CG PWD: छत्तीसगढ़ में सड़कों की दुर्दशा, मगर अफसर बजट में मिले पैसा खर्च नहीं कर पा रहे, पीडब्लूडी को सरकार ने दिया 9500 करोड़ और खर्च...?
CG PWD: छत्तीसगढ़ में अफसरशाही का सिस्टम इस कदर डिरेल्ड हो गया है कि बजट में मिले पईसा खर्च नहीं कर पा रहे। सबसे बुरी स्थिति पीडब्लूडी की है। 2025-26 के बजट में उन्हें मिला 9500 करोड़ मगर खर्च करने में छत्तीसगढ़ का सबसे फिसड्डी विभाग बन गया। वो भी तब, जब पूरे राज्य में सड़कों की स्थिति को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

CG PWD: रायपुर। आज मुख्य सचिव विकास शील के रिव्यू मीटिंग से खुलासा हुआ कि अफसर बजट का रोना रो अपनी अक्षमता छिपा रहे और पब्लिक को भरमा रहे हैं। जबकि, स्थिति यह है कि बजट में जो पैसे मिल रहे, उसके खर्च का प्राईमरी प्रॉसेज भी नहीं कर पा रहे। फरवरी में बजट पेश होता है। मई-जून तक पैसे का अलॉटमेंट हो जाता है। मगर विभागों का हाल इतना बेहाल है कि आधे दर्जन से अधिक विभागों ने तिहाई पैसे भी खर्च नहीं कर पाए हैं। कई विभागों ने सरकार की टॉप प्रायरिटी वाली योजनाओं का अपने मंत्री से प्रशासकीय स्वीकृति तक नहीं ले पाए हैं।
पूंजीगत व्यय को लेकर मुख्य सचिव विकास शील आज अफसरों पर बेहद नाराज हुए। उन्होंने कहा कि जब क्षमता नहीं तो इतनी योजनाएं क्यों बनाई जाती है, जितनी क्षमता हो, उतने ही प्लान बनाएं। छह-सात महीनों में कामों की प्रशासकीय स्वीकृति न होने पर उन्होंने हैरानी जताई। विकास शील ने एक-एक सिकरेट्री से पूछा कि 20 दिन के भीतर 31 दिसंबर तक आप लंबे समय से लटके कितना भुगतापन कर सकते हो और कितने की प्रशासकीय स्वीकृति ले लेंगे। सिकेट्री बताते गए और सीएस अपने नोटबुक में उसे लिखते गए।
वित्त सचिव का पत्र हवा में
कई विभागों द्वारा पूंजीगत व्यय की स्थिति खराब देखकर वित्त सचिव मुकेश बंसल ने कई सचिवों को पत्र लिख आग्रह किया था कि बजट में मिले पैसे को वे रेगुलर बेस पर खर्च करें, इसमें विलंब न हो। उन्होंने ये भी लिखा था कि ठेकेदारों और सप्लायरों का पैसा लंबे समय से रुके होने से भ्रष्टाचार की गुंजाइश बनती है, लिहाजा समय पर भुगतान व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मगर किसी सचिवों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
पीडब्लूडी की स्थिति काफी खराब
विभागों में देखा जाए तो सबसे अधिक पीडब्लूडी की स्थिति खराब है। इस साल बजट में पीडब्लूडी को 9500 करोड़़ रुपए मिले थे। उसमें से अभी तक सिर्फ 20 परसेंट खर्च हो पाया है। याने 1900 करोड़। जबकि, इस वित्तीय वर्ष में अब सिर्फ चार महीने बच गए हैं।
आश्चर्यजनक स्थिति
छत्तीसगढ़ में सड़कों की हालत देखकर आश्चर्य होता है कि इतना पैसा मिले होने के बाद भी पीडब्लूडी के इंजीनियरों का भारी-भरकम अमला कर क्या रहा है। पीडब्लूडी की अक्षमता का आलम यह है कि सरगुजा जैसे वीवीआईपी संभाग की सड़कों को देखकर आप हिल जाएंगे। स्थिति यह हो गई है कि बॉर्डर पर सड़कों से छत्तीसगढ़ की पहचान होने लगी है। यूपी, झारखंड, यूपी, एमपी तरफ से छत्तीसगढ़ में इंट्री करते ही पता चल जाता है कि छत्तीसगढ की सीमा प्रारंभ हो गई है। डिप्टी सीएम अरुण साव के पास पीडब्लूडी है। उनके मुंगेली जिले में भी कभी जाकर देख आइयेगा पीडब्लूडी अधिकारियों का अकर्मण्यता समझ में आ जाएगा। कम-से-कम अपने विभाग के मंत्री के जिले की सड़कों को ठीक कर देते। रायपुर से मुंगले जाते समय नांदघाट नेशनल हाईवे से जैसे ही मुंगेली रोड पकड़ियेगा पीडब्लूडी की अक्षमता दिखाई पड़ने लगती है।
