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CGMSC Scam: ईडी की जांच से चार IAS समेत कई अधिकारियों, नेताओं की बढ़ेगी मुश्किलें, सवाल...रसूखदार मुलाजिम अब ED से बच पाएंगे?...

CGMSC Scam: सीजीएमएससी के 660 करोड़ के रीएजेंट घोटाले में ईडी ने जांच तेज कर दी है। ईओडब्लू के 18 हजार पेज के चालान के आधार पर ईडी ने सप्लायर मोक्षित कारपोरेशन के ठिकानों पर रेड किया है। इस घोटाले की जांच में चार आईएएस अधिकारियों के नाम आए हैं, ईओडब्लू इनमें से तीन को मुख्यालय तलब कर पूछताछ कर चुकी है। इस घोटाले में इन अधिकारियों की क्या भूमिका रही, जांच एजेंसी ने अभी कोई खुलासा नहीं किया है। ये अवश्य है कि ईडी की इंट्री से पहले सीजीएमएससी के जो रसूखदार अधिकारी फोन-फान कराकर बच निकले थे, उनकी मुश्किलें तो बढ़ेगी ही, कुछ नेताओं को भी ईडी तलब कर सकती है।

CGMSC Scam: ईडी की जांच से चार IAS समेत कई अधिकारियों, नेताओं की बढ़ेगी मुश्किलें, सवाल...रसूखदार मुलाजिम अब ED से बच पाएंगे?...
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By Gopal Rao

CGMSC Scam: रायपुर। सीजीएमएससी के रीएजेंट स्कैम में ईओडब्लू ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कोर्ट में 18 हजार पेज का चालान पेश किया था। इसी चालान के आधार पर ईडी ने इस केस को अब अपने हाथ में ले लिया है। ईडी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस केस को प्रवर्तन निदेशालय ने स्वप्रेरणा से लिया है। जानकार भी मानते हैं कि ईडी चाहे तो फायनेंसियल अनियमितता का कोई भी केस जांच के लिए हाथ में ले सकती है।

चूकि केस अब ईडी के पास आ गया है, इसलिए कई अधिकारियों और नेताओं की मुश्किलें बढ़ गई है। चालान के आधार पर ईडी कुछ आईएएस अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुला सकती है। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान हुए इस घोटाले के समय सीजीएमएससी से लेकर डायरेक्टर हेल्थ और एमडी एनएमएम में चार आईएएस अधिकारियों का नाम आ रहा है। हालांकि, चालान के आधार पर ईडी यह तय करेगी कि किसे पूछताछ के लिए बुलाना है। सूत्रों का कहना है कि ईडी कुछ नेताओं को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है।

ये गिरफ्तार

ईओडब्लू ने अभी तक इन आरोपियांं को गिरफ्तार किया है। बसंत कुमार कौशिक (तत्कालीन प्रभारी महा प्रबंधक उपकरण एवं उप प्रबंधक कय एवं संचालक), छिरोद रौतिया (तत्कालीन बायो मेडिकल इंजीनियर), कमलकांत पाटनवार (तत्कालीन उप प्रबंधक उपकरण), डॉ. अनिल परसाई (तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर स्टोर) एवं दीपक कुमार बंधे (तत्का. बायो मेडिकल इंजीनियर) को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है। प्रकरण में अग्रिम विवेचना जारी है।

क्या है मामला

सीजीएमएससी के अफसरों ने मोक्षित कारपोरेशन को लाभ पहुंचाने के लिए नियम कायदों को ताक पर रख दिया। पूरा खेला हमर लेब के नाम से हुआ। हमर लेब भारत सरकार का स्कीम है, जिसमें 15वें वित्त आयोग से पैसा मिलता है।

2019 में स्वास्थ्य विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत रायपुर के आंबेडकर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन में हमर लैब की स्थापना की। उसके बाद 2021 में तय किया गया कि सभी जिला अस्पतालों के साथ सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विभिन्न पैथोलाजी वाले परीक्षण होंगे।

विधानसभा चुनाव 2023 के साल जून के बाद अचानक सीजीएमएससी के अफसर हरकत में आए और मोक्षित कारपोरेशन से 300 करोड़ से अधिक का रीएजेंट और जांच मशीनें खरीद लिया। अफसरों ने इससे पहले डायरेक्टर हेल्थ से यह भी नहीं पूछा कि रीएजेंट की कितनी जरूरत है और उसे रखने के लिए रेफ्रिजरेटर है या नहीं। रीएजेंट की सप्लाई के बाद कई जगहों पर रेफ्रिजरेटर खरीदा गया।

चूकि सीजीएमएससी के पास जितना पैसा था, उसे वह मोक्षित कारपोरेशन को पेमेंट कर दिया, बाकी के लिए डायरेक्टर हेल्थ से पैसा मांगा तब जाकर खरीदी के इस खेल का भंडाफोड़ हुआ।

डायरेक्टर हेल्थ ऋतुराज रघुवंशी ने इसके लिए सात सदस्यीय कमेटी बनाई। कमेटी ने अपने जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर बिना जरूरत के करोड़ों के रीएजेंट खरीदी के लिए सीजीएमएससी को जिम्मेदार ठहराया।

Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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