CG Yuktiyuktakaran: युक्तियुक्तकरण बना शिक्षकों की पीड़ा का कारण, हाई कोर्ट आदेश के बावजूद नहीं मिल रही राहत, लकवाग्रस्त पत्नी अस्पताल में, शिक्षक का तबादला 10 KM दूर
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए 700 से ज्यादा शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की राहत की गुहार लगाई थी। हाई कोर्ट ने समिति के सामने अभ्यावेदन देने और समितियों को नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश समितियां शिक्षकाें से अभ्यावेदन लेने के बाद इसे सीधेतौर पर अमान्य कर दे रही है। इसे लेकर शिक्षकों में निराशा के साथ ही गुस्सा भी पनपने लगा है।

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CG Yuktiyuktakaran:बिलासपुर। युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में बरती गई मनमानी को चुनौती देते हुए 700 से अधिक शिक्षकों ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। शिक्षकों ने नियमों का हवाला देते हुए राहत की मांग की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षकों ने जिला स्तरीय समितियों के सामने अभ्यावेदन देने और समितियों को अभ्यावेदन का नियमानुसार निराकरण करने का निर्देश दिया था। अब जबकि शिक्षक समिति के समक्ष अभ्यावेदन पेश कर रहे हैं तो समितियां अभ्यावेदन पर विचार करने का हवाला देते हुए उसे अस्वीकर कर दे रही है।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से इस तरह की शिकायतें शिक्षकों ने की है। शिक्षकों का कहना है जिस नियम व मापदंडों का हवाला देते हुए याचिका दायर की थी उसी के अनुसार हाई कोर्ट ने दोबारा अभ्यावेदन देने कहा था। समितियां अभ्यावेदन तो ले रही है पर निराकरण के बहाने आवेदनों को अस्वीकार कर दे रही है। इसके चलते शिक्षकों को राहत नहीं मिल पा रही है। जिला स्तरीय समितियां शिक्षकों के अभ्यावदेनों को सिरे से खारिज कर दे रही है। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों के अभ्यावेदन को कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति ने ना केवल खारिज कर दिया है साथ ही यह भी आदेश दिया है कि युक्तियुक्तकरण के तहत जिस स्कूल के लिए पदस्थापना आदेश जारी किया गया था वहां जाकर ज्वाइन करें और बच्चों को पढ़ाई कराएं। अचरज की बात ये है कि जिला स्तरीय समिति ने सभी शिक्षकों के लिए एक समान आदेश जारी किया है।
अभ्यावेदन के निराकरण के दौरान इस तरह दे रहे जवाब-
जिला स्तरीय समिति की ओर से शिक्षकों के अभ्यावेदन के निराकरण के दौरान अजीबो-गरीब जवाब दिया जा रहा है। समिति का कहना है कि युक्तियुक्तकरण के दौरान उन्हीं विद्यालयों के नाम की सूची जारी की जाती है जहां अतिशेष शिक्षक हैं। समिति का यह भी कहना है कि जिले में एकल शिक्षकीय विद्यालय की संख्या अधिक है,लिहाजा सभी एकल शिक्षकीय विद्यालयों को सूची में शामिल नहीं किया गया है। समिति का कहना है कि मानवीय आधार और निजी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर युक्तियुक्तकरणण की प्रक्रिया में छूट देने का प्रावधान नहीं है। इसी आधार पर शिक्षक तुलसी राम कश्यप ने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत छूट की मांग की थी। समिति ने शिक्षक के अभ्यावेदन को खारिज करते हुए पाली ब्लाक के दादरपारा स्कूल के लिए जारी पदस्थापना आदेश को यथावत रखते हुए ज्वाइन करने का निर्देश दिया है।
आसपास एकल शिक्षकीय स्कूल, इसके बाद भी दूरस्थ गांव में कर दिया तबादला-
शिक्षक तुलसीराम नवापारा स्कूल में पदस्थ थे। काउंसलिंग के दौरान नवापारा से दूर के स्कूल में पदस्थापना आदेश जारी कर दिया। नवापारा के करीब आधा दर्जन एकल शिक्षकीय स्कूल होने के बाद दूरस्थ गांव में पदस्थ कर दिया है। तुलसीराम ने जब अपने अभ्यावेदन में आसपास के एकल शिक्षकीय स्कूल की सूची पेश करते हुए किसी भी स्कूल में पदस्थापना की मांग की तो समिति ने यह कहते हुए मांग खारिज कर दी कि युक्तियुक्तकरण के तहत सभी एकल शिक्षकीय स्कूलों को शामिल नहीं किया गया है।
