CG Teacher News, Yuktiyuktkaran: हाई कोर्ट के आदेश की आड़ में अफसरों ने किया खेला, दो सप्ताह में करना था निराकरण, BEO अपने पद पर जमे हुए, फाइल दब गई या दबा दी गई?
CG Teacher News, Yuktiyuktkarak: स्कूल शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण का झमेला और खेला आजतलक जारी है। स्थानांतरण के बाद भी भीतर ही भीतर अपनों को पास के स्कूल में ज्वाइनिंग करने का खेल जारी है। कोरबा जिले का यह मामला तो और भी रोचक है। शिक्षा विभाग के अफसर और जिला स्तरीय समिति ने तो गजब ही कर दिया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता BEO के अभ्यावेदन का दो सप्ताह के भीतर निराकरण का निर्देश दिया था। निराकरण हुआ या नहीं या फिर फाइल दबा दी गई। इसका तो पता नहीं, पर यह जरुर हो रहा है कि न्यायालय के आदेश की आड़ में BEO अब भी अपने पद पर जमे हुए हैं।

CG Teacher News, Yuktiyuktkarak: रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण का झमेला और खेला आजतलक जारी है। स्थानांतरण के बाद भी भीतर ही भीतर अपनों को पास के स्कूल में ज्वाइनिंग करने का खेल जारी है। कोरबा जिले का यह मामला तो और भी रोचक है। शिक्षा विभाग के अफसर और जिला स्तरीय समिति ने तो गजब ही कर दिया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता BEO के अभ्यावेदन का दो सप्ताह के भीतर निराकरण का निर्देश दिया था। निराकरण हुआ या नहीं या फिर फाइल दबा दी गई। इसका तो पता नहीं, पर यह जरुर हो रहा है कि न्यायालय के आदेश की आड़ में BEO अब भी अपने पद पर जमे हुए हैं।
स्कूल शिक्षा विभाग की बात ही निराली है यहां न्यायालय के निर्णय के परिपालन में भी विभाग का अपना एक एजेंडा छिपा होता है और इसकी बानगी है कोरबा का यह मामला, जिसमें एक विकासखंड शिक्षा अधिकारी BEO बीते 4 महीने से अपने पद पर सिर्फ इसलिए बने हुए हैं क्योंकि ट्रांसफर समिति के सामने प्रस्तुत किए गए उनके अभ्यावेदन पर हुए निर्णय की कॉपी उन तक नहीं पहुंची है। जिला स्तरीय समिति का निर्णय नहीं पहुंचा या फिर फाइल जानबुझकर दबा दी गई। बहरहाल इस बात की भी चर्चा जमकर हो रही है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने 10 जुलाई 2025 को स्थानांतरण आदेश जारी कर कटघोरा के प्रभारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी BEO अभिमन्यु टेकाम का तबादला बम्हनीडीह विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय जिला जांजगीर कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ अभिमन्यु टेकाम ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि स्थानांतरण आदेश के संबंध में उन्हाेंने जिला स्तरीय समिति के समक्ष अपना अभ्यावेदन दिया है। अभ्यावेदन पर कार्रवाई अब तक लंबित है।
याचिकाकर्ता के कथन पर भरोसा करते हुए हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता को स्थानांतरण के संबंध में बनी जिला स्तरीय समिति के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता द्वारा पेश अभ्यावेदन पर दो सप्ताह के भीतर निराकरण का निर्देश जिला स्तरीय समिति को दिया था। अदालती निर्देश के तहत याचिकाकर्ता बीएमओ को दो सप्ताह की राहत मिली थी। अचरज की बात ये कि जिला स्तरीय समिति ने अब तक या तो उनके अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया या फिर जानबुझकर फाइल दबा दी गई। इसके चलते कबीरधाम से आए स्थानांतरण पर आए सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी हरिकृष्ण नायक को अब तक प्रभार नहीं मिला है और वह बिना प्रभार के विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय कटघोरा में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं ।
यह तो न्यायालयीन अवमानना का है प्रकरण
हाई कोर्ट का आदेश स्पष्ट है। याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर दो सप्ताह के भीतर जिला स्तरीय समिति को निराकरण करना था। अगर जिला स्तरीय समिति ने याचिकाकर्ता द्वारा अभ्यावेदन पर तय समयावधि में निराकरण नहीं किया है तो यह सीधा-सीधा न्यायालयीन अवमानना का मामला बनता है। ऐसे में जिला स्तरीय समिति में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का प्रकरण भी चलाया जा सकता है।
हाई कोर्ट में दायर याचिका में BEO ने ये कहा
याचिकाकर्ता अभिमन्यु टेकाम बीईओ कटघोरा ने 10 जुलाई 2025 के स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत याचिकाकर्ता को सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी, कटघोरा के कार्यालय से विकासखंड शिक्षा अधिकारी, बम्हनीडीह, जिला-जांजगीर-चांपा के कार्यालय में स्थानांतरित किया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि उक्त स्थानांतरण आदेश के विरुद्ध याचिकाकर्ता ने पहले ही अभ्यावेदन प्रस्तुत कर दिया है जो अभी भी स्थानांतरण समिति के समक्ष लंबित है। 05 जून 2025 की स्थानांतरण नीति के खंड-8 के अनुसार, स्थानांतरण आदेश के विरुद्ध स्थानांतरण समिति के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के लिए आंतरिक उपाय उपलब्ध है। स्थानांतरण समिति याचिकाकर्ता की शिकायत पर कानून के अनुसार विचार करेगी।
ये है नियम
स्थानांतरण से व्यथित शासकीय सेवक द्वारा अपने स्थानांतरण के विरूद्ध अभ्यावेदन केवल स्थानांतरण नीति के उल्लंघन होने पर ही उक्त उल्लंघन होने वाले कंडिका के संबंध में स्पष्ट आधारों के साथ स्थानांतरण आदेश जारी होने की तिथि से 15 दिवस के भीतर प्रश्नाधीन स्थानांतरण आदेश की प्रति सहित शासन द्वारा गठित वरिष्ठ सचिवों की समिति के संयोजक एवं सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्तुत किया जा सकेगा। समिति द्वारा ऐसे प्रकरणों का इस स्थानांतरण नीति के प्रकाश में परीक्षण करने के पश्चात अपनी अनुशंसा संबधित विभाग को प्रेषित की जाएगी।
ये है हाई कोर्ट का आदेश
संबंधित कर्मचारी को स्थानांतरण आदेश के विरुद्ध स्थानांतरण समिति के समक्ष शिकायत उठाने के लिए आंतरिक उपाय प्रदान किया गया है, इसलिए यह न्यायालय याचिकाकर्ता को इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से एक सप्ताह के भीतर स्थानांतरण समिति के समक्ष इस आदेश की प्रति के साथ नया अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश देना उचित समझता है, और स्थानांतरण समिति, याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विधि के अनुसार निष्पक्ष रूप से निर्णय लेगी और दो सप्ताह की अतिरिक्त अवधि के भीतर उसके गुण-दोष के आधार पर एक तर्कसंगत आदेश पारित करेगी। तब तक याचिकाकर्ता के विरुद्ध कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि याचिकाकर्ता को निर्देश दिया जाता है कि वह आज से एक सप्ताह के भीतर इस आदेश की एक प्रति उक्त स्थानांतरण समिति के समक्ष प्रस्तुत करें। इसके साथ ही सिंगल बेंच ने याचिका को निराकृत कर दिया था।
