CG Yuktiyuktakaran: विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण से नाराज सर्व शिक्षक साझा मंच ने पोल खोल रैली का किया ऐलान
युक्तियुक्तकरण में बरती गई गड़बड़ियों से नाराज सर्व शिक्षक सांझा मंच ने पोल खोल रैली का ऐलान कर दिया है। छग शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने प्रेस कांफ्रेंस कर युक्तियुक्तकरण में बरती गई गड़बड़ियों को लेकर नाराजगी जताई है। प्रदेश अध्यक्ष दुबे ने 2008 के सेट अप के अनुसार युक्तियुक्तकरण की मांग करते हुए कहा कि हमने पूर्व में भी राज्य सरकार के समक्ष पूरी बातें रख दी थी। इसके बाद भी विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण किया गया है। सर्व शिक्षक साझा मंच के बैनर तले पोल खोल रैली का ऐलान कर दिया है। 10 जून को जिला स्तरीय पोल खोल रैली निकालेंगे व कलेक्टर को ज्ञपन सौंपेंगे।

cg युक्तियुक्तकरण: विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण से नाराज सर्व शिक्षक साझा मंच ने पोल खोल रैली का किया ऐलान
रायपुर। युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से नाराज सर्व शिक्षक सांझा मंच ने अब आंदोलन का रुख अख्तियार करने का निर्णय लिया है। राजधानी रायपुर में सर्व शिक्षक साझा मंंच के पदाधिकारियों ने प्रेस कांफ्रेस कर यह जानकारी दी है। छग शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने कहा कि अब पोल खोल रैली निकालने के अलावा हमारे आमने और कोई रास्ता नहीं बचा है। दुबे ने आंदोलन को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि 10 जून को जिला स्तरीय पोल खोल रैली व कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेगे। 13 जून को संभागीय पोल खोल रैली व जे डी को ज्ञापन सौंपेंगे। 16 जून से शाला प्रवेशोत्सव का बहिष्कार का निर्णय भी हमने लिया है।
वीरेंद्र दुबे ने कहा कि राज्य में वर्तमान में चल रही युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के तहत, किसी भी शिक्षक संगठन द्वारा राज्य के एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने वाली कार्यवाही का विरोध नहीं किया जा रहा है। हमारा विरोध युक्तियुक्तकरण के निर्देशों और प्रक्रिया में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने के लिए है, ताकि राज्य की शिक्षा व्यवस्था, शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों के हितों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को रोका जा सके।
उन्होंने साफ कहा कि हमारी चिंताएं और समस्याएं सरकार और जनता तक पहुंचाई जा रही हैं, ताकि सरकार त्वरित संज्ञान ले और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत कर समस्या का सर्वसम्मत समाधान निकाले। अगस्त-सितंबर 2024 में भी युक्तियुक्तकरण के निर्देश और समय सारिणी जारी की गई थी, जिसकी व्यापक आलोचना के साथ विरोध भी हुआ था। प्रक्रिया और उससे संबंधित निर्देशों की विसंगतियों, समस्याओं और निराकरण हेतु सुझाव सरकार और शासन को दिए गए थे। हालांकि, इस प्रक्रिया को पिछले साल रोक दिया गया था, लेकिन 01 मई 2025 से विभाग ने बिना किसी सुधार के निर्देशों और प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया है। यह अत्यंत खेदजनक है कि शिक्षा व्यवस्था, छात्रों, जनसामान्य और कर्मचारियों से जुड़े इस विषय की विसंगतियों, समस्याओं और सुझावों को नकारते हुए, विभाग 02 अगस्त 2024 के निर्देशों और प्रक्रिया में बिना किसी सुधार के तथाकथित युक्तियुक्तकरण करने पर आमादा है।
