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CG Politics News: कांग्रेस में भीतरघात की रिपोर्ट दबाई गई, सिफारिशें ठंडे बस्ते में, विधायक समेत कई बड़े नेताओं पर लगे थे आरोप

CG Politics News: नगरीय निकाय चुनाव में भीतरघात के आरोप पर पीसीसी ने तीन सदस्यीय कमेटी से जांच कराई थी। मगर अब पार्टी की एकजुटता के लिए जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। उधर, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अभयनारायण राय को क्लीन चिट मिलने की चर्चा है। दरअसल, अभयनारायण पर कार्रवाई करने जिला कमेटी को अधिकार नहीं था।

CG Politics News: कांग्रेस में भीतरघात की रिपोर्ट दबाई गई, सिफारिशें ठंडे बस्ते में, विधायक समेत कई बड़े नेताओं पर लगे थे आरोप
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By Radhakishan Sharma

CG Politics News: बिलासपुर। कांग्रेस में नगरीय निकाय चुनाव के दौरान कई बड़े नेताओं पर भीतरघात के आरोप लगे थे। पार्टी ने इस चुनाव में हार का सामना किया था। मतदान के बाद ही जिला संगठनों को पार्टी प्रत्याशियों की हार की भनक लग चुकी थी, संभवतः यही कारण है कि जिला अध्यक्षों ने जिन नेताओं पर आरोप लगे, उन पर ताबड़तोड़ कार्रवाई। बिलासपुर सहित कुछ जिलों में तो जिला अध्यक्षों और दूसरे नेताओं पर आरोप लगा कि कार्रवाई कर एक-दूसरे को निपटाने का प्रयास किया गया है।

शिकायत और कार्रवाई के मामले में बिलासपुर कांग्रेस शहर व ग्रामीण जिला चर्चा का विषय बन गयी थी। विधायक अटल श्रीवास्तव तक को पार्टी से निलंबित करने की अनुशंसा कर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेज लोगों को चौंका दिया गया था। वहीं प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय, महिला कांग्रेस की सीमा पांडेय सहित छह लोगों के निष्कासन का बाकायदा आदेश जारी कर दिया गया था।

चुनाव के नतीजे देख कर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी गंभीरता दिखाई और तत्काल जांच कमेटी भेज कर रिपोर्ट मंगवाई थी। फरवरी में हुई इस जांच की रिपोर्ट रायपुर पहुंच चुकी है, लेकिन शायद अब तक किसी ने उस रिपोर्ट को पढ़ा ही नहीं है या फिर कार्रवाई का विषय ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

भीतरघात का आरोप-

प्रदेश प्रवक्ता और बिलासपुर के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अभय नारायण राय पर निगम चुनाव में वार्ड 42 के पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ काम करने का आरोप लगा था। प्रत्याशी ब्रह्मदेव सिंह ने इसकी लिखित शिकायत जिला कांग्रेस के अध्यक्ष विजय केशरवानी से की थी। इनके अलावा प्रदेश कांग्रेस की महासचिव सीमा पांडेय सहित छह लोगों को एक साथ पार्टी से निष्कासित करने का आदेश केशरवानी ने दिया था। उस वक्त कार्रवाई की ऐसी बयार चल रही थी कि 60 से अधिक लोगों को पार्टी से निकाल दिया गया या कार्रवाई की अनुशंसा की गई। अभय नारायण तीसरी बार प्रदेश कांग्रेस में प्रवक्ता बनाए गए थे। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा था कि जिला अध्यक्ष को कार्रवाई करने का अधिकार ही नहीं है। जबकि केशरवानी ने दावा किया कि चूंकि वे जिला कांग्रेस के सदस्य हैं, इसलिए कार्रवाई की जा सकती है।

जिला अध्यक्ष को चपरासी-

कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने तो नेताओं के आगमन के बीच सार्वजनिक रूप से केशरवानी के संदर्भ में टिप्पणी की थी कि अफसर के खिलाफ चपरासी कैसे कार्रवाई कर सकता है। अटल के कहने का आशय यह था कि अभयनारायण जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मेंबर हैं तो जिला कमेटी उन्हें कैसे निलंबित कर सकती है।

अभयनारायण को क्लीन चिट-

बहरहाल, इसके बाद जिला कांग्रेस ने अटल को निलंबित करने की अनुशंसा के साथ प्रदेश कांग्रेस को पत्र लिखा था। इन घटनाक्रमों के बीच कांग्रेस के नेताओं के बीच का मतभेद सार्वजनिक हो गया था। संगठन की स्थानीय बैठकों में इसका असर साफ-साफ देखा जा रहा था। सूत्रों का कहना है कि अभय नारायण के मामले में जिला कांग्रेस की कार्रवाई कमजोर पड़ सकती है, क्योंकि वे प्रदेश पदाधिकारी हैं और कार्रवाई का अधिकार भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी को है।

बनी फैक्ट फाइडिंग कमेटी-

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने विवाद की जांच के लिए फैक्ट फाइडिंग कमेटी का गठन किया था। प्रदेश के वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू के नेतृत्व में बनी इस कमेटी में पूर्व विधायक अरुण वोरा और अल्प संख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र सिंह छाबड़ा थी शामिल थे। जांच कमेटी बिलासपुर आयी और यहां के सभी कांग्रेसियों से अलग- अलग मुलाकात कर उनका पक्ष लिया। विधायक अटल श्रीवास्तव ने रायपुर में ही कमेटी के सामने अपना पक्ष रखा था।

रिपोर्ट पर अब बात तक नहीं-

वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू ने जांच के बाद कहा था कि तीन- चार दिनों में रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंप दी जाएगी। फरवरी में हुई इस जांच की रिपोर्ट संभवतः प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पास पहुंच चुकी है। इसके बाद से इस पर कोई बात नहीं की जा रही है। वरिष्ठ पार्टी नेताओं का मानना है कि अब यह मसला ठंडे बस्ते में जा सकता है। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस में अभी एकजुटता की जरुरत है और पुराने मामलों के सामने आने से मतभेद फिर उभर आएगा। प्रदेश महामंत्री सुबोध हरितवाल का कहना है कि रिपोर्ट पीसीसी के पास है, इस पर किसी भी वक्त फैसला लिया जा सकता है।

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