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CG News: वेतन लाख रुपए मगर काली कमाई लाखों में, पिछले डायरेक्टर को चौतरफा शिकायतों के बाद बर्खास्त किया गया, एसीबी में शिकायत भी

CG News: मनरेगा, पीएम आवास के डायरेक्टर सोशल ऑडिट का पद है तो संविदा। वेतन भी मिलता है एक लाख। मगर उपरी कमाई ऐसी कि पिछले डायरेक्टर को न केवल बर्खास्त किया गया बल्कि एसीबी जांच के लिए भी लिखा गया था।

CG News: वेतन लाख रुपए मगर काली कमाई लाखों में, पिछले डायरेक्टर को चौतरफा शिकायतों के बाद बर्खास्त किया गया, एसीबी में शिकायत भी
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By Supriya Pandey

CG News: रायपुर। भारत सरकार ने मनरेगा और पीएम आवास जैसी योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए एक डायरेक्टर सोशल ऑडिट का पद बनाया है। स्टेट लेवल के इस पद के लिए तीन साल और उसके बाद दो साल के एक्सटेंशन का प्रावधान है। याने कुल पांच साल कार्यकाल रहेगा। इसके लिए भारत सरकार ने एक लाख रुपए फिक्स सैलरी तय किया है। 2013 में केंद्र ने इस पद को क्रियेट किया। इसके बाद छत्तीसगढ़ में हाल ही में तीसरे डायरेक्टर की नियुक्ति हुई है। याने इनसे पहले दो डायरेक्टर और रह चुके हैं।







अब बात वेतन की, तो स्टेट लेवल के इस पद के लिए एक लाख रुपए कुछ भी नहीं है। काम की व्यापकता को देखते आप समझ सकते हैं कि डायरेक्टर पद कितना महत्वपूर्ण है। डायरेक्टर के कार्यक्षेत्र में 11 हजार 693 से अधिक ग्राम पंचायत और 146 जनपद पंचायत हैं। इस हिसाब से 11693 सरपंच और पंचायत सचिव हो गए। ग्रामीण इलाकों में आजकल मनरेगा से लेकर पीएम आवास के निर्माण में ग्राम पंचायतों की भूमिका रहती है। इसके अलावे इन 11693 ग्राम पंचायतों में काम करने वाले ठेकेदार हैं।

डायरेक्टर की गंभीर शिकायत

कांग्रेस सरकार में भोपाल के मनोज तिवारी को डायरेक्टर सोशल ऑडिट बनाया गया था। उनके खिलाफ बेइंतहा शिकायतें हुईं। सरकार से लेकर राजभवन तक लोग पहुंच गए। राज्यपाल विस्वभूषण हरिचंदन ने इसकी जांच के लिए कहा था। मगर पानी जब सिर से उपर चढ़ने लगा तो फिर सरकार ने डायरेक्टर को बर्खास्त कर दिया था। उनकी जगह पर रिटायर आईएफएस अधिकारी पीसी मिश्रा को प्रभारी डायरेक्टर बनाया गया था। मिश्रा ने मार्च 2024 को प्रमुख सचिव पंचायत को आर्थिक अनियमितता की तीन पेज की शिकायत भेजते हुए एसीबी जांच की सिफारिश की थी। मिश्रा ने तत्कालीन डायरेक्टर पर गंभीर शिकायतों का जिक्र किया था।

सूत्रों का कहना है कि मिश्रा ने सिर्फ वाहन मामले की शिकायत की थी। इसी तरह की अनेक आर्थिक अनियमितता के मामले सामने आए थे। संविदा कर्मचारी भी उनके खिलाफ राजभवन पहुंच गए थे। आरोप था कि डायरेक्टर कर्मचारियों की भर्ती और नौकरी से हटाने में मनमानी कर रहे हैं।

डायरेक्टर का पद जलवेदार

डायरेक्टर सोशल ऑडिट का पद भले ही संविदा वाला हो मगर है प्रभावशाली। सोशल ऑडिट टीम में भर्ती से लेकर उसकी छंटनी करने का अधिकार डायरेक्टर को होता है। राजधानी में उसका ऑफिस होता है। गाडी से लेकर अन्य तरह की कई सुविधाएं उसे मिलती है। पिछले डायरेक्टर ने स्टेट्स न होने के बाद भी इनोवा क्रिस्टा गाड़ी किराये में ले लिया था और बिलिंग अपने नाम कराया। इसकी भी जांच चल रही है।

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