CG Teacher News: जानिए 'ई' संवर्ग के 1478 शिक्षकों का कब होगा पोस्टिंग का इंतज़ार खत्म, कोर्ट में फैसला सुरक्षित रखने का क्या होता है मतलब?
CG Teacher News: E संवर्ग के 1478 ऐसे शिक्षक जिनको प्राचार्य बनना है, पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं। इनकी पोस्टिंग अदालत लड़ाई में उलझ गया है। वह भी एक ऐसे शिक्षक जो रिटायर हो गए हैं और जिनका मौजूदा पोस्टिंग से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि याचिका की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों से लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर और पोस्टिंग की कतार में खड़े 1476 की नजरें हाई कोर्ट के फैसले पर जा टिकी है।

High Court News
CG Teacher News: बिलासपुर। राज्य शासन द्वारा बनाए गए प्राचार्य पदोन्नति नियमों को चुनौती देते हुए सबसे पहले आधा दर्जन शिक्षकों ने हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने सभी आधा दर्जन याचिका को खारिज करते हुए प्रिंसिपल पोस्टिंग के लिए राज्य शासन द्वारा बनाए नियमों व मापदंड को सही ठहराया है। इसी बीच एक याचिका सिंगल बेंच में शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी ने दायर कर दी। मामला ई संवर्ग का था लिहाजा डिवीजन बेंच के फैसले से टी संवर्ग के 1355 शिक्षकों को प्रिंसिपल बनने का रास्ता साफ हो गया था। मामला ई संवर्ग के 1478 शिक्षकों का फंस गया है। हालांकि हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब फैसले पर नजरें लगी हुई है। आगे पढ़िए सुरक्षित रखे गए फैसले पर कितने दिन के भीतर देना होता है फैसला। क्या है हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट का रूल रेगुलेशन।
सुरक्षित रखे गए फैसले पर इतने दिनों के भीतर होता है आर्डर जारी-
हाई कोर्ट रूल रेगुलेशन के अनुसार मामले की सुनवाई के बाद अगर सिंगल या डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रखता है, तब ऐसी स्थिति में 30 दिनों के भीतर फैसला जारी करना होता है। अधिकतम 30 दिन की अवधि के भीतर बेंच को फैसला सुनाना है। इसके पहले भी बेंच अपना फैसला सुना सकता है।
रिटायर शिक्षक ने अपनी याचिका में ये की थी मांग-
दुर्ग के रिटायर शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी ने ई संवर्ग के प्राचार्यों की पोस्टिंग के संबंध में याचिका लगाते हुए मांग की है कि 65 फीसदी की जगह 100 फीसदी पदों पर ई संवर्ग के शिक्षकों को पोस्टिंग दी जाए। राज्य शासन ने प्रिंसिपल पद के लिए पहले ही कोटा तय कर दिया है। इसमें 65 फीसदी ई संवर्ग और 25 फीसदी शिक्षक एलबी कैडर को रखा है। डिवीजन बेंच ने फैसला राज्य सरकार के पक्ष में दिया है। इसी मुद्दे पर सिंगल बेंच में सुनवाई चल रही थी। गौर करने वाली बात ये कि जिस शिक्षक की याचिका पर सुनवाई चल रही थी वे रिटायर हो चुके हैं। प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति का उनका अपना दावा भी नहीं बनता था।
437 प्राचार्य रिटायर-
प्राचार्य पदोन्नति मामला कानूनी उलझन में फंसने का नुकसान जून तक रिटायर हो चुके 356 शिक्षकों का हुआ, जो बिना प्राचार्य की कुर्सी पर बैठ रिटायर हो गए। जुलाई का आंकड़ा देखे तो 'ई' संवर्ग के 58 व 'टी' संवर्ग के 23 शिक्षक रिटायर हो जाएंगे। याने जुलाई तक यह फिगर 437 पहुंच जाएगा। इन शिक्षकों के लिए तो कानूनी लड़ाई रोड़ा बनकर सामने आया। प्राचार्य बनने का सपना ही अधूरा रह गया है। जैसे-जैसे यह मामला आगे खिंचता चला जाएगा उसी अंदाज में लेक्चरर्स भी रिटायर होते जाएंगे। हर महीने तीन से चार दर्जन शिक्षक दोनों संवर्ग से रिटायर हो रहे हैं।
प्राचार्य विहीन स्कूल-
छत्तीसगढ़ में एक दशक से प्राचार्यों का प्रमोशन नहीं हुआ था। आलम यह था कि शिक्षकों का ग्रेडेशन लिस्ट तक तैयार नहीं हुआ था। इस वजह से प्रदेश के 3290 स्कूल प्राचार्य के बिना संचालित हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते स्कूल शिक्षा विभाग ने पहले ग्रेडेशन लिस्ट तैयार कराया, फिर प्रमोशन की प्रक्रिया निबटाई। प्राचार्य प्रमोशन का आदेश अप्रैल में निकल गया था। अगर शिक्षकों ने कोर्ट-कचहरी न की होती तो स्कूल खुलने से पहले कम-से-कम 2813 स्कूलों को रेगुलर प्राचार्य मिल जाता।
रोड़ा अटकाने का काम-
राज्य शासन ने प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए जब मापदंड व नियम बनाए तो सबसे पहले उन शिक्षकों ने रोड़ा अटकाने का काम किया जिनका नाम पदोन्नति सूची में आ ही नहीं रहा था। ऐसे एक दर्जन शिक्षकों ने पदोन्नति के लिए तय मापदंड का विरोध करते हुए याचिका दायर की।
इन शिक्षकों की याचिका को डिवीजन बेंच ने किया था खारिज-
पी गलिक राव, लक्ष्मी प्रसाद रबेठ,दूज राम खरे, संजय कुमार वखारिया,रुपनारायण कुशवाहा, अनुराग त्रिवेदी, अखिलेश त्रिपाठी, आनंद प्रसाद साहू, कोमल प्रसाद साहू, पुरुषोत्तम सिंह यदु।
फैक्ट फाइल-
शिक्षा विभाग में 10 और आदिम जाति कल्याण विभाग में बीते 12 वर्षों से प्राचार्य की पदोन्नति नहीं हुई है। प्रदेश में 1897 हाई स्कूल और 2886 हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित की जा रही है। 4783 स्कूल में प्राचार्य के पास स्वीकृत है। हाई स्कूल में 1565 व हायर सेकेंडरी स्कूल में 2011 पद मिलाकर कुल 3576 स्कूलों में प्राचार्य के पद रिक्त है। मतलब साफ है कि 75 फीसदी स्कूल प्राचार्य विहीन है। 30 अप्रैल को 2813 प्राचार्य की पदोन्नति सूची जारी की गई थी। ई संवर्ग के 1478 व टी संवर्ग के 1355 लेक्चरर व हेड मास्टर को प्राचार्य के पद पर पोस्टिंग दी जानी है।
