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CG Teacher News: मातृत्व अवकाश पर शिक्षक नेताओं के बोल: महिला कर्मचारियों का अधिकार है मातृत्व अवकाश

CG Teacher News मातृत्व अवकाश को लेकर कोंडागांव आत्मानंद स्कूल के प्रिंसिपल ने महिला शिक्षिका को ना केवल अपमानित किया,साथ ही नोटिस जारी कर ड्यूटी ज्वाइन करने दबाव भी बनाया। मातृत्व अवकाश पर चल रही महिला शिक्षिका का गर्भपात हो गया। इसकी सूचना मिलने के बाद प्रिंसिपल ने नोटिस भेजकर ड्यूटी ज्वाइन करने दबाव बनाया। शिक्षिका की शिकायत पर कलेक्टर ने प्रिंसिपल को हटा दिया है। NPG.NEWS ने इस संबंध में शिक्षक संगठन के नेताओं की राय जानने की कोशिश की। शिक्षक नेताओं का साफ कहना है कि मातृत्व अवकाश महिला शिक्षकों का अधिकार है। इसे देने में काेताही नहीं बरती जानी चाहिए। आइए पढ़ते हैं शिक्षक नेताओं की राय और उनकी बातें।

मातृत्व अवकाश पर शिक्षक नेताओं के बोल: महिला कर्मचारियों का अधिकार है मातृत्व अवकाश
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By Radhakishan Sharma

CG Teacher News मातृत्व अवकाश को लेकर कोंडागांव आत्मानंद स्कूल के प्रिंसिपल ने महिला शिक्षिका को ना केवल अपमानित किया,साथ ही नोटिस जारी कर ड्यूटी ज्वाइन करने दबाव भी बनाया। मातृत्व अवकाश पर चल रही महिला शिक्षिका का गर्भपात हो गया। इसकी सूचना मिलने के बाद प्रिंसिपल ने नोटिस भेजकर ड्यूटी ज्वाइन करने दबाव बनाया। शिक्षिका की शिकायत पर कलेक्टर ने प्रिंसिपल को हटा दिया है। NPG.NEWS ने इस संबंध में शिक्षक संगठन के नेताओं की राय जानने की कोशिश की। शिक्षक नेताओं का साफ कहना है कि मातृत्व अवकाश महिला शिक्षकों का अधिकार है। इसे देने में काेताही नहीं बरती जानी चाहिए। आइए पढ़ते हैं शिक्षक नेताओं की राय और उनकी बातें।

शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विरेंद्र दुबे का कहना है कि महिला शिक्षकों को मातृत्व अवकाश प्रदान करने में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए। यह महिला शिक्षिकाओं का अधिकार है। केंद्र सरकार ने इस अवकाश का प्रावधान किया है। जिसे राज्य सरकार ने भी लागू किया है। राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली वैतनिक अवकाश को लेकर कहीं कोई संशय नहीं है और ना ही गतिरोध। उच्चाधिकारियों को मानवीय पहलू से भी ध्यान देना होगा और महिला शिक्षिकाओं को सहयोग करना चाहिए। हर हाल में संवेदनशीलता का परिचय देना होगा।

शालेय शिक्षक संघ प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा का कहना है कि महिला शिक्षकाओं के अलावा राज्य सरकार के विभिन्न दफ्तरों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों और अधिकारियों को राज्य सरकार ने यह अधिकार है। यह महिला कर्मचारियों का राज्य शासन द्वारा प्रदत्त अधिकार है। उच्चाधिकारियों को इस अवकाश को देने में सहृदयता दिखाई चाहिए। ऐसी अवस्था और परिस्थिति में महिला कर्मचारियों व शिक्षकों के साथ अमर्यादित व्यवहार किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। उच्चाधिकारियों को संवेदनशीलता के साथ ही सहयोगी की भूमिका निभानी चाहिए।

शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मश शर्मा का कहना है कि मातृत्व अवकाश की महिलाओं को नितांत आवश्यकता होती है। यह मां और नवजात शिशु दोनों के लिए अति आवश्यक है। फिर जब राज्य सरकार द्वारा यह सुविधा महिला कर्मचारियों को मुहैया कराई जा रही है तब अधिकारियों को इस पर ना तो रोड़ा अटका चाहिए और ना ही विवाद पैदा करना चाहिए। यह अनिवार्य अवकाश है। मानवता के आधार पर इसे देने में आनाकानी नहीं करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि मातृत्व अवकाश प्रत्येक महिला कर्मचारियों का अधिकार है। इससे ना तो इंकार किया जा सकता है और ना ही इस अवकाश को स्वीकृत करने से कोई रोक सकता है। उच्चाधिकारियों को मातृत्व अवकाश के प्रति सजग और संवेदनशील होने की जरुरत है। राज्य शासन ने महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश की सुविधा दी है। यह अवकाश वैतनिक होता है। अवकाश के दिनों का वेतन राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। महिला कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधा में किसी तरह का रोड़ा विभाग की ओर ने नहीं अटकाया जाना चाहिए।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन बिलासपुर जिला के जिलाध्यक्ष संतोष सिंह का साफ कहना है कि मातृत्व अवकाश महिला कर्मचारियों का विशेषाधिकार है। इसे लेने से कोई रोक नहीं सकता। जब राज्य सरकार ने यह सुविधा महिला कर्मचारियों को दी है तब इसे स्वीकृत करने में उच्चाधिकारियों को कोई विवाद नहीं करना चाहिए और ना ही अड़ंगा लगाना चाहिए।

महिला शिक्षिका को मिलता है दो तरह का अनिवार्य अवकाश

राज्य शासन ने महिला शिक्षिकाओं को दो तरह का अनिवार्य अवकाश की सुविधा प्रदान की है। मातृत्व अवकाश में जाने वाली शिक्षिका को छह महीने का अवकाश दिया जाता है। संतान पालन अवकाश पर जाने वाले शिक्षिका को दो साल का अवकाश लेने की सुविधा राज्य सरकार ने दी है। बता दें कि दोनों ही अवकाश वैतनिक अवकाश है। इस दौरान हर महीने वेतन का भुगतान भी राज्य सरकार करती है।

कोंडागांव विवाद, इसलिए शुरू हुई मातृत्व अवकाश को लेकर चर्चा

शिक्षक जैसे गरिमामयी पेशे में मानवीय मूल्यों को तार तार करने वाला मामला सामने आया। मातृत्व अवकाश पर गई शिक्षिका के गर्भपात होने के बाद स्वामी आत्मानंद स्कूल के प्राचार्य ने शिक्षिका को तत्काल ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए नोटिस भेज दिया। यूं तो शिक्षक विद्यार्थियों को मानवता के प्रति संवेदनशील बनाते है पर यहां खुद एक शिक्षक ने अपनी महिला सहकर्मी के दर्द को ना समझते हुए गर्भपात होने पर मातृत्व अवकाश लागू नहीं होने का नोटिस भेज मानवता को शर्मसार कर दिया। स्वामी आत्मानंद स्कूल के प्रभारी प्राचार्य ने दो से तीन नोटिस शिक्षिका को भेज तत्काल नौकरी ज्वाइन करने के निर्देश दिए। वहीं शिक्षिका के द्वारा इस मानसिक प्रताड़ना की शिकायत कलेक्टर से की गई। जिसके बाद कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना ने कार्यवाही करते हुए प्राचार्य को पद से हटा दिया है।

पूरा मामला स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय केशकाल का है। यहां प्रभारी प्राचार्य के पद पर मनोज कुमार डडसेना पदस्थ है। स्कूल की एक शिक्षिका मातृत्व अवकाश लेकर छुट्टी पर गई। छुट्टी पर रहने के दौरान उनका गर्भपात हो गया। मिसकैरेज होने के तत्काल बाद इसकी जानकारी लगने पर स्कूल के प्राचार्य ने शिक्षिका को ड्यूटी ज्वाइन करने के निर्देश देते हुए नोटिस जारी कर दिया। प्राचार्य के नोटिस के अनुसार शिक्षिका के द्वारा मातृत्व अवकाश लिया गया था अब चूंकि शिक्षिका का गर्भपात हो गया है लिहाजा मातृत्व अवकाश उनके लिए लागू नहीं होता। इसलिए ड्यूटी ज्वाइन करने के निर्देश दिए गए।

यह सामान्य सी समझ वाली बात है कि ऐसी परिस्थिति में स्वास्थ्य एकदम से ठीक नहीं होता। इसके अलावा ऐसी घटना होने पर व्यक्ति भी तत्काल मानसिक दुख से उभर नहीं पाता। पर प्राचार्य ने शिक्षिका को ड्यूटी पर उपस्थित होने के लिए दो से तीन बार नोटिस भेजा। मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर शिक्षिका ने इसकी शिकायत कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना से की। कलेक्टर ने इसे गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले को संज्ञान में ले इसका परीक्षण किया। जिसके बाद प्रभारी प्राचार्य मनोज कुमार डडसेना से प्राचार्य का प्रभार छीन लिया है। स्कूल की वरिष्ठ व्याख्याता संगीता भास्कर को प्रभारी प्राचार्य का दायित्व सौंपा गया है।

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