CG Teacher News: एक्शन में DPI, चार बच्चा होने की जानकारी छिपाई, लेक्चरर को किया बर्खास्त
CG Teacher News: चार बच्चा होने के कारण डीपीआई ने व्याख्याता को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। कोई भी व्यक्ति जिसकी दो से अधिक संतान है और उसके बाद तीसरे का जन्म 26 जनवरी 2001 या उसके बाद हुआ है उसे सरकारी नौकरी के लिए अपात्र माना जाता है। नियुक्ति के समय दो से अधिक संतान की जानकारी व्याख्याता ने नहीं दी थी। जांच में खुलासा होने पर डीपीआई दिव्या मिश्रा ने सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया है।

CG Teacher News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचालनालय ने दो से अधिक जीवित संतान होने की जानकारी छिपाकर नौकरी करने के मामले में मस्तूरी विकासखंड के शासकीय हाई स्कूल सोन में पदस्थ व्याख्याता नवरतन जायसवाल को शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम, 1966 के तहत की गई है।
नवरतन जायसवाल की नियुक्ति वर्ष 2011 में शिक्षाकर्मी वर्ग-01 के पद पर हुई थी। उस समय उन्होंने नियुक्ति प्रपत्र में दो से अधिक संतान होने की बात छिपाई थी। जांच में सामने आया कि उनके चार जीवित संतान हैं, जिनमें से दो का जन्म 26 जनवरी 2001 के बाद हुआ है। यह स्पष्ट रूप से सेवा शर्तों का उल्लंघन है, नियमानुसार कोई भी अभ्यर्थी जिसकी दो से अधिक जीवित संतान हैं और एक का जन्म 26 जनवरी 2001 या उसके बाद हुआ हो, उसकी नियुक्ति अमान्य मानी जाती है। आखिरकार, गंभीर कदाचार और सेवा शर्तों के उल्लंघन के चलते लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 3 अप्रैल 2025 को आदेश जारी करते हुए व्याख्याता नवरतन जायसवाल को तत्काल प्रभाव से शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
नोटिस के जवाब में गोदनामा का दिया हवाला:–
व्याख्याता नवरतन जायसवाल की शिकायत होने के बाद विभाग ने विभिन्न स्तरों पर जांच भी कराई, जिसके बाद व्याख्याता नवरतन जायसवाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नोटिस के जवाब में सामाजिक गोदनामा का हवाला देकर दो संतान को सौंपने की बात कही, जिसे डीपीआई द्वारा स्वीकार नहीं किया गया।
तीन साल चली जांच, अब बर्खास्तगी:–
व्याख्याता नवरतन जायसवाल के खिलाफ दो से अधिक जीवित संतान छिपाकर नौकरी पाने की शिकायत वर्ष 2021 में छत्तीसगढ़ लोक आयोग में दर्ज की गई थी। इसके बाद लोक शिक्षण संचालनालय ने मामले की जांच जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर और फिर संभागीय संयुक्त संचालक से करवाई। विभिन्न पत्राचार और सुनवाई के चलते यह जांच करीब तीन साल तक चली। अंततः सभी रिपोर्ट में दोष सिद्ध होने के बाद 3 अप्रैल 2025 को संचालनालय ने जायसवाल को सेवा से बर्खास्त कर दिया। इस दौरान उन्हें अपनी बात रखने के कई अवसर भी दिए गए।