CG:– ऑनलाइन अटेंडेस: शिक्षक और कर्मचारी संगठनों ने किया विरोध, कहा ऑनलाइन उपस्थिति से पहले सरकार दे मोबाइल और टेबलेट
CG:– विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) मोबाइल ऐप के जरिए शिक्षकों की शिलालेख ऑनलाइन उपस्थिति अनिवार्य करने को लेकर शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षक नेताओं ने इससे शिक्षकों की गोपनीयता भंग होने की आशंका व्यक्त करते हुए ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने का अंदेशा जताया है। वीएसके एप लागू करने से पहले सरकार द्वारा शिक्षकों को मोबाइल एप या टैबलेट प्रदान करने की मांग की है।

Online attendance: बिलासपुर। शिक्षकों की उपस्थिति पर अब सरकार ऑनलाइन नजर रखने वाली है। इसके लिए राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर मोबाइल एप विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) के जरिए शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति की प्रक्रिया करने के निर्देश जारी किए हैं। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग से प्रदेश के सभी संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश भी भेज दिया है। जारी आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि विद्या समीक्षा केंद्र मोबाइल ऐप के जरिए ही शिक्षकों के अटेंडेंस को ऑनलाइन माध्यम से अनिवार्य रूप से लागू करें।
सरकार के इस फैसले पर शिक्षक संगठनों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष रविंद्र राठौर और संयुक्त शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष केदार जैन ने संयुक्त बयान जारी कर इस निर्णय को अस्वीकार्य बताया है। उनका कहना है कि साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे के दौर में शिक्षकों को अपने निजी मोबाइल फोन में सरकारी ऐप डाउनलोड करने के लिए बाध्य करना उनकी गोपनीयता के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है।
रविंद्र राठौर ने स्पष्ट किया कि उनका विरोध ऑनलाइन उपस्थिति या निगरानी व्यवस्था से नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षक पारदर्शिता से भागने वाले नहीं हैं, लेकिन निजी मोबाइल में सरकारी ऐप डाउनलोड करना स्वीकार्य नहीं है। यदि सरकार ऑनलाइन अटेंडेंस लागू करना चाहती है तो शिक्षकों को इसके लिए सरकारी मोबाइल या टैबलेट उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
रविंद्र राठौर ने सरकार के उस दावे पर भी सवाल खड़े किए, जिसमें कहा गया है कि सात जिलों में VSK ऐप का पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा। उन्होंने दावा किया कि जिन जिलों में यह प्रयोग किया गया, वहां कुल शिक्षकों में से केवल 10 प्रतिशत ने ही ऐप डाउनलोड किया था। ऐसे में इसे सफल पायलट बताना भ्रामक और वास्तविकता से परे है।
वहीं संयुक्त शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष केदार जैन ने कहा कि शिक्षा विभाग पहले ही शिक्षकों के मोबाइल में 10 से अधिक अलग-अलग ऐप्स डाउनलोड करवा चुका है और अब एक और नया ऐप अनिवार्य किया जा रहा है। उन्होंने इस फैसले को “तुगलकी फरमान” बताते हुए कहा कि इससे सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं। जैन ने सुझाव दिया कि यदि निगरानी आवश्यक है तो उसे अधिकारियों के माध्यम से स्कूल निरीक्षण और मैनुअल मॉनिटरिंग के जरिए किया जाए, न कि ऐसे प्रयोगों से जो साइबर जोखिम को बढ़ाते हों।
