CG News: छत्तीसगढ़ में मखाना: अब सुपरफूड मखाना की खेती करेंगे किसान, धमतरी जिले की जलवायु और मिट्टी अनुकूल, कलेक्टर की कोशिश रंग ला रही
CG News: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले अब सुगंधित चावल के लिए ही नहीं, बल्कि मखाना के लिए जाना जाएगा। जिले के किसान अब मखाने की व्यवसायिक खेती करेंगे। सुपरफूड मखाना के लिए धमतरी जिले की मिट्टी व जलवायु अच्छी है। मखाना की व्यवसायिक खेती के लिए जिला प्रशासन ने कार्ययेाजना बनाई है। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक किसानों को कमर्शियल फार्मिंग में मदद करेंगे। धमतरी कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने कार्ययोजना बना ली है। विदित है, मखाना पोषक तत्वों से भरपूर एक सुपरफूड है, जो प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होता है।

CG News: रायपुर। फसल चक्र परिवर्तन की दिशा में छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के किसान आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश के लिए रोल माडल के रूप में सामने आने वाले हैं। यहां के किसानों ने कमर्शियल फार्मिंग की ओर कदम बढ़ा दिया है। सुपरफूड के नाम से जाने जाने वाले मखाना की खेती करेंगे। यह पूरी तरह व्यवसायिक स्तर पर होगा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अलावा धमतरी जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों की मदद करेंगे। तकनीक के मदद से किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में इसे बढ़ा कदम माना जा रहा है।
खास बात ये है कि धमतरी जिले की मिट्टी व जलवायु मखाना की व्यवसायिक खेती के लिए उपयुक्त है। कृषि वैज्ञानिकों ने हर स्तर पर इसका परीक्षण कर लिया है। परीक्षण और मिट्टी के नमूनों की जांच के बाद वैज्ञानिकों ने जिले की मिट्टी को मखाना की व्यवसायिक खेती के लिए बेहतर बताया है। खास बात ये कि यहां की जलवायु भी कमर्शियल फार्मिंग के लिए अनुकूल है। जिले के कलेक्टर ने कमर्शियल फार्मिंग करने वाले किसानों को मदद करने और पूरी कार्ययोजना बनाने के कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को दिया है। धमतरी कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक, नाबार्ड और नैफेड के अधिकारियों के साथ बैठक की है। बैठक में कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर भी मौजूद रहे।
कृषि वैज्ञानिक चंद्राकर ने कहा: जिले का मौसम पूरी तरह अनुकूल
कृषि वैज्ञानिक डॉ. चंद्राकर ने धमतरी जिले के मौसम और यहां की मिट्टी को मखाने की खेती के लिए उपयुक्त बताया। जिले में मखाना उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए बड़े पैमाने पर इसकी खेती के लिए किसानों को तैयार करने पर जोर दिया। कलेक्टर ने मखाने की खेती की पूरी जानकारी ली। उन्होंने मखाने की खेती के लिए किसानों का चयन करने की जिम्मेदारी कृषि, उद्यानिकी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और मछलीपालन विभाग के अफसरों को दी।
किसानों को देंगे निशुल्क प्रशिक्षण
मखाने की खेती करने वाले किसानों को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। मखाने के बीज से लेकर फसल की देखरेख और अच्छे उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिक तकनीकी मार्गदर्शन देंगे । किसानों को इस बारे में देने के लिए मखाने के खेतों का भी भ्रमण कराया जाएगा।
धान की खेती से दोगुना फायदा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. चंद्राकर ने बताया कि धान के बदले मखाना की खेती से किसानों को दो गुना फायदा मिलेगा। एक एकड़ धान की खेती से किसानों को जहां औसतन 75 हजार रुपए का फायदा मिलता है, वहीं एक एकड़ में मखाना की खेती से औसतन डेढ़ लाख तक का लाभ मिल सकता है। मखाने की फसल 6 महीने की अवधि की होती है। यह फसल एक फीट से लेकर डेढ़ फीट तक के पानी से भरे खेत में ली जाती है। एक एकड़ रकबे में लगभग 4 हजार पौधे रोपकर औसतन 10 क्विंटल उत्पादन ले सकते हैं।
मखाना की खेती के लिए ऐसी जलवायु जरुरी
मखाना की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है, जिसमें 20°C से 35°C के बीच तापमान और 1000 मिमी से 1500 मिमी वार्षिक वर्षा आदर्श मानी जाती है. इसके लिए तालाब या अन्य जल स्रोतों की आवश्यकता होती है, जहां पानी 1 से 1.5 मीटर की गहराई तक जमा रह सके।
मिट्टी Soil: मखाना की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी गहरी, बलुई और चिकनी होती है। मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि मखाना जलाशयों या तालाबों में उगता है। मखाना के लिए आदर्श मिट्टी का पीएच स्तर 6.5 से 7.5 तक होता है। ऐसी मिट्टी जिसमें जैविक पदार्थ और पोषक तत्व अधिक होते हैं, मखाना की अच्छी वृद्धि के लिए आवश्यक होती है।
जलवायु Climate: मखाना की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम होती है। यह मुख्य रूप से गर्मियों में उगने वाली फसल है और इसके लिए 20°C-35°C तापमान तक की आवश्यकता होती है। मखाना को पानी और नमी की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे तालाबों, झीलों या जलाशयों में उगाया जाता है। ठंडी जलवायु में इसकी पैदावार कम होती है।
