्टॉलेशन, आफटर सेल्स सर्विसेस एवं प्रीवेंटिव मेंटनेंस के लिए स्वयं, मित्रगण एवं रिश्तेदारों के माध्यम से नये फर्म का पंजीयन कराकर उनसे ओवर बिलिंग प्राप्त कर करोड़ो रूपये का वारा-न्यारा कर दिया।
शशांक चोपड़ा ने प्री-बिड मीटिंग के दौरान तीन फर्म्स द्वारा दिये गये प्रस्तुतीकरण एवं सुझाव को संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं के अधिकारी डॉ अनिल परसाई के साथ मिलकर वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं किया, या फिर जानबुझकर फाइलों को लंबित रखवाया, ताकि उपकरणों के स्पेसिफिकेशन बदले न जा सके। निविदा प्रक्रिया कमांक-182 में भी विभिन्न चरणों में प्राप्त दावा-आपत्तियों को निराकरण कराए बिना ही अफसरों से मिलकर टेंडर हासिल कर लिया।
0 तीन कंपनियां, तीनों के दस्तावेज व प्रोडक्ट एक समान
शशांक चोपड़ा ने सीजीएमएससीएल द्वारा जारी निविदा कमांक-182 ईक्यूपी सीजीएमएससीएल 2022-23, 26.अगस्त.2022 के अंतर्गत जमा किये गये दस्तावेज में उपकरणों की सूचीं अन्य निविदाकार फम्स मेसर्स श्री शारदा इंडस्ट्रीज एवं रिकार्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों में एकरूपता होना पाया गया।
क्लोज सिस्टम उपकरणों के रीएजेंट्स यूनिक होते है परंतु तीनों कपंनी, फर्म मोक्षित कार्पोरेशन एवं उक्त अन्य निविदाकारों के दस्तावेजों में लगभग सभी रिएजेंट के नाम, पैकसाईज, कम, अलफाबेट्स, स्मॉल लेटर, कैपिटल लेटर, कॉमा, फुलस्टॉप, ब्रैकेट आदि एक समान होना पाया गया। जो सामान्य परिस्थितियों में असंभव है।
0 तीन कंपनियों ने आपस में किया पूल टेंडरिंग, सब-कुछ मोक्षित कार्पोरेशन के लिए
मोक्षित कार्पोरेशन एवं अन्य निविदाकारों द्वारा बिड किये गये दरों में भी एक निश्चित पैटर्न है। जिन टेस्टों को निविदा स्पेसिफिकेशन में मांगा नहीं गया था उन्हें भी इन तीन कपंनी, फर्म के द्वारा कोट किया गया था। जिससे यह स्पष्ट है कि इन तीनों कंपनियों के द्वारा आपस में मिलकर पूल टेंडरिंग कर मोक्षित कार्पोरेशन को निविदा प्राप्त करने में सहयोग प्रदान किया गया है। स्पष्टतः तीनों फर्मों ने एक रिंग बनाकर CGMSC एवं DHS के अधिकारीगण से मिलीभगत कर निविदा में अर्ह हुये तथा मोक्षित कार्पोरेशन को एल-1 दर के आधार पर निविदा प्राप्त हुआ। किया गया यह कृत्य सुनयोजित तरीके से षड़यंत्र पूर्वक किया जाना पाया गया।
