CGMSC Scame: अफसरों का कमाल: 341 करोड़ के घोटाले में टेंडर की शर्त हटा कंपनी को 121 करोड़ का फायदा पहुंचा दिया
CGMSC Scam: 341 करोड़ के रीएजेंट्स घोटाले में 6 सरकारी मुलाजिमों ने सरकारी खजाने पर जमकर चोट पहुंचाई है। EOW की जांच रिपोर्ट में चाैकाने वाला खुलासा हुआ है। टेंडर से लेकर रीएजेंट्स की आपूर्ति और भंडारण में ना केवल मनमानी की साथ ही नियमों व कायदों को सिरे से दरकिनार कर मोक्षित कारपोरेशन और दो अन्य कंपनियों को बेजा लाभ पहुंचाया है। इसके एवज में मोक्षित से करोड़ों की घुसखोरी भी की है। आलम ये सप्लाई से लेकर स्टोरेज और एग्रीमेंट की शर्तें सभी में जमकर मनमानी की गई है। किसी भी नियम और मापदंडों का पालन नहीं किया गया है।

CGMSC Scam
CGMSC Scame-रायपुर। EOW की जांच रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सीजीएमएससीएल के 6 अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलीभगत कर कार्पोरेशन द्वारा न केवल निविदा शर्तों का उल्लंघन कर आपूर्ति की, बल्कि अनुचित रूप से अधिक मूल्य वसूला गया। रीएजेंट्स की आपूर्ति से स्वास्थ्य संस्थाओं में उपकरण इंस्टाल नहीं किए गए एवं कुछ उपकरण लॉक कर दिए गए। भंडारण व्यवस्था को नजरअंदाज किया गया। इसके चलते करोड़ों रूपये के रीएजेंट्स बिना उपयोग के एक्सपायर हो गये। ईओडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह सब एक सुव्यवस्थित भ्रष्ट प्रशासनिक संरचना और आपूर्तिकर्ता के बीच मिलीभगत का स्पष्ट संकेत देता है।
0 अरबों के भ्रष्टाचार में इनकी संलिप्तता आई सामने
0 क्षिरौद्र रौतिया एवं कमलकांत पाटनवार
क्षिरौद्र रौतिया एवं कमलकांत पाटनवार ने तत्कालीन एमडी अभिजीत सिंह द्वारा श्री शारदा इंडस्ट्रीज के उत्पादन एवं मेन पावर के संबंध में आपत्ति किए जाने के बावजूद संदेह होने पर भी श्री शारदा इंडस्ट्रीज का भौतिक सत्यापन नहीं कराया। निविदाकार फर्म श्री शारदा इण्डस्ट्रीज के द्वारा दिये गये स्पष्टीकरण को स्वीकार करते हुए निविदा की प्रकिया आगे बढ़ाई गई।
क्षिरौद्र रौतिया ने तत्कालीन एमडी अभिजीत सिंह द्वारा उक्त फर्म को अनर्ह करने हेतु मौखिक निर्देश दिये जाने के बावजूद निर्देशों का पालन नहीं किया। एमडी के स्थानांतरण बाद दूर्भावना एवं कपट पूर्वक आचरण करते हुए निविदा समिति को उक्त तथ्य से अवगत कराये बगैर श्री शारदा इण्डस्ट्रीज को निविदा में अपात्र होने से बचाने के उद्देश्य से समिति के सदस्यों को अंधेरे में रखकर हस्ताक्षर करा लिया।
कवर-बी, खोले जाने के दौरान उपकरणों के प्रदर्शन हेतु डेमोशीट में पहले से ही तीनों कंपनियों / फर्म द्वारा प्रस्तुत किये गये मशीनों के मेक एवं मॉडल लिखकर प्रींटेड शीट तैयार किया गया था। जिस पर डेमोस्ट्रेशन समिति को विश्वास में लेकर हस्ताक्षर कराये गये है।
क्षिरौद्र रौतिया एवं डॉ अनिल परसाई को श्री शारदा इण्डस्ट्रीज एवं रिकॉर्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड द्वारा अन्य मेक मॉडल के मशीन प्रस्तुत किये जाने की जानकारी होने के बावजूद उनके उपकरणों को डेमोस्ट्रेशन की कार्यवाही में अर्ह/पात्र घोषित करने के उद्देश्य से जानबुझ कर तथ्य छिपाया।
0 तीन फर्मों के दस्तोवज कापी पेस्ट, सभी को बढ़ा दिया आगे
क्षिरौद्र रौतिया निविदा क्रमांक 182 के दौरान छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में तकनीकी पद पर पदस्थ थे, ने मोक्षित कॉर्पोरेशन व शशांक चोपड़ा के प्रभाव में आकर न केवल तकनीकी परीक्षण और मूल्यांकन प्रक्रिया को मनमाने तरीके से प्रभावित किया, बल्कि जानबूझकर तीनों फर्मों-मोक्षित कॉर्पोरेशन, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और रिकॉर्डर्स एण्ड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड के बीच प्रस्तुत दस्तावेजों की समानता, कॉपी-पेस्ट फॉर्मेट, तथा एक जैसे ब्रेकेट, स्टैंड, एक्सेसरीज, मॉडल नंबर एवं दरों को नजरअंदाज किया।
