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CG News: PHE सब इंजीनियर भर्ती में आरक्षण विवाद, हाई कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी समेत तीन अफसरों को किया तलब

PHE के अफसरों की लापरवाही ने छत्तीसगढ़ सरकार को एक बार फिर मुसिबत में डाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अफसरों ने सीधेतौर पर उल्लंघन कर दिया है। पीएचई में सब इंजीनियर की भर्ती में आरक्षण रोस्टर से अलग अफसरों ने अपने हिसाब से रोस्टर बना दिया है। इसे चुनौती देते हुए रश्मि वाकरे ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए अनुसूचित जनजाति महिला संवर्ग में होने वाली नियुक्तियों को हाई कोर्ट के आदेश के अधीन रख लिया है। इस केस में चीफ सेक्रेटरी, सेक्रेटरी सामान्य प्रशासन एवं सेक्रेटरी पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग को नोटिस हुआ और अंतरिम राहत देते हुए अनुसूचित जनजाति महिला संवर्ग पर नियुक्ति हाई कोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी।

CG News: PHE सब इंजीनियर भर्ती में आरक्षण विवाद, हाई कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी समेत तीन अफसरों को किया तलब
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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। रश्मि वाकरे ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बिलासपुर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का राज्य सरकार से परिपालन कराने की मांग की है। मामले की सुनवाई जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने चीफ सिकरेट्री के अलावा सामान्य प्रशासन विभाग व पीएचई के सिकरेट्री को नोटिस जाारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।याचिकाकर्ता को राहत देते हुए कोर्ट ने अनुसूचित जनजाति महिला संवर्ग में होने वाली नियुक्ति को अपने अधीन रख लिया है।याचिकाकर्ता रश्मि वाकरे ने अपनी याचिका में बताया है कि पीएचई ने मार्च 2025 में सब इंजीनियर सिविल के 118 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। पीएचई द्वारा जारी विज्ञापन में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसा कर विभाग के अफसर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सीधेतौर पर उल्लंघन कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने अदालतों के निर्देशों के परिपालन के संबंध में पत्र भी जारी किया है। इसके बाद भी विभागीय अफसर अपने नियम चला रहे हैं।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए बताया कि PHE में सब इंजीनियरों की भर्ती हो रही है। याचिकाकर्ता अनुसूचित जनजाति वर्ग की अभ्यर्थी है। पीएचई के अफसर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सीधेतौर पर उल्लंघन कर रहे हैं। आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं कर रहे हैं। नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर 29 नवंबर 2012 एवं सामान्य प्रशासन विभाग छ.ग. द्वारा 03 मई 2023 के निर्देश के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। बता दें कि SLP पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किया था। इसके चलते वह एक अच्छे अवसर से वंचित हो रही है।

ये है आरक्षण रोस्टर-

पीएचई में सब इंजीनियर भर्ती के लिए जारी 102 पद में 52 अनारक्षित, 15 SC, 20 ST व 15 प्रतिशत OBC के लिए आरक्षित रखा गया है। विज्ञापन में शर्त रखी गई कि चयन प्रक्रियाओं में आरक्षण सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र 3 मई 2023 के अनुसार व सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के अध्याधीन रहेगा।

आरक्षण में कर दी कटौती-

याचिका के अनुसार लिखित परीक्षा पास हाेने के बाद 10 जुलाई को पत्र लिखकर दस्तावेजों के परीक्षण के लिए बुलाया। 16 जुलाई को लिखे पत्र में ST कैटेगरी में 19 वें नंबर पर आने के कारण उसे नहीं बुलाया। याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ शासन के 29 नवंबर 2012 को आरक्षण संशोधन का हवाला देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने SC को 12 ST को 32 व OBC को 14 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले एससी को 16 एसटी को 20 ओबीसी को 14 प्रतिशत था। राज्य शासन के संशोधन को चुनौती देते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

हाई कोर्ट ने जिला स्तरीय आरक्षण व्यवस्था को असंवैधानिक मानते हुए रद कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आगामी आदेश तक 29 नवंबर 2012 को आरक्षण रोस्टर के अनुसार भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि पीएचई के अफसर सब इंजीनियर भर्ती में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। पीएचई ने 32 के बजाय एसटी आरक्षण को 20 प्रतिशत कर दिया है।

राज्य सरकार के सरकुलर का अफसरों ने किया उल्लंघन-

बैकलाग पदों के छोड़कर 102 विज्ञापित पदों में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण नोटिफिकेशन 29 नवंबर 2012 का पालन नहीं किया जा रहा है। अनुसूचित जनजाति के लिए कुल 102 पद में से 32 पद के विरूद्ध सिर्फ 20 पद लिये जाने से आरक्षण का खुला उल्लंघन हो रहा है। उपरोक्त विज्ञापित पदों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग जारी सरकुलकर का पीएचई के अफसर सीधेतौर पर उल्लंघन कर रहे हैं।

इन विभागों में दिया जा रहा 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ-

लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग एवं लोक सेवा आयोग के द्वारा विभिन्न विभागों में भरे जाने वाले पदों के लिए अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभियर्थियों को 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। पीएचई में राज्य शासन के दिशा निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इतर अलग ही नियम व मापदंड अफसरों ने तय कर दिया है। पीएचई के अफसर आरक्षण नियम का सीधेतौर पर उल्लंघन कर रहे हैं।

ये है सुप्रीम कोर्ट का आदेश-

बिलासपुर हाई कोर्ट के 19 सितंबर 2022 के फैसले को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नियुक्तियां एवं चयन प्रकिया पूर्व निर्धारित व्यवस्था अनुसार करने की अंतरिम अनुमति प्रदान की है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देशित किया है कि सभी नियुक्तियों एवं चयन प्रकियाओं में यह विशेष रूप से लिखा जाए किया जाये कि नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन रहेंगी।

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