CG Teacher News: युक्तियुक्तकरण के खिलाफ शिक्षक मोर्चा लामबंद, 21 अगस्त को CM व शिक्षा सचिव के नाम से कलेक्टर को सौपेंगे ज्ञापन, जानिए सितम्बर तक की पूरी रणनीति
CG Teacher News: युक्तियुक्तकरण सहित मुख्य मांगो के लिए वर्चुअल बैठक में बनी रणनीति 22 अगस्त से 28 अगस्त तक मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को ज्ञापन सौपने का निर्णय लिया गया।
CG Teacher News रायपुर। युक्तियुक्तकरण को लेकर प्रदेश के चार बड़े शिक्षक संघ एकजुट हुए है। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे, सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा, नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास राजपूत ने वर्चुअल बैठक कर युक्तियुक्तकरण, ऑनलाइन अवकाश के विसंगति का तीव्र विरोध करने का निर्णय लिया है।इसके लिए छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया है, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष समान भूमिका में प्रदेश संयोजक होंगे।
छत्तीसगढ़ शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, मनीष मिश्रा, विकास राजपूत ने कहा है कि - 2008 के सेटअप के अनुसार युक्तियुक्तकरण नीति नही है, इसमे न्यूनतम छात्र संख्या वाले प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला में 1-1 शिक्षक संख्या कम कर सेटअप को ही बदल दिया गया है, आखिर शिक्षा विभाग अपनी रीढ़ सेटअप को कैसे बदल सकता है, इससे बालक व पालक को शाला में कम शिक्षक उपलब्ध होगा जिसका सीधा असर शिक्षा के गुणवत्ता पर पड़ेगा।
शिक्षकों को पदोन्नति के लिए पद नही मिलेंगे और बीएड, डीएड, टेट उत्तीर्ण युवकों के शिक्षक बनने का सपना चकनाचूर होगा, क्योकि तब शाला में शिक्षकों के रिक्त पद ही नही बचेंगे।
विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण को रद्द करने चरणबद्ध आंदोलन घोषित
1 - 21 अगस्त को सभी जिले में कलेक्टर व डीईओ को देंगे ज्ञापन
2 - 22 अगस्त से 28 अगस्त तक मंत्री, संसद व विधायक को ज्ञापन
3 - 2/3 सितम्बर को सचिव व डीपीआई को ज्ञापन
4 - 9 सितम्बर को सभी जिला मुख्यालय में विशाल धरना, प्रदर्शन
5 - समयानुसार राजधानी में प्रदर्शन
वर्तमान युक्तियुक्तकरण वाले पूर्व माध्यमिक शालाओं में जिनकी दर्ज संख्या 105 या उससे कम है वहां एक प्रधान पाठक एवं तीन शिक्षक पदस्थ करने का नियम बनाया गया है, इसके अतिरिक्त पदस्थ शिक्षक अतिशेष माने जायेंगे। जबकि 2008 के सेटअप जो वर्तमान में लागू है, में न्यूनतम छात्र संख्या पर 1 प्रधान पाठक एवं 4 शिक्षक पदस्थ करने का नियम बनाया गया था, और इसी के आधार पर भर्ती व पदोन्नति विभाग द्वारा की गई है, 1 पद घटाने से एक शिक्षक तो स्वमेव अतिशेष हो जाएंगे इसीलिए यह नियम व्यवहारिक नही है।
2008 के सेटअप में प्राथमिक शाला में न्यूनतम छात्र संख्या पर 1 प्रधान पाठक व 2 सहायक शिक्षक का पद स्वीकृत किया गया था, वर्तमान में 1 पद कम कर दिया गया है, यहाँ भी 1 शिक्षक स्वमेव अतिशेष होंगे, यह नियम अव्यहारिक है, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उलंघन है।
सरकार एक बार फिर शिक्षकों का शोषण करने जा रही है, स्कूलों के आपस मे युक्तियुक्तकरण से स्कूलों की संख्या कम होगी जिससे शिक्षकों के पदों को ही समाप्त किया जा रहा है। प्राथमिक स्कूलों का मिडिल स्कूलों में युक्तियुक्तकरण से प्राथमिक विद्यालय के प्रधानपाठक का पोस्ट ही समाप्त करने की साजिश है, यदि मिडिल और हाई स्कूल को युक्तियुक्तकरण करने से मिडिल स्कूल के प्रधानपाठक के अधिकार में कटौती होगी उसका कोई स्वतंत्र अस्तित्व ही नही रह पायेगा।
प्रधान पाठक का पद समाप्त करने वाला इस युक्तियुक्तकरण नियम से सहायक शिक्षक व शिक्षक की पदोन्नति 50% तक कम होगी, इससे शिक्षकों के पदोन्नति के अवसर कम होंगे जो पूर्णतः अनुचित है।
प्रत्येक प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला का स्वतंत्र अस्तित्व हो जिसके नियंत्रण व शिक्षण व्यवस्था के लिए स्वतंत्र प्रधान पाठक जरूरी है, इससे सहायक शिक्षक व शिक्षकों को पदोन्नति भी मिलेगी व शिक्षा में गुणात्मक सुधार होगा।
बालवाड़ी संचालित स्कूलों में बालवाड़ी 1 व प्राथमिक 5 कुल 6 कक्षा का संचालन 2 शिक्षकों से कैसे संभव है?
2 अगस्त 2024 को जारी युक्तियुक्तकरण नियम से शाला में पदों की संख्या कम किया गया है इससे नई भर्ती नही होने से प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ अन्याय होगा?
स्वामी आत्मानंद शालाओ में प्रतिनियुक्ति के शिक्षकों व शालाओ पर नियम की प्रभावशीलता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
युक्तियुक्त कारण से उच्चतर विद्यालय में काम का बोझ बढ़ जाएगा जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन सही तरीके से नही हो पायेगा। इस पूरी प्रकिया में समय / शासकीय सम्पत्तियो (रिक्त भवन जो खंडहर हो सकता है) एवं छात्रों के भविष्य पर कुठाराघात होगा।
शिक्षा विभाग के सेटअप के विपरीत युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को अपनाया जाना न्यायपूर्ण नही है, एक ही परिसर में उच्चत्तर शाला में निचले शाला को मर्ज करना स्वतंत्र शाला के नियंत्रण व शिक्षण व्यवस्था पर विपरीत असर डालेगा, प्रधान पाठक उच्च शाला के अधीन मर्ज होंगे इस प्रकार से इन पदों को समाप्त करने की रणनीति गलत है, प्राथमिक शाला व माध्यमिक शाला में न्यूनतम शिक्षक संख्या घटाया गया है इससे इन शालाओ के शिक्षण स्तर में गिरावट आएगा, पूरी युक्तिकरण की नीति में विसंगतिया है जो गंभीर आपत्तिजनक है।