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CG News: गृह मंत्री के जिले में पुलिस का तालिबानी कानूनः दुष्कर्म के आरोपी की बजाए दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ दर्ज कर दिया FIR

CG News: छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा के कवर्धा जिले में दुष्कर्म की शिकार महिला थाने से लेकर एसपी दफ्तर तक चक्कर लगाकर न्याय की भीख मांग रही है। कानून के जानकारों का कहना है आरोपी चाहे कितना भी पहुंच वाला क्यों न हो, कोई महिला अगर दुष्कर्म की रिपोर्ट लिखाने थाने आती है तो तुरंत मुकदमा दर्ज होना चाहिए। खबर के नीचे देखिए...दुष्कर्म पीड़िता का आवेदन और उसके आवेदन देने के पांच महीने बाद पीड़िता के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कॉपी....

CG News: गृह मंत्री के जिले में पुलिस का तालिबानी कानूनः दुष्कर्म के आरोपी की बजाए दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ दर्ज कर दिया FIR
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By Radhakishan Sharma

CG News: रायपुर, कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में पुलिस का उल्टा कानून चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि दुष्कर्म के मामले में सबसे पहले एफआईआर दर्ज करें, फिर उसके बाद उसकी विवेचना की जाए। मगर कवर्धा में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है। आलम यह है कि एक दुष्कर्म पीड़िता 16 महीने से रिपोर्ट दर्ज कराने पुलिस थानों से लेकर बड़े अधिकारियों के चौखटों पर ठोकरें खा रही, मगर उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही।

महिला का आरोप है कि कोर्ट में एक सिविल केस के दौरान उनकी एक अधिवक्ता से संपर्क हुआ। जान-पहचान होने के बाद अधिवक्ता ने उन्हें अपने जाल में फंसाकर दैहिक शोषण किया। महिला ने अपने लिखित शिकायत में घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया है।

दुष्कर्म पीड़िता ने अप्रैल 2024 में दुष्कर्म की शिकायत की। इसके पांच महीने बाद सितंबर 2024 में अधिवक्ता ने महिला के खिलाफ ढाई करोड़ की ब्लैकमेलिंग की शिकायत की। अधिवक्ता की शिकायत पर पुलिस ने दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कर लिया।

उधर, पुलिस सूत्रों का कहना है कि अब दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश करने का प्रेशर बनाया जा रहा है। ताकि, कोर्ट के निर्देश पर महिला की गिरफ्तारी हो जाए। हालांकि, इस मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। अगर महिला ने वाकई अधिवक्ता को ब्लैकमेल करने का प्रयास किया तो एक साल पहले उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद अभी तक उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। फिर, दुष्कर्म की घटना की शिकायत के पांच महीने बाद एफआईआर क्यों किया गया।

क्या कहती हैं हाई कोर्ट की महिला वकील.

नीचे देखिए...दुष्कर्म पीड़िता का आवेदन और उसके खिलाफ दर्ज ब्लैकमेलिंग का एफआईआर




पीड़िता ने थाने से लेकर एसपी तक की शिकायत,अब भी भटक रही न्याय के लिए

पीड़िता ने थाने और एसपी को लिखी शिकायत में बताई है कि अधिवक्ता ने उसके साथ बीते एक साल तक दबाव बनाकर दुष्कर्म करता रहा। मना करने पर मामला नहीं लड़ने की धमकी भी देता था। पीड़िता की शिकायत में यह भी लिखा है कि अधिवक्ता उसे बर्बाद करने की धमकी भी देता था। यह भी कहता था कि मेरे अलावा कौन वकील मामला लड़ता है यह भी देख लूंगा। कबीरधाम एसपी को पीड़िता ने कुछ इस तरह चिट्ठी लिखी है।

वर्ष 2021 के अगस्त माह में दीवानी मामला प्रस्तुत करने कवर्धा के अधिवक्ता से मेरी मुलाकात हुई। अधिवकता कवर्धा के न्यायालय में लंबित हमारे सभी मामले लड़ते थे। उसने अपने मो.नंबर से मेरे मो.नंबर में काल कर मामले से संबंधित सामान्य बातचीत करते थे।

मई 2022 से वकील ने मेरे मोबाइल में अश्लील मैसेज भेजने के साथ ही अश्लील चैट करने लगे। मैंने मना भी किया। पर वे नहीं माने और वह लगातार यह सब करते रहे। मेरी पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जमीन जायदाद के मामले कोर्ट में चले रहे थे। मैं अपनी मां के साथ रहती थी। इसी बीच मां की मृत्यु हो गई। मां के चली जाने के बाद मेरी मदद करने वाला कोई नहीं थी। बिलकुल अकेली हो गई। मामले के सिलसिले में वकील के बुलाने पर उसके आफिस गई। घर के ही एक हिस्से में वकील का आफिस है। मुझे जबरन रोके रखते थे। सभी के जाने के बाद मेरे शरीर को छूते थे। मना करने पर धमकाते थे। एक दिन मुकदमे के संंबंध जरुरी बात करने के बहाने मुझे आफिस बुलाया। जब पहुंची तब कोई नहीं था। मुझे जबरिया उठाकर अपने बेड रूम में ले गए और दुष्कर्म किया। जनवरी 2023 तक मेरे साथ दुष्कर्म करते रहे। जब मैं मना करती और सबको बताने की बात कहती तब वे मुझे धमकाते थे,बर्बाद करने की धमकी देते थे।

कार्रवाई की मांग की, पुलिस ने कुछ किया ही नहीं

पीड़िता का कहना है कि पुलिस थाने के अलावा एसपी को भी लिखित शिकायत कर अपनी पीड़ा बताई, आरोपी अधिवक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की गुहार भी लगाई, पुलिस ने कुछ किया ही नहीं। पीड़िता का कहना है कि अधिवक्ता की फर्जी शिकायत पर पुलिस ने मेरे ही खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया है।


बिलासपुर हाई कोर्ट की अधिवक्ता मीना शास्त्री का कहना है कि संज्ञेय अपराध में पुलिस को सीधे एफआईआर करनी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अधिवक्ता शास्त्री ने कहा कि ललिता कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय संविधान पीठ का यह फैसला है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हर हाल में पालन करना होगा। दुष्कर्म का अपराध संज्ञेय अपराध है, इसमें पुलिस को तत्काल एफआईआर करनी है। अधिवक्ता शास्त्री ने बताया कि पुलिस अगर कार्रवाई नहीं करती है तो दो फोरम में पीड़िता शिकायत दर्ज करा सकती है। मजिस्ट्रेट के कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इसके अलावा हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज कर न्याय की गुहार लगा सकती हैं।

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