पिछली सरकार के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग में 2021 से अब तक लगभग 30,000 पदों पर भर्ती, लगभग 25,000 पदों पर पदोन्नति, लगभग 10,000 स्थानांतरण और लगभग 8,000 प्रतिनियुक्ति की गई है। भर्ती, पदोन्नति, स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति में पदस्थापना के लिए सेट-अप, विषय और पद रिक्तता का ध्यान नहीं रखा गया। भर्ती पदोन्नति नियम 2019 में संशोधन कर सहायक शिक्षक और शिक्षक पद के लिए विषय के बंधन को भी समाप्त कर दिया गया। उक्त सभी प्रकार की पदस्थापनाओं में निरंकुशता, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की भारी शिकायतें मिली हैं। तत्कालीन शिक्षा मंत्री पर भी उंगली उठी और उन्हें बदला गया। इसी क्रम में चार संभागीय संयुक्त संचालक और अनेक अधिकारी-कर्मचारी निलंबित भी हुए। स्कूल शिक्षा विभाग में वर्तमान में सभी स्तर के पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया जारी है। युक्तियुक्तकरण निर्देश के अनेक बिंदु विभागीय सेट-अप 2008 तथा भर्ती पदोन्नति नियम 2019 का उल्लंघन करते हैं।
विसंगतियां व समस्याए-
युक्तियुक्तकरण की उक्त प्रक्रिया से पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था, विद्यार्थी, पालक और कर्मचारियों की व्यवस्था में सबसे बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। इस प्रक्रिया में संवेदनशीलता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होना आवश्यक है। किंतु संबंधित समितियों को सर्वाधिकार प्रदान कर दिया गया है तथा किसी भी स्तर पर जानकारियों को सार्वजनिक करने या दावा आपत्ति करने और उनके निराकरण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिसके कारण निरंकुशता, भाई-भतीजावाद तथा भ्रष्टाचार की व्यापक आशंका है। विभाग की वर्तमान दुरवस्था का कारण भी यही है, किंतु इस पर लगाम लगाने की कोशिश भी नहीं की गई है।
प्राथमिक विद्यालय के न्यूनतम सेट-अप में प्रधान पाठक सहित 03 पदों के स्थान पर 02 पदों का प्रावधान किया गया है। 02 पदों से प्राथमिक शालाओं का समुचित संचालन अव्यवहारिक व असंभव है, जबकि इन शालाओं के साथ बालवाड़ी को भी संलग्न किया गया है। इस स्थिति में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ ही बच्चों की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान लगते हैं। प्राथमिक शालाओं के सेट-अप घटाने से भारी संख्या में सहायक शिक्षक अतिशेष होने जा रहे हैं, जिनकी पदस्थापना के लिए अन्यत्र विकल्प अत्यंत सीमित है, जिसके कारण भारी अव्यवस्था और असंतोष उत्पन्न होगा। कर्मचारियों के भयादोहन की भी आशंका है। प्राथमिक शालाओं में सेट-अप में पद रिक्त न होने के बावजूद नई भर्ती के तहत मनचाही पदस्थापनाएं की गई। युक्तियुक्तकरण के निर्देशानुसार परिवीक्षा अवधि में होने के कारण इन्हें अतिशेष नहीं माना जाएगा, बल्कि पूर्व से सेट-अप के अनुसार पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर हटाया जाएगा। यह पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के प्रति अन्याय और विभागीय अधिकारियों की निरंकुशता और मिलीभगत को संरक्षण देना साबित होगा। जबकि नई भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में करके समाधान किया जा सकता था।
पूर्व माध्यमिक शालाओं में विषय बंधन को समाप्त कर भर्ती की गई तथा भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं और उनमें मनचाहा संशोधन सेट-अप व विषय को दरकिनार किया गया। युक्तियुक्तकरण में पुनः पूर्व माध्यमिक विद्यालय में विषय के अनुसार सेट-अप लागू किया जा रहा है, जिसके कारण अधिकांश शालाओं के शिक्षक प्रभावित होने जा रहे हैं। अन्यत्र विकल्पों के अभाव में अव्यवस्था व भयादोहन के कारण निरंकुशता और भ्रष्टाचार की आशंका भी है। पूर्व माध्यमिक शालाओं में सेट-अप में पद रिक्त न होने और संबंधित विषय के पद न होने के बावजूद नई भर्ती व पदोन्नति और उनमें संशोधन के तहत मनचाही पदस्थापनाएं की गई। युक्तियुक्तकरण के निर्देशानुसार परिवीक्षा अवधि में होने के कारण इन्हें अतिशेष नहीं माना जाएगा, बल्कि पूर्व से सेट-अप के अनुसार पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर हटाया जाएगा। यह पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के प्रति अन्याय और विभागीय अधिकारियों की निरंकुशता और मिलीभगत को संरक्षण देना साबित होगा। जबकि नई भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापनाएं शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय और विषय की आवश्यकता अनुसार शालाओं में करके समाधान किया जा सकता था।
