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CG Yuktiyuktakaran: फर्जी सहमति और मनमानी पदस्थापन, स्वामी आत्मानंद स्कूल में घोटाले के दस्तावेज NPG के हाथ लगे, अफसर-प्राचार्य की मिलीभगत से बचाए गए "अपने लोग"

स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना के साथ ही राज्य शासन ने यहां पढ़ाई कराने वाले शिक्षकों से कंसेंट माना गया था। जिन शिक्षकों ने सहमति जताई उनकी तत्काल पदस्थापना कर दी गई है। बात यहां तक ठीक है, जिन शिक्षकों ने सीधेतौर पर मना कर दिया था वे अब भी आत्मानंद में ही जमे हुए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि युक्तियुक्तकरण के दौरान इन पर अफसरों की नजर क्यों नहीं पड़ी। या फिर जानबुझकर तो इन्हें नहीं बचा लिया।

CG Yuktiyuktakaran: फर्जी सहमति और मनमानी पदस्थापन, स्वामी आत्मानंद स्कूल में घोटाले के दस्तावेज NPG के हाथ लगे, अफसर-प्राचार्य की मिलीभगत से बचाए गए अपने लोग
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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए एक ऐसी योजना है जिसमें शासन के निर्देशानुसार उन्हीं शिक्षकों को रखने का प्रावधान है जिन्होंने स्वेच्छा से प्रतिनियुक्ति के लिए सहमति दी है। न्यायधानी में ऐसे शिक्षक भी जमे हुए हैं जिन्होंने स्वामी आत्मानंद विद्यालयों के लिए असहमति दी है और यह पूरा खेला बीते 3 वर्षों से किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में असहमति देने वाले शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण में शामिल कर अन्य विद्यालयों में पदस्थ कर दिया गया है। आत्मानंद के नाम पर निपटाने और बचाने का जमकर खेला किया गया है।


स्वामी आत्मानंद विद्यालयों के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं। NPG के हाथों ऐसे दस्तावेज लगा है जो प्रमाणित करता है कि प्राचार्य और अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा खेल हुआ है । सकरी स्कूल की प्राचार्य ने तो सीधेतौर पर जीव विज्ञान और इतिहास की व्याख्याताओं को बचाने के लिए उन्हें व्यावसायिक शिक्षा का व्याख्याता तक बता दिया।


स्कूल में ही पदस्थ एक व्याख्याता ममता परस्ते को जहां अतिशेष बताकर हटा दिया गया। उसी विषय की शिक्षिका शालिनी राय, मोहम्मद आजम खान और श्वेता दीक्षित को व्यवसायिक शिक्षा का व्याख्याता बताया गया। राज्य कार्यालय से जो प्रतिनियुक्ति आदेश आया था उसमें शालिनी राय इतिहास की व्याख्याता, मोहम्मद आजम खान गणित के व्याख्याता और श्वेता दीक्षित जीव विज्ञान के व्याख्याता हैं।

एक सवाल ऐसा भी-

स्वामी आत्मानंद स्कूल बनते ही प्रतिनियुक्ति के लिए सहमति और असहमति मांगी गई थी। बहुत से शिक्षकों ने असहमति जताई थी। युक्तियुक्तकरण के दौरान इन शिक्षकों को अन्य स्कूलों में पदस्थ कर आसानी से अन्य शिक्षकों को वहां लाया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।


स्वाभाविक है कि जिन्होंने असहमति दी है उनकी विद्यालय को लेकर ऐसे भी कोई खास जिम्मेदारी नहीं है और स्कूल को लेकर उनकी रुचि भी नहीं है। आत्मानंद स्कूल संचालन के निर्देशों में ही इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि जिन शिक्षकों ने असहमति जताई है उनकी पदस्थापना दूसरे स्कूलों में की जानी है।

अहसमति जताने वाले शिक्षक क्यों है पदस्थ-

प्रदेश में ऐसे हजारों शिक्षक हैं जो आत्मानंद स्कूलों में आना चाहते हैं। कलेक्टर को अधिकार है कि वह ऐसे शिक्षकों को जिनकी सहमति नहीं है अन्य स्कूलों में पदस्थ करने के लिए प्रस्ताव राज्य कार्यालय को भेज सकते हैं। आत्मानंद स्कूलों के लिए अन्य शिक्षकों का प्रस्ताव भी तत्काल मंगाया जा सकता है और इसके लिए प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष कलेक्टर पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। बीते तीन सालों से इस पूरी प्रक्रिया पर अघोषित रोक लगी हुई है और युक्तियुक्तकरण जैसी बड़ी प्रक्रिया में भी अधिकारियों ने आत्मानंद को पूरी तरह से सुरक्षित रख लिया है।

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