जिसे पिछली सरकार ने हटाया उसे ईएनसी
कांग्रेस सरकार में एक अधिकारी लंबे समय तक ईएनसी याने इंजीनियर इन चीफ रहे। जब चुनाव का समय आया तो सड़कों की खराब हालत को लेकर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया तो सरकार ने अपने करीबी ईएनसी को हटाकर मैसेज देने का काम किया कि हमने ईनएसी की छुट्टी कर दी। उसी ईएनसी को बीजेपी सरकार ने भी फिर से ईएनसी बना दिया।
दरअसल, आज अक्टूबर में ज्वाईन करने के बाद मुख्य सचिव विकास शील ने आज एक बड़ी रिव्यू मीटिंग बुलाई थी। बैठक का एजेंडा पिछले एक हफ्ता से अफसरों को परेशान कर रखा था। क्योंकि, छत्तीसगढ़ में उस तरह कभी पूंजीगत व्यय टाईम पर क्यों नहीं हुआ, कभी किसी ने बड़े अफसरानों से पूछा ही नहीं। और आज जब पूछा गया तो सबकी कलई खुल गई। आलम यह था कि बजट स्वीकृति के बाद दो-दो साल लग जा रहा प्रशासकीय स्वीकृति लेने में। प्रशासकीय स्वीकृति अपने मंत्री से ली जाती है। मगर इस काम में भी सचिव और डायरेक्टर दो-दो साल लगा दे रहे। अब आप समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ का डेवलपमेंट क्यों ठहर गया है?
बहरहाल, हांफते-कांपते सिकेट्री और एचओडी 9.55 बजे तक ऑडिटोरियम में अपनी कुर्सी पर बैठे ही कि उसके चार मिनट बाद चीफ सिकरेट्री कक्ष में दाखिल हुए। विकास शील के चेहरे से लग रहा था कि आज ढीले-ढाले अधिकारियों की खैर नहीं। और वैसा ही हुआ। 10 बजे से करीब 12.30 बजे तक मीटिंग चली, उसमें सीएस ने बिना लाग-लपेट के ऐसी क्लास लगाई कि सारे अधिकारी आवाक थे।
डायरेक्टरों से सीधे संवाद
रिव्यू मीटिंग में सचिवों को बुलाया जरूर गया था मगर सीएस ने सीधे बात की डायरेक्टरों और एमडी से। कुछ सचिवों ने बीच में बोल अपने अफसरों की बचाने की कोशिश की तो उन्हें झिड़की मिल गई। एसएनए-स्पर्श प्रणाली में ऑनबोर्डिंग और पेमेंट की अद्यतन स्थिति दर्ज न करने पर कई डायरेक्टरों को जमकर फटकार लगी। कुछ डायरेक्टरों ने सीएस को आंकड़ों की बाजीगरी में उलझाने का प्रयास किया, इस पर उनकी क्लास लग गई।
बजट खर्च न होने पर सीएस नाराज
वित्त विभाग पूंजीगत व्यय में आधे दर्जन विभागों की स्थिति बेहद चिंताजनक पाई गई। बजट खर्च को लेकर सीएस ने जब अधिकारियों से पूछा तो पता चला, अभी तक कई विभागों ने प्लान तो बना लिया मगर उसकी प्रशासनिक स्वीकृति नहीं ले पाए। कई बार एक साल के बजट में मिले पैसे से दो-दो साल में काम शुरू नहीं हो पाते। इस पर मुख्य सचिव विकास शील काफी नाराज हुए। उन्होंने कहा, जब क्षमता नहीं होती तो उतने प्लान क्यों बना लेते हैं आपलोग? उतने ही प्लान बनाएं जितना कर सकते हैं।
31 दिसंबर तक का दिया टाईम
मुख्य सचिव ने कहा कि क्षमता से 20-25 परसेंट अधिक प्लान लिया जा सकता है मगर ऐसा नहीं कि दोगुने-तीगुने कर लिए। इसमें भी प्रायरिटी के हिसाब से प्रशासनिक स्वीकृति लेनी चाहिए। उन्होंने 31 दिसंबर तक का टाईम लिमिट दिया कि इस दिन तक इतने काम का भुगतान और कामों की प्रशासनिक स्वीकृति लेनी है। इसके लिए उन्होंने सभी से पूछपूछकर नोटबुक में लिखा कि 31 दिसंबर तक कौन कितना कर पाएगा? अगले महीने फिर इसका रिव्यू किया जाएगा। अधिकारियों को फिर बताना होगा, उसमें से वे कितना कर पाए।
सीजीएमएससी का काम निर्माण नहीं?