वर्तमान शाला में समान पदस्थापना/कार्यभार ग्रहण दिनांक होने की स्थिति में पद पर प्रथम नियुक्ति तिथि या आयु के आधार पर वरिष्ठ मानने का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। पूर्व माध्यमिक शालाओं में पूर्व में विषय के उल्लेख के बिना पदस्थापनाएं हुई हैं तथा अध्यापन विषय का पूर्व में विकल्प भी दिया गया था। पूर्व में गणित व जीवविज्ञान स्नातकों को विज्ञान समूह के शिक्षक के रूप में नियुक्ति दी गई है, किंतु वर्तमान निर्देश अपर्याप्त व अस्पष्ट है, जिसके कारण भाई-भतीजावाद होने की प्रबल आशंका है। बस्तर संभाग में सैकड़ों की संख्या में पोटा केबिन संचालित हैं, जिसमें हजारों असुविधाग्रस्त व हिंसा प्रभावित बच्चे पढ़ते हैं, किंतु आज तक इन पोटा केबिन के लिए विभागीय सेट-अप स्वीकृत नहीं किया गया है। युक्तियुक्तकरण से इनके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लग रहा है हाईस्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूल में विषयवार सेट-अप लागू है। युक्तियुक्तकरण के तहत कालखंड की संख्या के आधार पर अतिशेष खोजने की अनुचित कवायद की जा रही है, जबकि विभिन्न कक्षाओं में सेक्शन के आधार पर अधिक पदों की स्वीकृति आवश्यक है। सेट-अप के अनुरूप पदस्थापनाएं न होना विभागीय निरंकुशता व भाई-भतीजावाद का परिणाम है।
सरकार के सामने रखी प्रमुख मांगें-
सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से समाधान निकाला जाए। विभागीय सेट-अप 2008 में फिलहाल कोई परिवर्तन न किया जाए। प्राथमिक शालाओं व पूर्व माध्यमिक शालाओं में प्रधान पाठक के पद को शिक्षकीय पद की गणना से पृथक रखा जाए। प्राथमिक शालाओं में विषय बंधन मुक्त न्यूनतम 01+02 तथा पूर्व माध्यमिक शालाओं में न्यूनतम 01+04 का विषय बंधन से मुक्त सेट-अप रखा जाए। शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में शिक्षक उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिए न कि शिक्षकों को अतिशेष करना। पदोन्नति की लंबित प्रक्रियाओं को अविलंब पूर्ण करके शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में पदस्थापना की जाए। अतिआवश्यक होने पर 2008 के सेट-अप अनुसार स्वीकृत पद से संख्यात्मक आधार पर एक से अधिक अतिशेष शिक्षकों वाली शालाओं से संकुल व विकास खंड के भीतर शिक्षकों का समायोजन किया जाए। समायोजन में वर्तमान शाला में समान पदस्थापना/कार्यभार ग्रहण तिथि की स्थिति में पद पर प्रथम नियुक्ति तिथि या आयु के आधार पर वरिष्ठ मानने का स्पष्ट निर्देश जारी किया जाए। समायोजन में पूर्व माध्यमिक शालाओं में विषयवार शिक्षक के स्थान पर संख्यात्मक आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना की जाए। समायोजन की संपूर्ण प्रक्रिया सार्वजनिक की जाए तथा दावा आपत्ति करने व उसके निराकरण का समुचित प्रावधान भी किया जाए। शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों को समायोजन से छूट प्रदान की जाए। कम दर्ज संख्या व कम दूरी तथा एक ही परिसर में स्थित होने के आधार पर शालाओं को मर्ज करने का परिणाम उन शालाओं के अस्तित्व को समाप्त करना है, जो कि उचित नहीं है। अतः इन शालाओं को मर्ज न किया जाए। विभाग भविष्य में भी शिक्षा व्यवस्था से जुड़े मामलों में एकतरफा आदेश-निर्देश जारी करने के स्थान पर कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर सर्वसम्मत व प्रभावी कदम उठाए। विकासखंड, जिला, संभाग व राज्य स्तर पर विभागीय परामर्शदात्री समितियों का गठन व उनकी नियमित बैठकें की जाएं।