CG News: मंत्रालय में आईडी कार्ड के फीते के रंग ने कर्मचारियों के बीच क्यों मचाया बवाल?
CG News: छत्तीसगढ़ के मंत्रालय में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अलग अलग रंग के फीते वाले आईडी कार्ड को लेकर कर्मचारी नाराज बताये जा रहे हैं। बात सामूहिक अवकाश और हड़ताल तक चली गई

मंत्रालय
CG News: रायपुर। छत्तीसगढ़ के मंत्रालय में इन दिनों एक फीते का रंग बवाल मचाया हुआ है। बवाल ऐसा बढ़ गया है कि अब कर्मचारी संगठन सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी देने लगे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के एक आदेश के बाद यह स्थिति बनी है। कर्मचारियों के विरोध के बावजूद अब तक राज्य शासन या सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, इससे मामला गहराने के आसार नजर आ रहे हैं।
दरअसल, सामान्य प्रशासन विभाग ने मंत्रालय में अधिकारियों और कर्मचारियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए कुछ दिशा- निर्देश जारी किया है। नवा रायपुर के मंत्रालय में अधिकारियों और कर्मचारियों को आरएफआईडी, क्यूआर कोड और होलोग्राम युक्त आईडी कार्ड जारी करने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके लिए ऑनलाइन फार्म भी अधिकारियों व कर्मचारियों से भरवाए जा रहे हैं। यह काम इसलिए किया जा रहा है, ताकि अनाधिकृत लोगों का प्रवेश रोका जा सके और हर स्टाफ की पहचान सुनिश्चित हो। इससे मंत्रालय की सुरक्षा एजेंसी को भी काम करने में आसानी होगी। आईडी कार्ड जारी करने का तो कोई विरोध नहीं है, इस पर किसी कर्मचारी संगठन ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है। खबर है कि ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारी ऑनलाइन फार्म भी भर चुके हैं।
बवाल तब शुरू हुआ जब सामान्य प्रशासन विभाग ने हर श्रेणी के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आईडी कार्ड के फीते का रंग अलग- अलग तय कर दिया। संभवत: सामान्य प्रशासन विभाग ने हर वर्ग की पहचान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से फीते का रंग बदल दिया। अब यही बात कर्मचारियों को रास नहीं आ रही है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इस तरह मंत्रालय के स्टॉफ को बांटा नहीं जाना चाहिए। संगठन के पदाधिकारियों ने यहां तक कहा है कि सभी फीते का रंग एक जैसा होना चाहिए, आदेश में संशोधन नहीं किया गया तो सभ कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
नवा रायपुर के कर्मचारी फेडरेशन के प्रवक्ता जितेंद्र बिस्वाल ने कहा है कि यह गलत फैसला है। सभी कर्मचारी विरोध करते हैं। इस निर्णय से हमें अपमानित जैसा अनुभव हो रहा है। सभी शासकीय सेवक हैं, कोई बड़ा कोई छोटा नहीं है। फिर सरकार इस तरह का भेदभाव क्यों कर रही है।