रिव्यू में जब सीजीएमएससी का नंबर आया तो मुख्य सचिव ने एमडी से पूछा...सीजीएमएससी का मूल काम दवाइयां और स्वास्थ्य उपकरण खरीदना है। निर्माण कार्य उसे क्यों करना चाहिए। विकास शील ने कहा कि मेरे स्वास्थ्य सचिव रहने के दौरान सीजीएमएससी का गठन हुआ था, उस समय निर्माण कार्य शामिल नहीं था। उन्होंने कहा कि पीडब्लूडी के पास इंजीनियरों की टीम होती है, तजुर्बा होता है, जिसको जिस काम में दक्षता हो, वह काम करना चाहिए। मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि आपलोग विचार करके बताइये कि सीजीएमएससी को निर्माण कार्य में क्यों इंवाल्व होना चाहिए।
बजट में घोषणा और परफर्मेंस
विधानसभा में सरकार की बजट घोषणाओं की स्थिति के बारे में चीफ सिकरेट्री ने पूछा तो सभी विभागों का हाल लगभग एक जैसा ही था। उन्होंने इसकी भी समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकार की घोषणाओं पर टॉप प्रायरिटी से अमल करें।
ई-ऑफिस, ई-एसीआर
मुख्य सचिव विकास शील ने अधिकारियों से ई-ऑफिस पर अपडेट लिया। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग से कहा कि वे जल्द-से-जल्द जिला कार्यालयों को भी ई-ऑफिस से जोड़ें। उन्होंने ऑनलाइन एसीआर लिखे जाने की प्रगति की रिपोर्ट ली। जाहिर है, कर्मचारियों और अधिकारियों की सुविधा को देखते भारत सरकार की तरह छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन एसीआर सिस्टम की कवायद की जा रही है।
सीएस का तगड़ा होमवर्क
बैठक से बाहर निकले कई अधिकारियों ने एनपीजी न्यूज को बताया कि सीएस का गजब का होमवर्क है। एक-एक डेटा पर वे काम करके मीटिंग में आए थे। यही वजह है कि कोई उन्हें बातों और आंकड़ों में उलझा नहीं पाया। अफसरों का कहना है कि अफसरों को अब अपने विभाग की एक-एक चीजों से अपडेट रहना होगा, वरना भरी मीटिंग में स्थिति खराब होगी।
सचिवों को ये निर्देश
मुख्य सचिव विकास शील की अध्यक्षता में आज मंत्रालय स्थित सभागार में राज्य की योजनाओं की समीक्षा की गई। विकासशील ने सचिवों को निर्देशित किया कि अपने विभाग के लिए अगले तीन वर्षों की कार्ययोजना तैयार करें, ताकि प्रदेश में कुशलता के साथ और तीव्र गति से काम हो सकें। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य जनता के हित में सतत् कार्य करना है।
बैठक में वर्ष 2025-26 के बजट में शामिल नवीन मद प्रस्तावों, योजनाओं और निर्माण कार्यों की प्रगति का विस्तृत मूल्यांकन किया गया। लक्ष्य और उपलब्धि के आधार पर विभागवार प्रस्तुति भी दी गई। बैठक में केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के एसएनए-स्पर्श प्रणाली में ऑनबोर्डिंग व पेमेंट की अद्यतन स्थिति, प्रमुख योजनाओं की क्रियान्वयन प्रगति, नवीन मद के प्रस्तावों की स्थिति, वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 के निर्माण कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति, तथा पूंजीगत व्यय की जानकारी सहित सभी प्रमुख बिंदुओं की गहन समीक्षा की गई। साथ ही बजट प्रावधान के विरुद्ध व्यय और ई-ऑफिस के क्रियान्वयन की वर्तमान स्थिति पर भी विशेष चर्चा की गई।
इसके अलावा मुख्य सचिव ने आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली को विभागों में सही ढंग से लागू करने, ई-ऑफिस को संचालनालय के साथ-साथ जिला स्तर पर भी आगामी वर्ष में पूरी तरह सुचारु रूप से संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी विभागों के स्थापना प्रभारी यह सुनिश्चित करें कि म-भ्त्डै पोर्टल पर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी पूर्ण रूप से ऑनबोर्ड हो जाए। मुख्य सचिव ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर सभी आवश्यक सुधारात्मक एवं प्रगतिशील कदम उठाने के निर्देश दिए। बैठक में सभी विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव और संचालनालय स्तर के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
