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CG News: CG: दलबदल करने वालों को जनता ने नहीं किया माफ, छत्तीसगढ़ की राजनीति में वह पहला और आखिरी प्रयोग साबित हुआ

रायपुर। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के परिप्रेक्ष्य में राजनीतिक लाभ-हानि के बजाय राज्य के दो करोड़ लोगों की भावनाओं का ख्याल रखा। जब राज्य निर्माण का लिया तब वे भलीभांति जानते थे कि छत्तीसगढ़ में पहली सरकार कांग्रेस की बनेगी। मध्य प्रदेश विधानसभा में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायकों की संख्या भाजपा से अधिक थी। सियासी लाभ-हानि का परवाह किए बगैर अटलजी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की घोषणा कर दी। नए राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव स्व अजीत जोगी को मिला। तीन साल सत्ता चलाई।

CG News: CG: दलबदल करने वालों को जनता ने नहीं किया माफ, छत्तीसगढ़ की राजनीति में वह पहला और आखिरी प्रयोग साबित हुआ
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By Chitrsen Sahu

रायपुर। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के परिप्रेक्ष्य में राजनीतिक लाभ-हानि के बजाय राज्य के दो करोड़ लोगों की भावनाओं का ख्याल रखा। जब राज्य निर्माण का लिया तब वे भलीभांति जानते थे कि छत्तीसगढ़ में पहली सरकार कांग्रेस की बनेगी। मध्य प्रदेश विधानसभा में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायकों की संख्या भाजपा से अधिक थी। सियासी लाभ-हानि का परवाह किए बगैर अटलजी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की घोषणा कर दी। नए राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव स्व अजीत जोगी को मिला। तीन साल सत्ता चलाई।

मौजूदा राजनीतिक कारणों के चलते कांग्रेस चुनाव हार गई। यह भाजपा के लिए टर्निंग पाइंट से कम नहीं था। राज्य की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। सीएम की कुर्सी पर डा रमन सिंह बैठे। डेढ़ दशक तक सरकार चलाई। इस बीच पूरे डेढ़ दशक तक कांग्रेस सत्ता से बाहर रही। या ऐसा भी कह सकते हैं कि कांग्रेस ने लंबा वनवास भोगा है।

एक नवंबर को छत्तीसगढ़ 25 बसर का हो जाएगा। 25 साल के युवा छत्तीसगढ़ से देश को विकास की असीम संभावनाएं भी है। भौगोलिक दृष्टिकोण से कहें या फिर खनिज संसाधनों की प्रचुरता दोनों की नजरिए से छत्तीसगढ़ समृद्ध है। छत्तीसगढ़ महतारी संसाधनों से भरापूरा है। प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही खनिज संसाधनों के मामले में हम बेहद समृद्ध। यही कारण है कि इस छोटे से और युवा राज्य में विकास की असीम संभावनाएं छिपी हुई है।

यह अच्छी बात है कि देश के अन्य छोटे राज्यों की तुलना में यहां राजनीतिक अस्थिरता भी नहीं है। राज्य की मतदाता परिपवक्त और बेहद समझदार। सरकार चलाने और योजनाओं को संचालित करने के लिए जिस दल को सत्ता सौंपती है उसे पूर्ण बहुमत के साथ। यही कारण है क इन 25 सालों में राजनीतिक अस्थिरता का भाव नजर नहीं आया। अलबत्ता शुरुआत दिनों को छोड़ दें तो। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जाेगी ने एक दर्जन से अधिक विधायकों को दलबदल कर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। यहां के राजनेताओं और लोगों के लिए यह अपनी तरह का पहला और नया अनुभव था।

दलदबल करने वालों के लिए आने वाला चुनाव कड़वा अनुभव के समान ही रहा। मतदाताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता नहीं बन पाई। मौजूदा राजनीतिक परिवेश में स्थापित भी नहीं हो पाए। इस तरह की कोशिश छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिए पहली और आखिरी साबित हुई। कड़वे अनुभव के बाद ना तो नेताओं ने और ना ही विधायकों ने इस तरह का सियासी जोखिम उठाने की कोशिश की।

दल तोड़ने का खामियाजा जोगी को भी भुगतना पड़ा

मुख्यमंत्री रहते अजीत जोगी ने भाजपा को तोड़ने की कोशिश की। दलदबल के बाद भी राजनीतक पंडित यह मानकर चल रहे थे कि आने वाले चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इस तरह की पहली घटना थी। मतदाताओं से लेकर राजनेताओं और कार्यकर्ताओं सभी के लिए एकदम नया और अनूठा। तब राजनीतिक पंडित भी यह अनुमान नहीं लगा पाए कि जनता जनार्दन के मन में क्या है। राजनीतिक अस्थिरता वाली इस घटना से चुप और शांत रहने वाली मतदाता मतदान के बीच मुखर हो गई। गुस्सा इतना कि सरकार को ही पलट दिया। 2008 का वह विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ की राजनीति में नई सुबह लेकर आई। राज्य की सत्ता पर भाजपा काबिज हो गई।

तीन साल के छत्तीसगढ़ में जो घटनाएं घटी और जैसी राजनीति चली, मतदाताओं ने यह बता दिया कि उसे इस तरह की राजनीति पसंद नहीं और ना ही उसे स्वीकार्य करेंगे। जनता के मन में कांग्रेस की जो छवि बनी उसे मिटाने में कांग्रेस के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को पूरे डेढ़ दशक लग गए। 15 साल वनवास की सजा देने के बाद छत्तीसगढ़ की जनता ने 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस को सरकार चलाने का अवसर दिया। वह भी पूर्ण बहुमत के साथ। जिस धूमधाम के साथ कांग्रेस आई पांच साल में ही सत्ता से बाहर हो गई। उस दौर में क्या कुछ हुआ सभी भलीभांति जान और समझ रहे हैं।

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