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CG Politics News: अमित शाह के प्रवास के दिन सियासी ड्रामा, ननकीराम पर न पड़ जाए भारी! बीजेपी नेताओं के एंड से चूक, डैमेज के बाद क्यों जागा संगठन

CG Politics News: पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर अपने बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं। सात बार के विधायक ननकीराम इस बार कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत के खिलाफ मोर्चा खोलने को लेकर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निवास के सामने धरना देने की कोशिश की और उस दिन हुआ, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में थे। अमित शाह के दौरे से ज्यादा ननकीराम कंवर का धरना सुर्खिया बन गया। इस वजह से पार्टी के लीडर नाराज बताए जाते हैं। हालांकि, सियासी पंडितों का कहना है कि भाजपा के बड़े नेताओं की तरफ से भी चूक हुई। जो काम देर शाम पार्टी नेताओं ने किया...पार्टी नेताओं ने ननकीराम कंवर को ससम्मान प्रदेश मुख्यालय बुलाकर बात की, वही काम अगर दो दिन पहले कर लिया होता, तो इस कदर छिछालेदर नहीं हुई होती।

CG Politics News: अमित शाह के प्रवास के दिन सियासी ड्रामा, ननकीराम पर न पड़ जाए भारी! बीजेपी नेताओं के एंड से चूक, डैमेज के बाद क्यों जागा संगठन
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By Radhakishan Sharma

CG Politics News: रायपुर। कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत भले ही जांच में दोषी पाए जाएं या उन्हें हटा दिया जाए, मगर उनके खिलाफ मोर्चा खोलने के पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर के तरीके ने भाजपा में ऊपर तक हलचल मचा दी है। मोर्चा खोलने के साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष पर भी तीखी टिप्पणी मीडिया के सामने की है, जिसकी रिपोर्ट भी पार्टी तक पहुंच चुकी है।

इस वक्त भाजपा में अब बदलाव का युग शुरू हो चुका है। दिल्ली से छत्तीसगढ़ तक तमाम वरिष्ठों को दूसरी जिम्मेदारी देकर या जिम्मेदारी से मुक्त कर दूसरी लाइन के नेताओं को फ्रंट पर लाने की कवायद बीते विधानसभा चुनाव से शुरू हो चुकी है। इसका असर अब राज्य सरकार के मंत्रियों, निगम व मंडल अध्यक्षों पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। इस बदलाव के बीच ननकी राम ने जिस तरह से सरकार के खिलाफ पार्टी लाइन से बाहर जाकर मोर्चा खोला है, उसका नतीजा अच्छा नहीं होगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव में भी ननकीराम को रामपुर से टिकट दिया था, भले ही नतीजा सकारात्मक नहीं आया। ऐसे में भविष्य में ननकीराम के साथ उनके परिवार के लिए पार्टी की राजनीति में रास्ता कठिनाई भरा हो सकता है।

जनसंघ के रास्ते राजनीति में 1977 में सक्रिय होने वाले ननकीराम को शुरू से ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलती रही है। इससे पहले उन्हें 1972 में अविभाजित मध्यप्रदेश में रामपुर से ही टिकट मिला था, मगर हार गए थे। पहला चुनाव जीतते ही उन्हें जनता पार्टी की सरकार में वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था। इसके बाद उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा के शासन में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली भाजपा सरकार में 2003 में मंत्री बने और 2008 में गृह मंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी। इन उपलब्धियों के बीच ननकीराम कंवर अपनी स्पष्टवादिता के कारण अक्सर चर्चा में रहते आए हैं।

पीएससी पर गए थे हाईकोर्ट

ननकीराम कंवर वकील भी हैं। भूपेश सरकार में छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग में गड़बड़ी का मामला उन्होंने उठाया था और इस पर उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के आदेश पर ही भर्ती की जांच के आदेश दिए गए थे और विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भी पीएससी भर्ती घोटाला को मुद्दा बनाया था। अब इस घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है और चेयरमेन सहित कुछ अधिकारी सलाखों के पीछे जा चुके हैं।

