CG School Holidays: छुट्टियों से स्कूलों का कोर्स बाधित: साल में 220 दिन क्लास जरुरी, लग पा रही सिर्फ..., स्कूल एसोसियेशन प्रेसिडेंट बोले...
CG School Holidays: स्थानीय छुट्टियों के कारण शासन की गाइड लाइन का स्कूलों में पालन नहीं हो पा रहा है।आलम ये कि तय गाइड लाइन से तकरीबन 40 दिन क्लास नहीं लग पा रही है। एजुकेशनल कैलेंडर का सही ढंग से पालन नहीं हो पा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह राज्य शासन द्वारा घोषित स्थानीय अवकाश को माना जा रहा है।

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CG School Holidays: रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के दिशा निर्देश और मापदंड पर नजर डालें तो प्रतिवर्ष 220 दिन कक्षाएं लगना अनिवार्य किया गया है। शासन का मानना है कि इतने दिन की क्लास में शिक्षक बच्चों को सिलेबस के अनुसार पढ़ाई पूरी करा लेंगे। राज्य शासन द्वारा घोषित स्थानीय अवकाश के अलावा बीच में पड़ने वाली छुट्टियों के चलते तय मापदंड के अनुसार कक्षाएं नहीं लग पा रही है। बमुश्किल 180 दिन ही कक्षाएं लग रही है। मतलब ये कि 40 दिन की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इसका असर बच्चों पर पड़ रहा है। सिलेबर पूरा ना होने के कारण बच्चों को संबंधित विषय के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पा रही है। आधे अधूरी पढ़ाई के बीच परीक्षा दिलाना और आगे की कक्षाओं में चले जाना। यह कुछ छत्तीसगढ़ की स्कूलों में हो रहा है।
सरकारी गाइड लाइन पर नजर डालें तो 220 दिन स्कूल लगाना अनिवार्य है। बीते शैक्षणिक सत्र के दौरान 40 दिन याने पूरे डेढ़ महीने का अंतर आ गया था। नतीजा ये हुआ कि शिक्षक कोर्स ही पूरा नहीं करा सके।
छत्तीसगढ़ में माध्यमिक शिक्षा मंडल के अलावा सीबीएसई सिलेबस से पढ़ाई हो रही है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल से मान्यता प्राप्त स्कूलों को एक शैक्षणिक वर्ष में 220 दिन स्कूल लगाना और बच्चों को पढ़ाई कराना अनिवार्य है। इसे हर हाल में पालन करना ही होगा। पर यह क्या। माशिमं के इन नियमों का पालन स्कूलों में हो ही नहीं रहा है। इसके पीछे सरकारी और ऐसे प्राइवेट स्कूल को माशिमं से संबद्ध है उनकी तरफ से कोई गलती नहीं है। स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार द्वारा कुछ ऐसे त्योहार भी हैं जिस पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी गई है। इन त्योहारों में स्कूलों में छुट्टी देना भी अनिवार्य है। स्थानीय अवकाश के पहले या बाद में अगर शनिवार या रविवार आ जाए, या फिर गुरुवार को स्थानीय अवकाश हो गया तब तो मानिए पूरे चार दिन की छुट्टी। सरकारी स्कूल के शिक्षक छुट्टियों के कैलेंडर के हिसाब से अपना आगे का कार्यक्रम तय करते हैं। गुरुवार या शुक्रवार को अवकाश की घोषणा हुई तो मानकर चलिए पूरे चार या फिर पांच दिन शिक्षक नजर नहीं आएंगे। प्राइवेट स्कूलों में व्यवस्था अलग है। स्कूल तो लगता है पर स्थानीय अवकाश के कारण मजबूरी में ही सही प्राइवेट स्कूल प्रबंधन को भी बच्चों को छुट्टी देनी पड़ती है। इसके चलते सिलेबस पूरा नहीं हो पाता है।
पांच साल से ऐसे ही चली आ रही है व्यवस्था
बीते चार से पांच वर्ष का शैक्षणिक कैलेंडर पर नजर डालें तो कमोबेश कुछ इसी तरह की व्यवस्था चल रही है। बमुश्किल 180 से 185 दिन ही स्कूल लग पा रही है। जाहिर है शिक्षा गुणवत्ता और बच्चों के शैक्षणिक मापदंड पर इसका असर तेजी के साथ पढ़ रहा है। बीते वर्ष और उसके पहले भी स्कूलों में सिलेबस पूरा ना होने की शिकायत रही है। व्यवस्था ऐसे ही बनी रही तो आगे भी कुछ इस तरह की दिक्कतें आती ही रहेंगी।
छग प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने सीएम को लिखी थी चिट्टी
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने छग के तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल काे पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल व सीबीएसई के मापदंडों के अनुरुप सालभर में 220 दिन स्कूल लगाने की अनिवार्यता की मांग की थी। इसके लिए मापदंड व नियम बनाने की बात भी एसोसिएशन ने कही थी। इस पर आजतलक निर्णय नहीं हो पाया है।
अतिरिक्त छुट्टियां नुकसानदेह: राजीव गुप्ता
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि अतिरिक्त छुट्टियां छात्रों के हित के नजरिए से देखें तो बेहद नुकसानदेह है। स्थानीय अवकाश के दिनों पर छात्रों को छुट्टी नहीं देनी चाहिए,बल्कि दिन विशेष पर दो घंटे का अतिरिक्त एक्टिविटी क्लास लगाकर बच्चों को डे स्पेशल के बारे में जानकारी देनी चाहिए। इससे बच्चों का स्किल बढ़ेगा और कुछ नया सीखने को मिलेगा। छुट्टियों के चलते सिलेबस पूरा नहीं हो पा रहा है। यह चिंता की बात है। बच्चों के बेहतर भविष्य की चिंता करना आवश्यक है। इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की जरुरत है।