CG Politics News: कांग्रेस में संगठन चुनाव कछुआ गति से, दो माह पहले लौटे पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट बस्ते में बंद
CG Politics News:कांग्रेस में इस वक्त संगठन चुनाव का दौर चल रहा है, मगर यह भी धीमी गति से चल रहा है। जुलाई में मंडल अध्यक्षों के चुनाव के लिए पर्यवेक्षकों का दल आकर लौट चुका है, लेकिन नए मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। अब ब्लॉक अध्यक्षों के लिए भी पर्यवेक्षकों का दौरा पूरा हो गया है।

CG Politics News बिलासपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर इस वक्त छत्तीसगढ़ कांग्रेस में संगठन चुनाव का सिलसिला चल रहा है। इसकी धीमी गति का आलम यह है कि सितंबर खत्म होने को है ओर जिला अध्यक्षों का फैसला फिलहाल होने के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। दूसरी ओर मंडल अध्यक्षों के बाद ब्लॉक स्तर पर अध्यक्षों का चुनाव कराने के लिए दो दिन पहले ही पर्यवेक्षकों का दल यहां आया और सूची लेकर लौट गया है।
कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में दो- चार जिलों को छोड़ कर सभी जिला अध्यक्षों को बदलने का फैसला लिया है। संगठन ने जिला अध्यक्षों के चुनाव के लिए सितंबर माह का लक्ष्य रखा था, लेकिन समयसीमा में चुनाव होता नहीं दिख रहा है। पार्टी में पहली बार मंडल अध्यक्षों का चुनाव किया जा रहा है। चुनाव के वक्त तीन-चार बूथों को लेकर एक सेक्टर बनाया जाता है और दो या तीन सेक्टरों को मिला कर मंडल बनाया गया है। इस तरह बिलासपुर जिले में 25 से 30 मंडल अध्यक्षों का चुनाव होने की संभावना है। मंडल अध्यक्षों के लिए प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। इच्छुक लोगों से नाम मांगे गए थे और हर स्तर पर जांच के बाद पर्यवेक्षकों का दल भी बिलासपुर जिले का दौरा कर लौट चुका है। जुलाई माह में पर्यवेक्षकों का दल यहां आया था और पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के बाद सूची बनाई गई है। यह सूची लेकर ही पर्यवेक्षक रायपुर लौटे थे और उम्मीद की जा रही थी कि प्रदेश प्रभारी राजेश पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की अनुशंसा के बाद नए मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी जाएगी। इस उम्मीद में जुलाई के बाद अगस्त और अब सितंबर भी बीत रहा है। मंडल अध्यक्षों के इंतजार में संगठन की गतिवधि प्रभावित हो रही है।
ब्लॉक अध्यक्षों की रायशुमारी में गिनती के कांग्रेसी
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आदेश पर ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए चार पर्यवेक्षकों का दल बिलासपुर जिले के दौरे पर रहा। तीन ब्लॉक के कांग्रेसियों की रायशुमारी का काम कांग्रेस भवन में ही हो गया, जबकि रेलवे परिक्षेत्र के लिए रायशुमारी अलग भवन में की गई है। पार्टी में यह चर्चा का विषय है कि वोट चोर, गद्दी छोड़ अभियान के लिए तो एक- एक कार्यकर्ताओं को फोन कर सूचित किया गया था, मगर संगठन चुनाव के इस महत्वपूर्ण पड़ाव के लिए केवल पार्टी के ही कुछ वाट्सअप ग्रुप में सूचना देने की औपचारिकता निभा दी गई। कई वरिष्ठ कांग्रेसी हैं, जो नियमित रूप ेसे वाट्सअप ग्रुप देख नहीं पाते हैं, उन्हें इसकी सूचना तक नहीं मिली। यही कारण है कि ब्लॉक अध्यक्षों की रायशुमारी के वक्त गिनती के कांग्रेसी दिखे। पर्यवेक्षकों के दल ने सभी दावेदारों के नाम मांगे और सूची बना कर अपने साथ दस्तावेज ले गए।
महंत का दबदबा
पार्टी सूत्रों का दावा है कि बिलासपुर में हो रहे संगठन चुनाव में ब्लॉक स्तर पर आए ज्यादातर पर्यवेक्षक नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के समर्थक थे। कुछ समर्थक पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल के माने जा रहे हैं। जबकि प्रदेश कांग्रेस के बाकी किसी दिग्गज नेता का समर्थक पर्यवेक्षक के रूप में नजर नहीं आया है।
हटाए जाने वाले जिला अध्यक्षों की भूमिका पर चर्चा
बिलासपुर के दोनों अध्यक्ष, शहर अध्यक्ष विजय पांडेय और ग्रामीण जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी लंबे समय से जमे हुए हैं, इन्हें हटाया जाना तय माना जा रहा है। जबकि दोनों अध्यक्ष वर्तमान में चल रहे मंडल और ब्लॉक अध्यक्षों की चुनाव में अपनी पूरी भूमिका निभा रहे हैं। ब्लॉक अध्यक्षों के लिए आए ज्यादातर दावेदार इनके समर्थक माने जा रहे हैं। कुछ पार्टी नेताओं ने इसी कारण संगठन चुनाव की वर्तमान प्रक्रिया पर सवाल उठाया था। उनका तर्क था कि पहले जिला अध्यक्षों का चुनाव हो जाना था, उसके बाद नए अध्यक्षों के जरिए ही मंडल और ब्लॉक अध्यक्षों का चुनाव होना था।
