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CGMSC Scam-2.5 करोड़ में बिक गए अफसर: CGMSC में मोक्षित की ऐसी चलती कि अफसरों ने MD के आदेश को धता बता दिया...

CGMSC Scam-सीजीएमएससी रीएजेंट घोटाले की जांच कर रहे EOW ने परत-दर- परत घोटाले का पर्दाफाश कर दिया है। EOW ने 341 करोड़ के रीएजेंट घोटाले में संलिप्त 6 तकनीकी अधिकारी व विभागीय अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया है। इन पर गंभीर आरोप है। मोक्षित कारपोरेशन ने निविदा हथियाने के लिए घुसखोर तकनीकी अधिकारियों को पहले अपने पक्ष में किया और फिर पर्चेस आर्डर का 0.2 से 0.5 प्रतिशत दिया बतौर कमीशन रिश्वत भी दिया। इसे ऐसे समझे, 0.2%- 0.682 करोड़ व 0.5%- 1.705 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी का खेला कर दिया।

CGMSC Scam-2.5 करोड़ में बिक गए अफसर: CGMSC में मोक्षित की ऐसी चलती कि अफसरों ने MD के आदेश को धता बता दिया...
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By Radhakishan Sharma

CGMSC Scam-रायपुर। 341 करोड़ के रीएजेंट घोटाले में रिश्वत के इस खेल में शामिल सीजीएमएससी के तकनीकी अधिकारियों ने सरकारी खजाने को जमकर चोट पहुंचाई है। EOW की रिपोर्ट में मोक्षित कारपोरेशन के अलावा श्री शारदा इण्डस्ट्रीज एवं रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड ने अपने पक्ष में निविदा हासिल करने व पर्चेस आर्डर के लिए लालची और घुसखोर तकनीकी अफसरों को अपने पक्ष में कर लिया और अरबों का वारा-न्यारा कर दिया। EOW ने जिन छह तकनीकी अधिकारियों के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चालान के साथ आरोप पत्र पेश किया है उसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सीजीएमएससी के तकनीकी अधिकारियों ने तीन फर्मों के साथ गजब का भ्रष्टाचार किया है।

जांच रिपेार्ट में खुलासा हुआ है कि शशांक चोपड़ा ने अपने पक्ष में निविदा दिलाने के लिए तकनीकी अधिकारियों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाया। निविदा क्रमांक 182 के बारे में यह सामने आया है कि शशांक चोपड़ा द्वारा पर्चेस ऑर्डर की वैल्यू का 0.5 प्रतिशत बसंत कौशिक, कमलकांत पाटनवार और 0.2 प्रतिशत क्षिरौद्र रौतिया के साथ अन्य बायोमेडिकल इंजीनियर को दिया गया है।

0 एमडी की आपत्ति के बाद नहीं कराया सत्यापन

क्षिरौद्र रौतिया एवं कमलकांत पाटनवार पर यह गंभीर आरोप है कि तत्कालीन प्रबंध संचालक अभिजीत सिंह द्वारा श्री शारदा इंडस्ट्रीज के उत्पादन एवं मेन पावर के संबंध में आपत्ति किए जाने के बावजूद संदेह होने पर भी श्री शारदा इंडस्ट्रीज का भौतिक सत्यापन नहीं कराया। निविदाकार फर्म श्री शारदा इण्डस्ट्रीज के द्वारा दिये गये स्पष्टीकरण को स्वीकार करते हुए निविदा की प्रकिया आगे बढ़ाई गई।

0 एमडी के तबादले का कर रहा था इंतजार, निविदा समिति को रखा अंधेरे मे

क्षिरौद्र रौतिया द्वारा तत्कालीन प्रबंध संचालक अभिजीत सिंह द्वारा उक्त फर्म को अनर्ह करने हेतु मौखिक निर्देश देने के बाद भी निर्देशों का पालन नहीं करते हुए तथा प्रबंध संचालक के स्थानांतरण पश्चात दुर्भावना एवं कपट पूर्वक आचरण करते हुए निविदा समिति को उक्त तथ्य से अवगत कराये बगैर श्री शारदा इण्डस्ट्रीज को निविदा में अपात्र होने से बचाने के उद्देश्य से समिति के सदस्यों से हस्ताक्षर लिया।

क्षिरौद्र रौतिया ने कवर-बी, खोले जाने के दौरान उपकरणों के प्रदर्शन हेतु डेमोशीट में पहले से ही तीनों कंपनियों / फर्म द्वारा प्रस्तुत किये गये मशीनों के मेक एवं मॉडल लिखकर प्रींटेड शीट तैयार किया गया था। जिस पर डेमोस्ट्रेशन समिति को विश्वास में लेकर हस्ताक्षर करा लिया है।

