CG Vishnudeo Sai: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सौर सुजला योजना किसानों के लिए वरदान साबित, पहली बार रोशन हुई माओवाद प्रभावित गांव
CG Vishnudeo Sai: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में कृषि और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए बहुतेरे प्रयास किए जा रहे हैं। खेती-किसानी को उन्नत करने के लिए किसानों को हर संभव मदद और आदान सहायता दी जा रही है

CG Vishnudeo Sai: आजादी के दशकों बाद भी परंपरागत बिजली से वंचित रहे बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा क्षेत्र के किसानों के लिए छत्तीसगढ़ शासन की सौर सुजला योजना वरदान साबित हो रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साथ के नेतृत्व में क्रेडा विभाग द्वारा अब तक बारनवापारा क्षेत्र में 1222 किसानों के खेतों में सौर सिंचाई पम्प स्थापित किए गए हैं, जिससे अब किसान बिना किसी चिंता के सिंचाई सुविधा का लाभ उठाकर लाभकारी खेती कर रहे हैं।
सौर सुजला योजना के तहत बारनवापारा क्षेत्र में 2 हार्स पावर के 03, तीन हार्स पावर के 615 और 5 हार्स पावर के 604 सोलर पम्प स्थापित किए गए हैं। यह योजना उन किसानों के लिए वरदान साबित हुई है, जिनके खेतों तक बिजली नहीं पहुंची थी या जिनके पास सिंचाई के अन्य संसाधन नहीं थे।
ग्राम डेबी के किसान नित्यानंद बताते हैं कि पहले सिंचाई की सुविधा न होने के कारण उनकी सालाना आमदनी मात्र 25 से 30 हजार रुपये थी। लेकिन सोलर पम्प लगने के बाद अब वे धान के साथ सब्जियां जैसे आलू, टमाटर और बरबटी उगाकर तीन से चार गुना अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं। इसी तरह, बंशराम चौहान, बसंत कुमार कैवर्त्य, अमरू राम, धनीराम बिंझवार और गौरी बाई दीवान सहित कई अन्य किसानों की आमदनी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पहले किसान नदी-नालों से डीजल पम्प के जरिए सिंचाई करते थे, जिससे उनकी आय का बड़ा हिस्सा ईंधन पर खर्च हो जाता था। लेकिन सौर सुजला योजना के तहत मात्र 24,800 रुपये में सोलर पम्प मिलने से अब उनकी यह समस्या समाप्त हो गई है। छत्तीसगढ़ शासन किसानों को बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर सौर पम्प उपलब्ध करा रही है। तीन हार्स पावर के पम्प के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के किसानों को मात्र 10,000 रुपये, अन्य पिछड़ा वर्ग के किसानों को 15,000 रुपये, सामान्य वर्ग के किसानों को 21,000 रुपये का अंशदान देना होता है, जबकि 5 हार्स पावर के पम्प के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के किसानों को 15,000 रुपये, अन्य पिछड़ा वर्ग को 20,000 रुपये तथा सामान्य वर्ग के कृषक को 25,000 रुपये का अंशदान देना होता है।बलौदाबाजार जिले में अब तक 5198 सौर पम्प लगाए जा चुके हैं।
सौर सुजला योजना का लाभ लेने के लिए कृषि विभाग, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी और क्रेडा विभाग के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। सिंचाई के लिए नदी, नाले, कुएं और नलकूप प्राथमिकता से चिन्हांकित किए जाते हैं।छत्तीसगढ़ शासन की यह योजना किसानों के लिए कम लागत में सिंचाई की बेहतर और स्थायी व्यवस्था है।
पहली बार रोशन हुई माओवाद प्रभावित गांवों
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा बस्तर के सुदूर गांवों में विकास की गति तेज करने राज्य शासन द्वारा शुरू की गई नियद नेल्ला नार योजना से दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आ रहा है। इसके तहत स्थापित सोलर हाईमास्ट से कांकेर के माओवाद प्रभावित गांवों की रातें पहली बार रोशन हो रही है। सौर ऊर्जा से संचालित ड्यूल पंपों के माध्यम से ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति भी हो रही है। कांकेर के कोयलीबेड़ा विकासखंड के पानीडोबीर, आलपरस, जुगड़ा, गुन्दूल (मर्राम), अलपर, हेटाड़कसा और चिलपरस गांव के चौक-चौराहों को रात में रोशन करने सोलर हाईमास्ट संयंत्रों की स्थापना की गई है। रात में उजाले की अच्छी व्यवस्था हो जाने से ग्रामीण अब वहां रात्रिकालीन बैठक और सामुदायिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम कर रहे हैं। इस निर्बाध प्रकाश व्यवस्था से वे जंगली जानवरों से खुद को ज्यादा सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं।
नियद नेल्ला नार से संवेदनशील और दूरस्थ माओवाद प्रभावित गांवों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर विकास को नई गति दी जा रही है। सौर ऊर्जा का उपयोग कर रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है। सोलर ड्यूल पंपों के माध्यम से ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो रही है। माओवाद प्रभावित गांवों में वृहद स्तर पर सौर संयंत्रों की स्थापना से लोगों का जीवन बदल रहा है।
