CG Transfer: तहसीलदारों का ट्रांसफर हो सकता है निरस्त, तबादले पर खड़ा हुआ था बखेड़ा, गंभीर आरोप-प्रत्यारोप भी
CG Transfer: तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के ट्रांसफर पर उपजे विवाद के बीच चर्चा है कि सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। साफ-सुथरी छबि के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस ट्रांसफर एपीसोड से नाखुश बताए जा रहे। ऐसे में, इस बात की संभावना बलवती हो गई है कि ट्रांसफर निरस्त कर दिया जाए।
CG Transfer रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग ने 13 सितंबर को राजस्व अमले की बड़ी ट्रांसफर लिस्ट निकालते हुए 106 तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों का तबादला किया था। इस ट्रांसफर के अगले दिन ही बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जब छत्तीसगढ़ तहसीलदार संघ के अध्यक्ष ने मंत्री पर गंभीर आरोप लगा दिया। पराकाष्ठा तो यह हो गई कि रायपुर कमिश्नर महादेव कांवरे ने धमतरी कलेक्टर नम्रता गांधी की अनुशंसा पर धमतरी के जिस तहसीलदार को सस्पेड किया था, उसके अगले दिन सस्पेंशन में ही उसका तबादला कर दिया गया।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद यह कारनामा पहली बार हुआ, जब किसी निलंबित मुलाजिम का ट्रांसफर किया गया। जबकि, सस्पेंशन के दौरान किसी भी सूरत में ट्रांसफर नहीं हो सकता। हालांकि, बाद में कमिश्नर का बयान आया कि हमने कल शाम को निलंबन समाप्त कर दिया था। याने 24 घंटे के भीतर निलंबन और उसकी समाप्ति भी। जाहिर है, यह डैमेज कंट्रोल की कवायद थी।
बहरहाल, कमिश्नर जो भी कहें राजस्व विभाग के इस ट्रांसफर कांड को सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है। क्योंकि, जो आजतक कभी नहीं हुआ, वह राजस्व विभाग ने गुल खिला डाला। राज्य बनने के 24 साल में यह भी पहली दफा हुआ कि मुलाजिम ने मंत्री पर संगीन आरोप लगा दिया। अभी तक मंत्री और मुलाजिम के बीच मर्यादा की लक्ष्मण रेखा होती थी।
कांग्रेस सरकार में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अपने ही गृह जिले कोरबा के कलेक्टर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। मगर अब मुलाजिम मंत्री पर आरोप लगा रहा है। जानकारों का कहना है कि आरोप इतना गंभीर है कि जांच कर दोनों में जो दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। और अगर दोनों पर कार्रवाई नहीं तो कम-से-कम ट्रांसफर लिस्ट निरस्त करनी चाहिए। सूत्रों का कहना है कि सरकार राजस्व विभाग के ट्रांसफर विवाद से खुश नहीं है। लिहाजा, ट्रांसफर निरस्त कर दिया जाए, तो आश्चर्य नहीं।