CG Yuktiyuktakaran: गजब का फर्जीवाड़ा, दो DEO ने तीन साल पुराने आदेश का हवाला देकर JD को किया गुमराह
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिला शिक्षा अधिकारियों ने जिन शिक्षकों को बचाना था और जिनको खो करना था, वो सब हो गया है। फर्जीवाड़ा कहें या फिर जानबुझकर की गई चालाकी, एक ऐसी गड़बड़ी सामने आई है जिसे पढ़कर आप भी हैरत में रह जाएंगे। कांग्रेस सरकार के दौर में निकले एक आदेश को जरिया बनाकर दो डीईओ ने जमकर खेला कर दिया। हैरान करने वाली बात ये कि दोनों डीईओ ने जेडी को भी गुमराह कर दिया है। देखें दोनों डीईओ का आदेश

बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग में कुछ ऐसे खटराल डीईओ हैं जो अपनो को बचाने के लिए नियम कायदे को ताक पर रख दिया है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। कांग्रेस शासनकाल के दौरान वर्ष 2022 में जारी हुए आदेश का क्रियान्वयन 3 साल बाद अब जाकर हो गया। ऐसा कारनाम छत्तीसगढ़ के एक नहीं बल्कि दो-दो डीईओ ने कर दिखाया है। दोनो डीईओ ने जेडी को गुमराह कर आदेश भी जारी करा लिया है।
वर्ष 2021 में सैय्यद सोहब अली की पोस्टिंग व्याख्याता वाणिज्य के तौर पर हुई थी। 2022 में उनका स्थानांतरण कोरबा के पाली ब्लॉक के सिल्ली परसदा स्कूल में किया गया था। आदेश के छठवें बिंदु में यह साफ तौर पर उल्लेखित था की जिन शिक्षकों की परीविक्षा अवधि समाप्त नहीं हुई है उनका स्थानांतरण आदेश स्वत: निरस्त माना जाएगासैय्यद सोहब अली को तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कार्य मुक्त नहीं किया गया लेकिन युक्तियुक्तकरण की आपाधापी के बीच मामले में कुछ ऐसा खेला हुआ कि 15 मार्च यानी आदेश के निरस्त होने के लगभग 3 साल बाद उसी आदेश को आधार बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी ने सैय्यद सोहब अली को कोरबा के लिए कार्य मुक्त कर दिया। जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा ने भी उसी आदेश के आधार पर सैय्यद सोहब अली को न केवल अपने यहां कार्यभार ग्रहण कराया बल्कि 19 मई को सिल्ली परसदा के लिए कार्य मुक्त कर दिया।
जेडी को किया गुमराह, धोखे में रखकर जारी कर लिया आदेश-
कोरबा डीईओ ने सैय्यद सोहब अली का नाम युक्तियुक्तकरण की संभागीय सूची के लिए बिलासपुर जेडी के पास प्रस्तावित कर दिया। मामले की जानकारी न होने के कारण जेडी ने ना केवल सैय्यद सोहब अली का नाम काउंसलिंग में शामिल किया बल्कि 7 जून को उनकी पोस्टिंग रायगढ़ जिले के लैलूंगा ब्लाक के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नारायणपुर ( मुड़ापार) के लिए कर दिया। युक्तियुक्तकरण की आपाधापी के बीच एमसीबी और कोरबा डीईओ ने ऐसा खेला किया कि जेडी और डीपीआई को गुमराह कर युक्तियुक्तकरण के बीच में शिक्षक को रायगढ़ पहुंचा दिया। नियमों पर गौर करें तो शिक्षक का तबादला आदेश निरस्त हो चुका था। तबादला निरस्त होने के कारण ही तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी एमसीबी ने उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया था।