CG News: एमडीएम में फिनायल: पहले शिक्षक चखेंगे भोजन, फिर बच्चों को परोसेंगे एमडीएम, छत्तीसगढ़ के इस जिले में शुरू हुई नई व्यवस्था
CG News: सुकमा के बालक छात्रावास में खाने में फिनायल मिलाने की घटना के बाद प्रशासन चौकस हो गया है। इस मामले से सीख लेते हुए जांजगीर कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने मध्याह्न भोजन योजना की विशेष तौर पर मॉनिटरिंग करने के निर्देश मीटिंग के दौरान दिए हैं। भेाजन बनने के बाद शिक्षक चखेंगे। शिक्षक के आश्वस्त होने के बाद भी बच्चों को भोजन परोसा जाएगा।

CG News: जांजगीर। बस्तर संभाग के सुकमा जिले के छात्रावास में खाने में फिनायल मिलाने की घटना ने पूरे राज्य भर में तहलका मचा दिया था। इस गंभीर प्रकरण में दोषी शिक्षक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था वहीं छात्रावास अधीक्षक को हटा दिया गया था। अब ऐसी लापरवाही फिर से सामने ना आ पाए इसके लिए जांजगीर कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने टीएल मीटिंग के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिया है।
कलेक्टर ने शिक्षा विभाग के अलावा छात्रावासों के लिए भी सख्ती से निर्देश जारी करते हुए कहा है कि मध्याह्न भोजन के अलावा छात्रावासों में भी बनाए जा रहे भोजन की गुणवत्ता और इसकी शुद्धता तथा सुरक्षा के लिए विशेष चौकसी बरती जाए। इस कार्य में प्रधान पाठकों के अलावा शिक्षकों की भी जिम्मेदारी तय की जाए और भोजन बच्चों को परोसने से पहले खुद जिम्मेदार लोगों के द्वारा भोजन चखकर निगरानी तय की जाए। जिससे किसी भी किस्म की अनहोनी ना घटे।
कलेक्टर ने मध्यान्ह भोजन योजना के दौरान दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश संबंधित अधिकारी को दिए। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारी विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन की नियमित रूप से मॉनिटरिंग करें और बच्चों को दिए जा रहे भोजन की गुणवत्ता तथा स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा शिकायतें,क्वालिटी बेहद खराब
एमडीएम की क्वालिटी को लेकर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में कुछ ज्यादा ही शिकायतें मिल रही है। एमडीएम की निगरानी का काम भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है। इसके पीछे ग्राम पंचायत के सरपंच व पंचों का दबाव को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में एमडीएम बनाने का काम सरपंच या फिर पंच के रिश्तेदार या जान पहचान वालों के हाथ में ही है। इसके चलते शिक्षक व हेड मास्टर पर क्वालिटी को लेकर दबाव नहीं बना पाते। इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है।