दूरस्थ गांवों में बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने नियद नेल्ला नार से प्रकाश व्यवस्था के लिए सोलर हाईमास्ट, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए सोलर पेयजल संयंत्र, सौर सुजला योजना के तहत सिंचाई व्यवस्था और सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। इन कार्यों से बस्तर के दूरस्थ और दुर्गम गांवों के लोग विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं।
आश्रम परिसर भी लगा जगमगाने
कांकेर के ग्राम पानीडोबीर स्थित बालक आश्रम के अधीक्षक समरथ ने बताया कि पहले आश्रम परिसर में लाइट की व्यवस्था नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब आश्रम परिसर में सोलर लाइट लगने से रात में उजाले की व्यवस्था हो गई है। इससे बच्चे अब रात में भी पढ़ाई कर रहे हैं। अच्छी प्रकाश व्यवस्था से रात में सब खुद को ज्यादा सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं।
ऑटोमेशन तकनीक से सिंचाई प्रबंधन में क्रांति
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में कृषि और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए बहुतेरे प्रयास किए जा रहे हैं। खेती-किसानी को उन्नत करने के लिए किसानों को हर संभव मदद और आदान सहायता दी जा रही है, राज्य में कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हो और इसका लाभ किसानों को मिले। उनका जीवन स्तर ऊंचा उठे। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है। कृषि को समृद्ध बनाने का मतलब छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ता प्रदान करना है।
कृषि के लिए सिंचाई सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान समय में सिंचाई क्षमता लगभग 39 प्रतिशत है। यही कारण है कि राज्य में वर्षा आधारित एक फसली खेती यहां होती है। कृषि के क्षेत्र में समृद्धि के लिए द्विफसली एवं त्रिफसली खेती जरूरी है। इसको ध्यान में रखकर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य के ऐसे इलाकों में जहां नहरों के माध्यम से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहां सौर सुजला योजना एवं किसान समृद्धि योजना अथवा सामान्य नलकूप योजना के माध्यम से किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खेतों में नलकूप की स्थापना के लिए अनुदान सहायता दी जाती है।
छत्तीसगढ़ राज्य में सौर सुजला योजना को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत ऐसे इलाके जहां परम्परागत बिजली सुविधा नहीं है, वहां सौर सुजला के नलकूप से किसानों को सिंचाई के लिए सहजता से पानी मिल जाता है। सौर सुजला योजना ने किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने में बहुत मददगार साबित हो रही है। सौर सुजला योजना के पम्पों में ऑटोमेशन तकनीक के उपयोग ने इसको और उपयोगी बना दिया है। सिंचाई के लिए पम्प को चालू और बंद करने के लिए किसानों को अब खेत में जाकर पम्प चालू करने की जरूरत नहीं रही है। किसान अपने घर में ही या किसी दूसरे शहर में वह अपने मोबाईल के माध्यम से सौर सुजला के सिंचाई को आवश्यकता के अनुरूप चालू और बंद करके अपने खेत में सिंचाई का प्रबंधन कर सकता है।
छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा और ऑटोमेशन तकनीक का मेल किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। क्रेडा (छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण) ने सौर पंप ऑटोमेशन तकनीक का सफल प्रयोग कर किसानों को नई सुविधा प्रदान की है। किसान अपने खेत में सोलर पंप को दुनिया के किसी भी कोने से मोबाइल के माध्यम से संचालित कर रहे हैं। क्रेडा द्वारा सौर पंपों में इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित ऑटोमेशन तकनीक जोड़ी गई है। यह तकनीक किसानों को अपने पंपों को दूरस्थ रूप से चालू और बंद करने की सुविधा देती है। इसके लिए केवल एक मोबाइल ऐप की जरूरत होती है। किसान अपने खेत पर शारीरिक रूप से मौजूद हुए बिना, कहीं से भी सिंचाई प्रबंधन कर सकते हैं।
क्रेडा के सीईओ राजेश सिंह राणा ने बीते दिनों धमतरी जिले के भ्रमण के दौरान सौर संयंत्रों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने देखा कि किसान रमन साहू अपने खेत में लगे सोलर पंप को बिना वहां गए, केवल मोबाइल फोन से ऑपरेट कर रहे थे। किसान ने बताया, मैं अपने घर से ही पंप चालू और बंद कर लेता हूं। रमन ने बताया कि एक बार वह असम गए थे, तब भी मैंने वहां से अपने पंप को ऑपरेट किया। किसान रमन साहू के खेत में सौर सुजला योजना के तहत फरवरी 2024 में 3 एचपी का सोलर पंप स्थापित किया गया था। इस पंप में अत्याधुनिक ऑटोमेशन तकनीक शामिल है, जिससे पंप को स्मार्टफोन और नेटवर्क की मदद से कहीं से भी नियंत्रित किया जा सकता है। इस तकनीक से किसान अपने समय, ऊर्जा और संसाधनों की बचत कर रहे हैं।
गौरतलब है कि क्रेडा द्वारा किसानों के सौर सुजला सिंचाई पम्प संबंधी समस्याओं के निदान के लिए सौर समाधान मोबाइल ऐप तैयार किया गया है। इस ऐप के माध्यम से किसानों शिकायतों का निवारण जिला या प्रधान कार्यालय स्तर पर किया जाता है। क्रेडा की यह पहल छत्तीसगढ़ के किसानों को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ रही है। यह नवाचार कृषि क्षेत्र में दक्षता और उत्पादकता को भी बढ़ावा दे रहा है।