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CG News: DAP खाद का संकट क्यों? क्या यूक्रेन युद्ध में फंसे किसान, छत्तीसगढ़ के आईएएस ने दिया यह आदेश

CG News: बिलासपुर की सरकारी बैठक में आया रुस-यूक्रेन युद्ध का मसला। खेती के मौसम में किसान हो रहे परेशान। जानिए आईएएस ने क्या कहा

CG News: DAP खाद का संकट क्यों? क्या यूक्रेन युद्ध में फंसे किसान, छत्तीसगढ़ के आईएएस ने दिया यह आदेश
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By Supriya Pandey

CG News: बिलासपुर। रुस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से भला छत्तीसगढ़ के आईएएस को क्या वास्ता हो सकता है? आपको जानकर ताज्जुब होगा कि बिलासपुर के संभाग कमिश्रर को इस पर सरकारी बैठक में न केवल चर्चा करनी पड़ी, बल्कि समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों को दिशा- निर्देश भी देने पड़े। मौका था संभागीय जल उपयोगिता समिति की बैठक का। इस बैठक में कमिश्रर सुनील जैन के अलावा बिलासपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल व संभाग के सभी कलेक्टर शामिल हुए। साथ ही विधायक जांजगीर व्यास कश्यप, विधायक रामपुर फूल सिंह राठिया भी मौजूद थे।

दरअसल, बैठक में यह बात सामने आई कि खेती- किसानी के सीजन में डीएपी खाद का संकट पैदा हो गया है। इसकी पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है। बैठक में चर्चा की गई कि यूक्रेन युद्ध के कारण पूरे देश में डीएपी की कम आपूर्ति हुई है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में भी पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने से किसानों को यह खाद नहीं मिल रही है। चर्चा के बाद कमिश्रर ने इनके विकल्प के रूप में अनुशंसित खाद के उपयोग के संबंध में जागरूकता व इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। डीएपी के विकल्प के तौर पर यूरिया, सुपरफास्फेट एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश उपलब्ध है। विकल्प खाद के मिश्रण की कीमत लगभग डीएपी के बराबर बैठ रही है। कमिश्नर ने डबल लॉक केन्द्रों से जल्दी से जल्दी सोसायटिओं में खाद भेजने को कहा है। उन्होंने कहा कि खेती किसानी का यह चरम समय चल रहा है। आपूर्ति में जरा भी लापरवाहीं बर्दाश्त नहीं की जायेगी।

युद्ध ने बढ़ा दी लागत-

आपको बता दें कि खाद की ज्यादा आपूर्ति यूक्रेन और रुस से ही होती रही है। दोनों देशों में लंबे समय से युद्ध चला आ रहा है। इस कारण डीएपी यानी डायमोनियम फॉस्फेट खाद की वहां से पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो सकी है। भारत डीएपी के लिए आयात पर ही निर्भर है। आयात में देरी भी हुई और युद्ध से समुद्री मार्ग में बाधा के कारण लागत भी बढ़ गई। जाहिर है, इस बार किसानों को महंगे रेट पर डीएपी खरीदना पड़ गया। अफवाह के कारण भी किसानों ने ज्यादा डीएपी स्टॉक कर दिया, इससे संकट गहरा गया है। विकल्प के रूप में नैनो यूरिया ओर नैनो डीएपी का उपयोग करने की सलाह किसानों को दी जा रही है।

सावन में भर गए बांध-

बैठक में सिंचाई जलाशयों में जलभराव एवं फसलों के ताजा हालात की समीक्षा की गई। गत वर्षों की तुलना में इस साल पर्याप्त वर्षा होने के कारण खेती किसानी के काम सुचारू रूप से चल रहे हैं। किसानों की ओर से कहीं से भी जलाशयों से कृषि कार्य के लिए पानी छोडऩे की मांग नहीं आई है। मिनी माता हसदेव बांगों परियोजना में 74 प्रतिशत, खारंग जलाशय में 110 प्रतिशत, मनियारी जलाशय में 109 प्रतिशत, अरपा भैंसाझार निर्माणाधीन बैराज में 20 प्रतिशत और केलो परियोजना निर्माणाधीन में 49 प्रतिशत जलभराव है। मध्यम परियोजना के अंतर्गत घोंघा जलाशय में 102 प्रतिशत, केदार जलाशय में 75 प्रतिशत, पुटका जलाशय में 60 प्रतिशत, किंकारी जलाशय में 96 प्रतिशत और खम्हार पाकुर जलाशय में 100 प्रतिशत जल भराव है। संभाग के अंतर्गत 621 लघु जलाशय हैं। जिनमें औसत रूप से 82 प्रतिशत जल भरा हुआ है।

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