0 बसंत कौशिक, टेंडर स्क्रूटनी कमिटी के प्रमुख सदस्य
बसंत कौशिक, जो CGMSC में टेंडर स्क्रूटनी कमिटी के प्रमुख सदस्य थे, ने अपनी वरिष्ठता और निर्णयात्मक प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए निविदा क्रमांक 182 सहित कई टेंडरों में मोक्षित कॉर्पोरेशन को लाभ पहुंचाने हेतु 'टेलर मेड' शर्तों और तकनीकी विशिष्टताओं को अनुमोदित करवाया। समिति में सामान्यतः उनकी अनुशंसा अंतिम मानी जाती थी, जिससे अन्य सदस्य आपत्तियां उठाने में संकोच करते थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने समिति को केवल एक औपचारिक मुहर के रूप में प्रयुक्त किया और वास्तविक पारदर्शिता की अवहेलना की।
0 तकनीकी स्पेसिफिकेशन को पेश ही नहीं किया
हमर लैब योजना अंतर्गत गठित विशेषज्ञ समिति में बसंत कौशिक ने तकनीकी स्पेसिफिकेशन समिति में औपचारिक रूप से प्रस्तुत नहीं किए और ना ही सामूहिक चर्चा के लिए पर्याप्त जानकारी दी। उनके तथा दीपक बांधे द्वारा स्पेसिफिकेशन को बिना बैठक में प्रस्तुत किए व्यक्तिगत रूप से समिति सदस्यों से हस्ताक्षर कराए गए। इससे यह स्पष्ट होता है कि समिति की सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को जानबूझकर निष्क्रिय किया गया ताकि मोक्षित कॉर्पोरेशन को पूर्वनिर्धारित लाभ दिया जा सके। बसंत कौशिक एवं दीपक बंधे द्वारा सीबीसी मशीन के जिलो से प्राप्त मांग पर ही दर अनुबंध की कार्यवाही कर ली गई। जिसके कारण बाद में करीब 38.33 करोड़ रूपये के मशीन बिना प्रतिस्पर्धी निविदा के कय किये गये।
बसंत कौशिक एवं दीपक बंधे के द्वारा प्रोप्राईटरी आर्टिकल के तहत किये गये निविदा प्रकिया में निविदाकार फर्म मोक्षित मेडिकेयर प्राईवेट लिमिटेड द्वारा संलग्न किये गये प्रोप्राईटरी सर्टिफिकेट सही तरीके से जारी नही करने के बावजूद भी उसका अवलोकन किये बगैर दर अनुबंध की कार्यवाही संपादित कराई गई। इस प्रकार छ०ग० भण्डार कय नियम को दर किनार करते हुए घोर लापरवाही किये जाने के प्रमाण प्राप्त हुए है।
0 100 टेस्ट स्टार्टर किट सप्लाई की शर्त को हटा दिया, मोक्षित को पहुंचाया करोड़ों का फायदा
सीजीएमएससीएल के निविदा क्रमांक-182 के पूर्ववर्ती निविदा कमांक-168 में उपकरणों के सप्लायर द्वारा प्रत्येक उपकरण के साथ 100 टेस्ट स्टार्टर किट के रूप में दिये जाने के प्रावधान थे। जिसे मोक्षित कार्पोरेशन को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से आरोपी बसंत कौशिक एवं क्षिरौद्र रौतिया द्वारा हटा दिया गया। जिससे सीजीएमएसीएल को अनावश्यक रूप से स्टार्टर किट कय करने पड़े। जिससे शासन को लगभग 121.25 करोड रूपये की आर्थिक क्षति हुई।
शशांक चोपड़ा के पक्ष में कार्य करने के एवज में इसे कय आदेश का 0.5 प्रतिशत कमीशन प्राप्त होने के साक्ष्य प्राप्त हुए है।
0 शशांक चोपड़ा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बसंत कौशिक की CGMSC में कराया था पदस्थापना
बसंत कौशिक की CGMSC में पदस्थापना शशांक चोपड़ा के प्रभाव के चलते हुई थी। इस तथ्य को उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि वे केवल एक अधिकारी नहीं बल्कि शशांक के नेटवर्क के रणनीतिक सदस्य थे, जिनके माध्यम से शशांक निविदा एवं उपकरण आपूर्ति प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता था।