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CG Yuktiyuktkaran:सेजस शिक्षकों की काउंसलिंग में घपला, अपनों को बचाया, नियमों को रौंदा - भ्रष्टाचार का खुला खेल!

बिलासपुर में काउंसलिंग को लेकर जिस प्रकार की गड़बड़ी निकलकर सामने आ रही है वह हैरान कर देने वाली है। आम शिक्षकों ने एनपीजी को दस्तावेजों के साथ जो जानकारी भेजी है उससे साफ पता चलता है कि बिलासपुर जिले में काउंसलिंग के नाम पर जमकर खेला किया गया है।

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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। बिलासपुर जिले में काउंसलिंग को लेकर जिस प्रकार की गड़बड़ी निकलकर सामने आ रही है वह हैरान कर देने वाली है। आम शिक्षकों ने एनपीजी को दस्तावेजों के साथ जो जानकारी भेजी है उससे साफ पता चलता है कि बिलासपुर जिले में काउंसलिंग के नाम पर जमकर खेला किया गया है और राज्य कार्यालय के सारे नियम कानून को धत्ता बताते हुए मनमर्जी तरीके से जिसे चाहा गया है उसे शामिल किया गया है और जिसे चाहा गया उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। अपनों को उपकृत करने के लिए अपने ही जारी किए गए पत्र पर पलटी मारने में भी कहीं कोई कोताही नहीं की गई है।


आम शिक्षक खोल रहे अधिकारियों के काले करतूतों की पोल-

बिलासपुर में जिला शिक्षा अधिकारी ने पत्र जारी कर स्वामी आत्मानंद के शिक्षकों की जानकारी प्राचार्य से मंगाई थी और यह कहा था कि जिन शिक्षकों ने असहमति दी है उनका तबादला किया जाएगा। सभी प्राचार्यों ने इसके लिए सूची तैयार करके दी। बाद में यह कहा जाने लगा की स्कूल खाली हो जाएंगे इसलिए सेजस के शिक्षकों को इससे दूर रखा गया। जब अंतिम सूची आई तो सेजस के चुनिंदा शिक्षकों का नाम ही उस सूची में शामिल था और अन्य शिक्षकों को सूची से हटा लिया गया, जबकि लिस्ट में शामिल शिक्षकों का नाम और लिस्ट से बाहर शिक्षकों का प्रकरण एक जैसा ही है।



सेजस के इन शिक्षकों का नाम सूची में रहा शामिल, मिली पदस्थापना-

सेजस सकरी से संस्कृत की व्याख्याता सावित्री यादव, सेजस जयरामनगर से जीव विज्ञान की व्याख्याता शताक्षी चौधरी, सेजस पचपेड़ी से भौतिकी की व्याख्याता जिज्ञासा स्वर्णकार, सेजस सकरी से इतिहास की व्याख्याता ममता परस्ते, सेजस बहतराई से सुनंदा डोंटे समेत अन्य वह चुनिंदा नाम है जिन्हें स्वामी आत्मानंद से होते हुए भी अतिशेष की सूची में शामिल किया गया लेकिन सेम केस के अन्य शिक्षकों को बाहर कर दिया गया । ममता परस्ते ने बकायदा काउंसलिंग से पहले अपना अभ्यावेदन भी सौंपा की उन्हीं के स्कूल के अन्य शिक्षकों को बचा लिया गया है और उन्हें अतिशेष सूची में डाल दिया गया है , वही जिज्ञासा स्वर्णकार के स्कूल में भौतिकी के दो शिक्षक हैं जिसके आधार पर चार कालखंड पढ़ाने के लिए एक शिक्षक की आवश्यकता के मुताबिक उनका नाम सूची में शामिल किया गया जबकि सकरी, कन्याशाला समेत ऐसे कई स्कूल है जिसमें भौतिकी की के दो-दो व्याख्याता होने के बावजूद उन्हें सूची से बाहर रखा गया । इसी प्रकार कई स्कूलों में जीव विज्ञान के तीन शिक्षक हैं बावजूद इसके उन्हें अतिशेष सूची में लाया ही नहीं गया । वाणिज्य के भी सभी शिक्षकों को बड़ी चालाकी से बचा लिया गया जबकि अधिकांश आत्मानंद स्कूलों में वाणिज्य विषय के दो व्याख्याता कार्यरत हैं जबकि दर्ज संख्या के हिसाब से किसी भी स्कूल में इतनी दर्ज संख्या नहीं है कि वाणिज्य के व्याख्याताओ को 4 पीरियड से अधिक मिले इस स्थिति में सभी आत्मानंद स्कूलों में से एक-एक वाणिज्य के व्याख्याता मिल सकते थे । रसायन में भी महारानी लक्ष्मी बाई स्कूल में तीन व्याख्याता है लेकिन उनमें से किसी को टच नहीं किया गया , कुल मिलाकर सेजस के नाम पर बिलासपुर जिले में जमकर खेल खेला गया है ।

कलेक्टर को शिकायत के बाद भी नहीं मिली राहत-

एनपीजी ने पहले ही यह बता दिया था कि अतिशेष सूची के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है और शिक्षा विभाग के खटराल अधिकारी कलेक्टर को भी गुमराह कर दे रहे हैं लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि शिक्षकों ने अपने मामलों की खुली शिकायत स्वयं कलेक्टर से की बावजूद इसके कलेक्टर ने इस पर ध्यान नहीं दिया । बिलासपुर से शिक्षक घनश्याम देवांगन ने काउंसलिंग में जा रहे कलेक्टर से स्वयं बात की और अपने पूरे दस्तावेज सौंपे और उन्हें कलेक्टर ने आश्वासन भी दिया लेकिन देर शाम उन्हें काउंसलिंग आदेश में जबरदस्ती शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चपोरा थमा दिया गया जबकि उन्हीं के स्कूल में 2022 में मुंगेली जिला स्थानांतरित हो चुके शिक्षक राजेश कुमार तिवारी को बचा लिया गया । अब घनश्याम देवांगन न्यायालय जाने की तैयारी में है । इसी प्रकार ममता परस्ते ने भी अपना आवेदन कलेक्टर को सौंपा था लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई।

डीपीआई पर सभी की निगाहें, लेकिन अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई-

एक महिला शिक्षक ने NPG को फोन करके रोते हुए कहा कि आपके यहां यह खबर प्रकाशित हुई थी कि एक-एक शिकायत पर स्वयं डीपीआई संज्ञान लेंगे और हमें उम्मीद थी कि हमारे साथ न्याय होगा। हमने अपना मामला डीपीआई को भेजा भी है। हमारे कई और साथियों ने भी अपने मामले से डीपीआई को अवगत कराया है, लेकिन एक भी मामले में उनके द्वारा संज्ञान नहीं लिया जा रहा है, जो की अत्यंत दुखद है। हम अपने परिवार के साथ रहकर ईमानदारी से ड्यूटी कर रहे थे हमें जानबूझकर चिन्हित कर शिकार बनाया गया है। ऐसे में हमसे ईमानदारी की ड्यूटी की आशा कैसे की जा सकती है। जब ईमानदारी से हमारी पोस्टिंग ही नहीं हो रही है। स्वामी आत्मानंद के नाम पर कुछ शिक्षकों को जहां बचा लिया गया वहीं हमें चिन्हित करके अतिशेष सूची में डाल दिया गया है यदि आत्मानंद के शिक्षकों को शामिल नहीं करना था तो फिर किसी को नहीं करना था और यदि करना था तो फिर सबको करना था ।

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