बेटे की बात भी नहीं सुनी

ननकीराम कंवर ने चार अक्टूबर को सीएम हाउस के सामने धरना देने की चेतावनी दी थी और इस दिन रायपुर पहुंच भी गए थे। उन्हें पुलिस ने एक भवन में रोक लिया था, उस वक्त उनके बेटे संदीप कंवर भी उन्हें मनाने आए थे, मगर उन्होंने बात नहीं सुनी। कुछ भाजपा नेताओं ने भी प्रयास किया था कि श्री कंवर समझ जाएं, पर बात नहीं बनी। जबकि एक दिन पहले मुख्यमंत्री श्री साय ने फोन पर कंवर से चर्चा की थी। बताते हैं कि कंवर कलेक्टर को हटाने का आश्वासन लिखित में चाहते थे।

भाजपा अध्यक्ष किरणदेव ने की चर्चा

ननकीराम को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने भाजपा ऑफिस बुला कर चर्चा भी की है। सिंहदेव गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में शामिल होने बस्तर गए थे। वहां से लौटते ही उन्होंने ननकीराम को बुला कर पूरा मामला समझा। इस चर्चा के बाद भी ननकीराम संयमित नहीं दिखे और मीडिया के सामने सीएम और विधानसभा अध्यक्ष पर जिस तरह से टिप्पणी की है, उससे उनका सियासत का रास्ता अब कठिन होता नजर आ रहा है। हालांकि ननकीराम ने यह भी कहा है कि वे भाजपा के सिपाही हैं और किसी पार्टी में नहीं जाएंगे।

कलेक्टर के खिलाफ कई शिकायतें

कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत के खिलाफ ननकीराम कंवर ने कई शिकायतें की हैं। और सभी की जांच का जिम्मा बिलासपुर संभाग आयुक्त सुनील जैन को दिया गया है। खबर है कि अब जांच में तेजी लाई जाएगी और उसकी रिपोर्ट राज्य शासन को भेज दी जाएगी। दूसरी ओर यह भी संभावना है कि जांच रिपोर्ट आने से पहले ही कलेक्टर बदल दिए जाएं। फिलहाल अजीत वसंत अवकाश पर गए हुए हैं। 12 और 13 अक्टूबर को कलेक्टर्स कांफ्रेंस है, देखना होगा कि उसमें पुराने कलेक्टर आते हैं या नए कलेक्टर भाग लेंगे।

साफ-सुथरी छबि के कलेक्टर

कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत साफ-सुथरी छबि के आईएएस हैं। इसलिए उनकी शिकायतें भी खूब हो रही हैं। हालांकि, राजकाज में कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती है कि सरकार को अच्छे अधिकारियों को विषम हालात में बदलना पड़ जाता है। कोरबा के कलेक्टर रहे पी0 दयानंद के खिलाफ तब के कांग्रेस विधायक जयसिंह अग्रवाल ने मोर्चा खोल दिया था। उस दौरान कोरबा पहुंचे वरिष्ठ मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से दयानंद की कुछ बात हो गई थी। बृजमोहन अग्रवाल इसको लेकर काफी नाराज हुए। चूकि दयानंद अच्छे अधिकारी थे, इसलिए तत्कालीन सरकार ने कोरबा से उन्हें हटा तो दिया मगर उससे बड़े जिले बिलासपुर का कलेक्टर बना दिया। सरकार के पास ये एक रास्ता था। दूसरा, अजीत बसंत वाकई कोरबा में अच्छे काम कर रहे तो फिर ननकीराम कंवर को समझा बूझा कर उन्हें संतुष्ट किए जाने का प्रयास करना चाहिए था। कलेक्टर खुद भी सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ नेता को बुलाकर बात कर सकते थे।

ननकीराम पर गाज?

चूकि अमित शाह जैसे देश के दूसरे सबसे ताकतवर नेता के दौरे में राजनीतिक ड्रामा हुआ, उसको लेकर रिपोर्ट उपर तक गई है। राजनीतिक प्रेक्षकों को लगता है कि इस वजह से ननकीराम कंवर पर पार्टी की तरफ से कहीं कार्रवाई न हो जाए। इस घटना को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है कि ननकीराम के धरना से अमित शाह का बेहद महत्वपूर्ण बस्तर दौरा दब गया। दूसरे, ननकीराम ने मुख्यमंत्री के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ0 रमन सिंह को भी निशाने पर ले लिया। जबकि, उनका इस वाकये से कोई संबंध नहीं। लिहाजा, खुफिया एजेंसिया इस बात की तस्दीक कर रही कि ननकीराम के कंधे पर कोई और तो बंदूक नहीं चला रहा।

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