क्षिरौद्र रौतिया एवं डॉ अनिल परसाई को श्री शारदा इण्डस्ट्रीज एवं रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड द्वारा अन्य मेक मॉडल के मशीन प्रस्तुत किये जाने की जानकारी होने के बावजूद उनके उपकरणों को डेमोस्ट्रेशन की कार्यवाही में पात्र घोषित करने के उद्देश्य से जानबुझ कर तथ्य छुपाये गये।

0 तीन फर्म, तीनों के दस्तावेज एक समान: फिर भी कर दिया नजरअंदाज

क्षिरौद्र रौतिया निविदा क्रमांक 182 के दौरान छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में तकनीकी पद पर पदस्थ थे, ने मोक्षित कॉर्पोरेशन व शशांक चोपड़ा के प्रभाव में आकर न केवल तकनीकी परीक्षण और मूल्यांकन प्रक्रिया को मनमाने तरीके से प्रभावित किया, बल्कि जानबूझकर तीनों फर्मों-मोक्षित कॉर्पोरेशन, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और रिकॉर्डर्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स प्राईवेट लिमिटेड के बीच प्रस्तुत दस्तावेजों की समानता, कॉपी-पेस्ट फॉर्मेट, तथा एक जैसे ब्रेकेट, स्टैंड, एक्सेसरीज, मॉडल नंबर एवं दरों को नजरअंदाज किया।

क्षिरौद्र रौतिया ने प्रस्तुत दर चार्ट में किसी प्रकार का उचित औचित्य (justification) नहीं था, बावजूद इसके उन्होंने उसे समिति की स्वीकृति हेतु आगे बढ़ाया। जब समिति सदस्य डॉ. अरविंद नेरल द्वारा आपत्ति स्वरूप प्रश्न किया गया, तो क्षिरौद्र रौतिया ने पूर्व में स्वीकृत दरों का मनमाना उदाहरण देकर उन्हें धोखे में रखा।

0 मोक्षित कारपोरेशन को लाभ पहुंचाने यह भी किया

निविदा कमांक-182 की प्रकिया में कवर-सी खोले जाने के दौरान उपकरणों रीएजेंट्स एवं कंज्यूमेबल्स के नियमतः दर जस्टिफिकेशन, बाजार मूल्य एवं अन्य राज्यों के कार्पोरेशन द्वारा क्रय किये किये गये समान प्रकार के उपकरणों के दर प्राप्त किये जाने थे। परंतु उक्त निविदा में मोक्षित कार्पोरेशन को लाभ दिलाने के उ‌द्देश्य से यह प्रक्रिया नहीं की गई जिससे मोक्षित कार्पोरेशन द्वारा मनचाहे कीमत पर सीजीएमएससीएल को सप्लाई किया गया।

0 काल डिटेल से हुआ खुलासा, शशांक चोपड़ा के संपर्क में थे रौतिया

सीडीआर (Call Detail Rec Record) जांच से यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि क्षिरौद्र रौतिया, शशांक चोपड़ा के नियमित संपर्क में थे, और विभिन्न समयों पर फोन कॉल व संवाद के माध्यम से उनके अनुसार टेंडर व प्रक्रिया को लगातार प्रभावित कर रहे थे। इसके बदले में शशांक चोपड़ा उसे बतौर कमीशन मोटी रकम दे रहे थे।

0 EOW ने आरोपी बनाते हुए स्पेशल कोर्ट में पेश किया है चालान

(1) शशांक चोपड़ा पिता शांतिलाल चोपड़ा, उम्र 33 वर्ष, निवासी चोपड़ा कंपाउंड 35, आजाद वार्ड गंजपारा दुर्ग, जिला-दुर्ग।

(2) बसंत कुमार कौशिक पिता एमएल कौशिक, उम्र-44 वर्ष, पता-फेस-2, वूडआईलेण्ड कॉलोनी, अमलेश्वर, पाटन जिला-दुर्ग।

(3) क्षिरोद्र रौतिया पिता स्व राजबो रौतिया, उम्र 39 वर्ष, हॉल पता-सड़क नं. 04. गणपति विहार के पास, मीनाक्षी नगर बोरसी दुर्ग।

(4) डॉ अनिल परसाई पिता स्व. अरविन्द कुमार परसाई, उम्र-63 वर्ष, पता-एलआईजी 62-63, शंकर नगर, रायपुर जिला-रायपुर।

(5) कमलकांत पाटनवार पिता प्रताप कुमार पाटनवार, उम्र-40 वर्ष, वर्तमान पता-मकान नं0-51. आस्क ग्रेडियोस भाठागांव रायपुर। (छग), स्थायी पता अशोक नगर, आकाश विहार सरकण्डा बिलासपुर।

(6) दीपक कुमार बंधे पिता शंकर लाल बंधे, उम्र 40 वर्ष, पता-प्लॉट नंबर 07. चंद्रनगर, उमरपोटी, दुर्ग जिला-दुर्ग (छग)।

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