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CG School News: छत्तीसगढ़ के 50 स्कूल RTE से बाहर, 800 बच्चो की पढ़ाई पर संकट, बेदखली का खतरा

CG School News: RTE शिक्षा के अधिकार कानून के तहत छत्तीसगढ़ के 50 स्कूलों में पढ़ाई करने वाले 800 बच्चों के सामने अब स्कूल से बेदखली का संकट गहरा गया है। दरअसल ये सभी 50 स्कूल RTE के दायरे से अब बाहर हो गए हैं। लिहाजा इन बच्चों की फ्री में अब यहां पढ़ाई नहीं हो पाएगी।

CG School News: छत्तीसगढ़ के 50 स्कूल RTE से बाहर, 800 बच्चो की पढ़ाई पर संकट, बेदखली का खतरा
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CG School News

By Radhakishan Sharma

CG School News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में 50 ऐसे स्कूल हैं जिसे पहले अल्पसंख्यक स्कूल का दर्जा नहीं मिला था। लिहाजा यहां केंद्र सरकार का शिक्षा के अधिकार कानून प्रभावी था। इन स्कूलों में तब आरटीई के तहत 800 बच्चों को डीईओ के माध्यम से प्रवेश दिलाया गया था। अब इन सभी स्कूलों को अल्पसंख्यक का दर्जा मिल गया है। दर्जा मिलने के साथ ही ये सभी केंद्र सरकार के कानून के दायरे से बाहर हो गए हैं। आरटीई के दायरे से बाहर होते ही यहां पढ़ाई कर रहे 800 बच्चों के सामने अब स्कूल से बाहर होने का खतरा संकट खड़ा हो गया है। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर हैं कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा लगातार पत्राचार करने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। अफसरों की बेपरवाही का खामियाजा कहीं बच्चों को ना भुगतना पड़ जाए। अल्पसंख्यक स्कूलों में अध्यनरत विद्यार्थियों के संबंध में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर पहले ही बता दिया है। साथ ही यहां पढ़ाई कर रहे बच्चों के भविष्य को लेकर भी खुलासा कर दिया है।

एसोसिएशन ने अपने पत्र में लिखा है कि अल्पसंख्यक स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून लागू नहीं होता है। प्रदेश में ऐसे बहुत से स्कूल हैं जो शुरुआत में सामान्य स्कूल के रूप संचालित किया जा रहा था। तब इन स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून लागू था और इसी के हैसियत से इन स्कूलों में अब भी विद्यार्थी अध्यनरत हैं। शैक्षणिक सत्र के बीच में इन सभी 50 स्कूलों को अल्पसंख्यक स्कूलों की मान्यता मिल गई है।

RTE के पोर्टल से स्कूलों का नाम हुआ डिलीट-

इन विद्यालयों का स्वरूप बदलने के कारण अब यहां आरटीई के तहत विद्यार्थियों का प्रवेश नहीं हो रहा है। आरटीई. के पोर्टल से भी इन स्कूलों के नाम को डिलीट कर दिया गया है। अचरज की बात ये कि यहां पढ़ाई कर रहे 800 बच्चों के भविष्य की चिंता विभाग के अफसरों ने अब तक नहीं की है। बच्चे अब भी यहां पढ़ाई कर रहे हैं। इसके एवज में इन स्कूलों को फीस भी नहीं दी जा रही है। जाहिर है स्कूल प्रबंधन अब बच्चों व पालकों पर फीस के लिए दबाव बनाएंगे। फीस जमा ना करने पर स्कूल से बाहर भी कर दिए जाएंगे। ऐसे में इनकी पढ़ाई कहां होगी, ये कहां जाएंगे। इसकी चिंता किसी को नहीं है।

एसोसिएशन लगातार कर रहा पत्राचार, विभाग से नहीं मिल रहा कोई जवाब-

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि संगठन द्वारा 10 जून 2024 एवं 26 मार्च 2025 को संचालक एवं सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग को 21 मार्च .2025 को इस बाबत निवेदन किया जा चुका है (पत्र संलग्न) लेकिन बार-बार निवेदन के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग इसमें कोई निर्णय नहीं ले रहा है अतः अल्पसंख्यक स्कूल शिक्षा के अधिकार कानून में पूर्व से अध्ययनरत विद्यार्थियों को आगे पढ़ा पाने में सक्षम नहीं है। इन विद्यार्थियों की पढ़ाई कर जो नुकसान होगा वह पूरी तरह से स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी होगी। संगठन द्वारा दी जा रही जानकारी के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। इन सभी 50 स्कूलों को आरटीई के तहत बच्चों को पढ़ाने के एवज में सरकार द्वारा दी जाने वाली फीस का भुगतान बीते तीन साल से नहीं किया गया है।

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