CG Teacher News: BEO रहते DEO का एक और फर्जीवाड़ा! पद रिक्त ना होने के बाद भी शिक्षक को करा दिया ज्वाइन, जाने पूरा मामला
CG Teacher News: कोटा ब्लाक में बीईओ रहते विजय तांडे ने एक और कारनामा किया था। तब के बीईओ और वर्तमान में बिलासपुर के डीईओ तांडे ने राज्य शासन के तबादला आदेश को धता बताते हुए एक शिक्षक को पद रिक्त ना होने के बाद ज्वाइिनंग करा दिया था। स्थानांतरण आदेश की जानकारी भी छिपा ली थी। दो साल बाद अब जाकर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है।

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CG Teacher News: बिलासपुर। बिलासपुर के कोटा ब्लाक के तत्कालीन बीईओ व वर्तमान में डीईओ बिलासपुर विजय तांडे का एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। तब बीईओ के पद पर रहते हुए तांडे ने गजब का खेला किया। एक शिक्षक को पद रिक्त ना होने के बाद भी ज्वाइनिंग करा दी। अचरज की बात ये कि राज्य शासन के आदेश की कापी भी बीईओ ने शिक्षक के साथ मिला छिपा ली। सेवा पुस्तिका में भी इस बात का जिक्र नहीं किया गया है।
तत्कालीन बीईओ तांडे का फर्जीवाड़ा राज्य सरकार के साथ ही कलेक्टर कार्यालय पहुंच गया है। मिडिल स्कूल धौंराभाठा कोटा में पदस्थ शिक्षक शैलेष कुमार यादव का स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 सितंबर 2022 को आदेश जारी कर बिल्हा ब्लॉक के धौराभाठा स्कूल में किया था। तबादला आदेश के बाद लंबा खेला किया गया। बिलासपुर जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में शिक्षक ने जमकर फर्जीवाड़ा किया। तबादला आदेश की कापी संबंधित स्कूल में नहीं दी और ना ही सेवा पुस्तिका में इसे इंद्राज कराया। कोटा के धौंराभाठा स्कूल में ज्वाइन भी कर लिया। ज्वाइनिंग कराने में तत्कालीन बीईओ तांडे की भूमिका अहम मानी जा रही है। अचरज की बात ये कि वेतन भी इसी स्कूल के नाम से जारी होते रहा। इस पूरी गड़बड़ी में तत्कालीन बीईओ कोटा विजय तांडे के अलावा कोटा बीईओ नरेंद्र मिश्रा और पूर्व जेडी आरएन हीराधर की संलिप्तता सामने आ रही है।
धौराभाठा गांव के नाम का ऐसे उठाया फायदा
शिक्षक का तबादला बिल्हा ब्लाक के धौराभाठा स्कूल में किया गया था। शिक्षक ने झूठी जानकारी फैला दी कि उसका तबादला कोटा के धौराभाठा स्कूल में किया गया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि कोटा के धौराभाठा स्कूल में जब पद रिक्त ही नहीं था तब बीईओ ने ज्वाइनिंग कैसे करा दी। डीईओ या फिर आला अफसरों से इस संबंध में अनुमति क्यों नहीं ली। प्राचार्य ने 19 अप्रैल 2025 को शिक्षक को नोटिस जारी कर तबादला आदेश की कापी और सेवा पुस्तिका पेश करने का निर्देश दिया था।
इसके लिए प्राचार्य ने शिक्षक को तीन दिन की मोहलत दी थी। नोटिस के बाद भी शिक्षक ने ना तो तबादला आदेश की कापी और ना ही सेवा पुस्तिका जमा की। अचरज की बात ये कि शिक्षक के खिलाफ प्राचार्य कार्रवाई भी नहीं कर सके। कारण साफ है, शिक्षक को शिक्षा विभाग के अधिकारियों का सीधेतौर पर संरक्षण प्राप्त था।
