CG OBC Commission: जानिये किसलिए बनाया गया छत्तीसगढ़ में ओबीसी के लिए विशेष आयोग, क्या है दायित्व?
CG OBC Commission: सात सदस्यीय ओबीसी कल्याण आयोग का गठन होते ही एनपीजी न्यूज के व्हाट्सएप ग्रुपों और ऑफिस के लैंडलाइन फोन पर कॉलों की झड़ी लग गई। हर आदमी का एक ही सवाल था...आयोग का कार्यकाल तीन महीने क्यों? क्या आदेश में मिस प्रिट होकर तीन साल की जगह तीन महीना हो गया है। सवाल ऐसे भी आए कि बाकी जिलों की उपेक्षा क्यों? आईये हम बताते हैं कि ये कंफ्यूजन क्यों हुआ? तीन महीने के कार्यकाल की आदेश सही है या मिस प्रिंट?
CG OBC Commission रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन कर दिया है। रिटायर्ड आईएएस आरएस विश्वकर्मा को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। विश्वकर्मा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलेगा। जैसा कि सरकार ने 16 जुलाई को ओबीसी कल्याण आयोग की अधिसूचना जारी की थी, उसके अनुसार अध्यक्ष के अलावा आयोग में छह सदस्य भी बनाए गए हैं।
तीन महीने का कंफ्यूजन क्यों?
ओबीसी कल्याण आयोग के गठन के आदेश में कार्यकाल तीन महीने लिखा हुआ है। इस तीन महीने से ही लोगों में मिस प्रिंट का भ्रम पैदा हुआ। आपको बता दें, ओबीसी कल्याण आयोग राजनीतिक आयोग नहीं है। यह विशुद्ध तौर पर तकनीकी आयोग है। राजनीतिक आयोग का कार्यकाल तीन साल रहता है। इसलिए, न तो आदेश मिस प्रिंट है और न ही मंत्रालय से आदेश निकालने मे कोई चूक हुई है। इस आयोग को कार्य करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। अफसरों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो आयोग का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा। अब आपके मन में यह जानने की उत्सुकता होगी कि किस तरह का ये ओबीसी आयोग है, जिसे निश्चित समय में काम करना होगा और ऐसा क्या काम है कि उसके लिए समय सीमा बढ़ाने की स्थिति भी आ सकती है।
जानिये आयोग का दायित्व
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि नगरीय निकायों के चुनावों से पहले ओबीसी का कंप्लीट सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन कराया जाए। इसी के आधार पर फिर ओबीसी का आरक्षण निर्धारित किया जाए। मध्यप्रदेश समेत कुछ राज्यों में ओबीसी के व्यापक अध्ययन के बाद ही नगरीय निकाय चुनाव कराए गए। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में यह फैसला दिया था। कायदे से दो साल पहले इस आयोग का गठन हो जाना था। मगर अब मात्र तीन महीने का समय बच गया है। छत्तीसगढ़ में नवंबर में नगरीय निकाय और मार्च में पंचायत चुनाव हैं।
मूल काम आरक्षण
वैसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने अधिसूचना जारी की है, उसके अनुसार आयोग निम्न काम करेगा।
1. प्रदेश में पिछड़े वर्गो की वर्तमान सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थितियों का अध्ययन।
2. सरकार की विभिन्न विभागों और योजनाओं में पिछड़े वर्ग की भागीदारी।
3. राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में ओबीसी को मिल रहे लाभों का अध्ययन।
4. राज्य में ओबीसी के युवाओं को रोजगार में मिल रहे अवसरों का अध्ययन।
5. राज्य में ओबीसी के युवाओं को कौशल उन्नयन और ट्रेनिंग में मिल रहे अवसर।
6. ओबीसी को नगरीय निकाय औ पंचायत चुनाव में मिल रहे आरक्षण का अध्ययन।
दरअसल, आखिरी प्वाइंट ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी की जनसंख्या के आधार पर नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में आरक्षण देने कहा है।
अलग-अलग आयोग
पिछड़ा वर्ग आयोग और पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग, दोनों में अंतर है। आमतौर पर बनाए जाने वाले राजनीतिक आयोगों का नाम पिछड़ा वर्ग आयोग होता है मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विशेष आयोग बनाया गया है, उसमें कल्याण शब्द जुड़ा हुआ है। नाम से भी लोगों में भ्रम की स्थिति निर्मित हुई। लोगों ने समझा राजनीतिक आयोग का गठन हो गया है। नीचे देखें राजपत्र...