CG Principle Promotion: प्राचार्य पोस्टिंग विवाद: आज हाई कोर्ट में होगी सुनवाई, ई संवर्ग के 1478 शिक्षकों की टिकी नजरें
CG Principle Promotion: प्राचार्य पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा तय किए गए मापदंड को चुनौती देने वाली रिटायर्ड शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी की याचिका पर जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल के सिंगल बेंच पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बहस के लिए समय की मांग की थी। सिंगल बेंच ने एक दिन का समय देते हुए मंगलवार दोपहर 3.30 बजे के बाद सुनवाई करने की व्यवस्था दी है। ई संवर्ग के 1478 शिक्षक जिनको प्राचार्य के पद पर पोस्टिंग मिलनी है,इनकी नजरें हाई कोर्ट के आदेश की ओर लगी हुई है। इनके अलावा शिक्षक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों और भविष्य में पदोन्नति की राह पर खड़े शिक्षकों में उत्सुकता देखी जा रही है।

CG Principle Promotion: बिलासपुर। प्राचार्य पदोन्नति के बाद ई संवर्ग के 1478 शिक्षकों को प्रिंसिपल के पद पर पदस्थापना आदेश जारी किया जाना है। रिटायर शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी की याचिका ने ई संवर्ग के इन शिक्षकों की पोस्टिंग की राह में रोड़ा अटका दिया है। आज दोपहर 3.30 बजे के बाद जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल के सिंगल बेंच में याचिका की आगे की सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता रिटायर शिक्षक की ओर से अधिवक्ता अपना पक्ष रखेंगी। सोमवार को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से समय मांग लिया था।
सोमवार को राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बेंच को बताया कि प्राचार्य पदोन्नति के लिए बनाए गए नियमों,मापदंडों व कैडर को लेकर डिवीजन बेंच में विस्तार से सुनवाई हो चुकी है। सभी पक्षों ने अपनी बातें व तर्क बेंच के सामने रख दिया था। डिवीजन बेंच ने सभी आधा दर्जन याचिकाओं का खारिज करते हुए प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा बनाए गए निमयों व मापदंडों को सही ठहराते हुए पदोन्नति का आदेश जारी कर दिया है। इसी तरह के सभी यााचिकाओं की सुनवाई पूरी हो गई है। डिवीजन बेंच ने स्थगन आदेश को हटाते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
बता दें कि जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में सुनवाई के बाद बेंच ने 17 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था। डिवीजन बेंच में 9 जून से 17 जून तक लगातार सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने अपने- अपने विषय में तथ्यों के साथ पक्ष रखा था। अतिरिक्त महाधिवक्ता के साथ ही इंटरविनर ने भी लाभार्थी व शासकीय पक्ष को मजबूती से रखा था। स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, जिसे हाई कोर्ट ने 1 मई को स्थगित किया था। जिसमे सुनवाई चली। 17 जून को सुरक्षित फैसले पर अपना आर्डर सुनाते हुए डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराते, अंत मे हाई कोर्ट ने सभी को सुनने के बाद फैसला 17 जून को सुरक्षित रख लिया है, जिसमे सभी आपत्ति को खारिज करते हुए प्राचार्य पदोन्नति की जारी सूची से स्टे हटाते हुए शासन के पक्ष को सही माना है।
रिटायर शिक्षक की याचिका में ये सब
दुर्ग के रिटायर शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी ने ई संवर्ग के प्राचार्यों की पोस्टिंग के संबंध में याचिका लगाते हुए मांग की है कि 65 परसेंट की जगह 100 परसेंट पदों पर ई संवर्ग के शिक्षकों की पोस्टिंग दी जाए। जबकि, डबल बेंच पहले ही इस पर फैसला दे चुका है कि राज्य सरकार द्वारा 65 परसेंट का तय किया कोटा सही है। जाहिर है, सरकार ने 65 परसेंट ई संवर्ग वालों के लिए और 25 परसेंट एलबी याने लोकल बॉडी वाले मर्ज किए गए कैडर के लिए रखा गया है। बाकी 10 परसेंट सीधी भर्ती से पोस्टिंग होती है। मगर डबल बेंच के फैसले के बाद फिर से 65 परसेंट पर केस लगा दी गई। रिटायर शिक्षक की याचिका पर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में सुनवाई चल रही है।
437 प्राचार्य रिटायर
प्राचार्य पदोन्नति मामला कानूनी उलझन में फंसने का नुकसान जून तक रिटायर हो चुके 356 शिक्षकों का हुआ, जो बिना प्राचार्य की कुर्सी पर बैठ रिटायर हो गए। जुलाई का आंकड़ा देखे तो 'ई' संवर्ग के 58 व 'टी' संवर्ग के 23 शिक्षक रिटायर हो जाएंगे। याने जुलाई तक यह फिगर 437 पहुंच जाएगा। इन शिक्षकों के लिए तो कानूनी लड़ाई रोड़ा बनकर सामने आया। प्राचार्य बनने का सपना ही अधूरा रह गया है। जैसे-जैसे यह मामला आगे खिंचता चला जाएगा उसी अंदाज में लेक्चरर्स भी रिटायर होते जाएंगे। हर महीने तीन से चार दर्जन शिक्षक दोनों संवर्ग से रिटायर हो रहे हैं।
