Begin typing your search above and press return to search.

CG News: नवोदय विद्यालय के छात्र की मौत: इलाज के लिए बाइक पर अस्पताल लेकर पहुंचे थे पिता, तबीयत बिगड़ने पर नहीं मिला समुचित इलाज

CG News:– तबीयत बिगड़ने पर समुचित इलाज नहीं, ना ही अस्पताल पहुंचने के लिए करवाया प्रबंध, बाइक पर लेकर पहुंचे पिता, हुई छात्र की मौत

CG News: नवोदय विद्यालय के छात्र की मौत: इलाज के लिए बाइक पर अस्पताल लेकर पहुंचे थे पिता, तबीयत बिगड़ने पर नहीं मिला समुचित इलाज
X
By Radhakishan Sharma

Bilaspur बिलासपुर। मल्हार स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाले कक्षा 10वीं के छात्र हर्षित यादव की अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई। बेलगहना गांव निवासी हर्षित यादव पिता जयप्रकाश यादव छठवीं से नवोदय विद्यालय में पढ़ रहा था और हॉस्टल में ही अन्य छात्रों के साथ रहता था। प्रबंधन द्वारा इलाज में लापरवाही बरतने के चलते छात्र ने अपनी जान गंवा दी।

शनिवार 22 नवंबर को स्कूल प्रबंधन की ओर से परिजनों को सूचना दी गई कि हर्षित की तबीयत खराब है। पिता जय प्रकाश यादव बेलगहना से मल्हार पहुंचे। छात्र हर्षित की स्थिति खराब थी। वह बाइक में बैठकर लाने लायक नहीं था। उसके पिता जय प्रकाश यादव ने बेटे को अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था करने की बात नवोदय प्रबंधन से कही। जिस पर बताया गया कि प्राचार्य गाड़ी को लेकर तीन दिनों के लिए मीटिंग में गए हैं।

बाहर से कोई गाड़ी करवाने की गुहार लगाने पर कहा कि आप खुद व्यवस्था कर लीजिए या बाइक से ही ले जाइए। बिलासपुर तक छुड़वा देने की गुहार भी नवोदय प्रबंधन ने अनसुनी कर दी। पिता अपने बेटे को पीछे बैठा कपड़े से बांध किसी तरह शहर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने निमोनिया की पुष्टि कर इलाज किया, जिसके बाद परिजन हर्षित को घर ले आए। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि निमोनिया बढ़ गया है,इसे पहले ही इलाज के लिए ले आना चाहिए था,लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए थी।

जयप्रकाश यादव अपने बेटे हर्षित यादव को घर लेकर चले गए। रविवार को वह घर पर ही था। सोमवार की सुबह उसकी तबीयत बिगड़ी और वह बेहोश हो गया। उसकी हालत अचानक बिगड़ गई और वह बेहोश हो गया। परिवार उसे पुनः बिलासपुर के एक निजी अस्पताल लाया, जहां ICU में भर्ती किया गया पर इलाज के दौरान उसकी मौत गई।

परिजनों का आरोप

पिता जयप्रकाश यादव ने नवोदय विद्यालय प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा हॉस्टल की खिड़कियां–दरवाजे खराब हैं,बाथरूम में लगातार पानी बहता रहता है, जिससे ठंड ज्यादा रहती है। सफाई और रखरखाव की स्थिति बेहद खराब है। सबसे बड़ी बात—बीमार होने पर प्रबंधन ने न तो इलाज करवाया न समय पर परिजनों को इसकी सूचना दी और यहां तक की परिवहन की व्यवस्था तक नहीं की, जिससे उन्हें बेटे को बाइक से अस्पताल लाना पड़ा। समय पर इलाज नहीं मिलने के चलते हर्षित की मौत हो गई। उसकी मौत के बाद स्कूल प्रबंधन ने किसी तरह का संपर्क परिजनों से नहीं किया। पिता ने कहा, “बेटा ही मेरा सहारा था।”

है खामियां ही खामियां,जिसके बीच रहने को मजबूर छात्र:

नवोदय विद्यालय के कमरों और हॉस्टल में खिड़कियों–दरवाजों का अभाव है। सफाई की कमी है। इसके अलावा कड़ाके की ठंड में सुबह पांच बजे नहाने जैसे कड़े नियम लागू है। सांप बिच्छू भी यहां आ जाते हैं। आस पास जंगल की तरह पेड़ है, और हॉस्टल की खिड़कियों में दरवाजा नहीं है जिसके चलते ठंड ज्यादा लगती है।

पिता ने की कार्यवाही की मांग:

मृत छात्र हर्षित यादव के पिता जयप्रकाश यादव ने बताया कि बच्चों की तबीयत बिगड़ने की जानकारी उन्हें पहले नहीं दी गई। जब स्थिति काफी बिगड़ गई तब जानकारी दी गई। सही समय पर इलाज नहीं मिल पाया और ना हीं स्कूल प्रबंधन से अस्पताल पहुंचाने के लिए मदद मिल पाई। कह दिया गया कि गाड़ी प्राचार्य ले गए हैं। इलाज में देरी की वजह से मेरे बेटे की जान चली गई। छात्र के पिता ने बताया कि उनका एक लड़का ( हर्षित) और लड़की है। हर्षित मेधावी था कंपीटिशन एग्जाम के माध्यम से नवोदय में चयनित हुआ था,जबकि बेटी ने एमएससी किया है। छात्र के पिता ने नवोदय प्रबंधन पर कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि जिम्मेदारों पर कार्यवाही हो ताकि किसी और अभिभावक को मेरी तरह दुख न उठाना पड़े।

अध्यक्ष हैं कलेक्टर:

नवोदय विद्यालय के अध्यक्ष कलेक्टर होते हैं। पर पिछले काफी समय से यहां कलेक्टर का दौरा नहीं हुआ है। मल्हार नवोदय विद्यालय के छात्र नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। कमरों के खिड़की दरवाजे टूटे हुए हैं। बाथरूम में दरवाजे तक नहीं है और न ही ठीक से पानी निकासी की समस्या है,जिसके चलते पानी बरामदे तक पहुंच जाता है। मेन गेट भी टूटा हुआ है। जगह जगह गंदगी के कारण संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। पालक भी गंदगी का मुद्दा उठा चुके है। गंदगी के चलते हैजा,डायरिया जैसे संक्रमण का खतरा है।

दूसरी ओर प्राचार्य फंड नहीं मिलने के चलते कार्य नहीं होने का हवाला देते हैं। प्राचार्य मनोज श्रीवास्तव के अनुसार चार बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है पर फंड रिलीज नहीं हुआ। डीएमएफ फंड से भी कोई काम नहीं हो पाया है।

Next Story