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CG Principal Promotion: हाई कोर्ट में केस और बाहर सेटिंग, शिक्षक नेता बने दलाल, पोस्टिंग से पहले तबादले की सौदेबाजी

CG Principal Promotion: प्राचार्य पोस्टिंग का केस की सुनवाई हाई कोर्ट में अंतिम दौर में पहुंच गया है। सोमवार को राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी अपना पक्ष रखेंगे। चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि सोमवार को हाई कोर्ट आर्डर रिजर्व रख सकते हैं। हाई कोर्ट से केस क्लियर होने से पहले दलाल रूपी शिक्षक नेता सक्रिय हो गए हैं। सक्रियता के पीछे भी बड़ी वजह है।

CG Principal Promotion: हाई कोर्ट में केस और बाहर सेटिंग, शिक्षक नेता बने दलाल, पोस्टिंग से पहले तबादले की सौदेबाजी
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By Radhakishan Sharma

CG Principal Promotion: रायपुर। प्राचार्य पोस्टिंग का केस हाई कोर्ट से क्लियर होने से पहले ही दलाल रूपी शिक्षक नेता सक्रिय हो गए हैं। इनकी सक्रियता के पीछे बड़ी वजह भी दिखाई दे रही है। हाई कोर्ट से केस क्लियर होते ही प्राचार्यों की पोस्टिंग शुरू होगी। जाहिर है तबादला एक्सप्रेस दौड़ाने इनकी दौड़ भाग शुरू होगी। सक्रियता के पीछे की बड़ी वजह यह भी अदालत की आड़ में ये संपर्क साधेंगे और अपना काम निकालेंगे। काम निकालना तो ऐसे लोग बखूबी जानते हैं।

प्राचार्य पदोन्नति को लेकर राज्य शासन द्वारा बनाए गए नियम व मापदंडों को लेकर अदालत में लंबी कानूनी लड़ाई चल रही है। सबसे पहले आधा दर्जन ऐसे शिक्षक सामने आ गए जिनका इस पदोन्नति से दूर-दूर तक नाता नहीं था। शासन के नियमों व मापदंडों को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी। हालांकि डिवीजन बेंच ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा बनाए गए नियमों को सही ठहराते हुए जारी स्थगन आदेश को हटा दिया था। डिवीजन बेंच से याचिका के खारिज होने के बाद पेंच सिंगल बेंच में फंस गया। सिंगल बेंच में याचिकाकर्ता नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस याचिका को दलाल रूपी शिक्षक नेताओं ने जरिया बना लिया है।

शिक्षकों के बीच यह सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि हाई कोर्ट में चल रहे मुकदमें में इनका भी क्या काम। कैसी सक्रियता और किस बात की सक्रियता। अदालती कामकाज खासकर हाई कोर्ट में चलने वाले मामले मुकदमे को नजदीक से देखने और समझने वालों को यह बात अच्छी तरह पता है कि याचिकाकर्ता और उनके द्वारा जिनको पक्षकार बनाया जाता है, वहीं कोर्ट में आमने-सामने होते हैं। अधिवक्ताओं के जरिए जवाब दावा पेश किया जाता है और कोर्ट के सामने अधिवक्ता अपनी बात रखते हैं। कोर्ट के भीतर तो अधिवक्ता ही नजर आते हैं और अधिवक्ता ही अपने मुअक्किल की तरफ से बहस करते हैं। तीसरे और चौथे पक्ष की ना तो कोई भूमिका और ना ही कोई सक्रियता।

दरअसल इस सक्रियता के पीछे हाई कोर्ट से केस क्लियर होने के बाद टी और ई संवर्ग के प्राचार्यों की पोस्टिंग होनी है। प्राचार्य पोस्टिंग में जिनका नाम होगा,इनको झांसे में लेकर तबादला एक्सप्रेस दौड़ाने की दीर्घकालिक योजना पर ऐसे शिक्षक नेता काम कर रहे हैं। जाहिर सी बात है पोस्टिंग के दौरान कुछ ऐसे भी शिक्षक होते हैं जो झांसे में आ ही जाते हैं। झांसा में इसलिए कि हाई कोर्ट सक्रियता ऐसी तो फिर डिपार्टमेंट और सिस्टम में भी इनकी चलती ही होगी। बस इस बात का फायदा उठाकर तबादला एक्सप्रेस दौड़ाने की जुगत भिड़ा रहे हैं।

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