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CG News: कांग्रेस का उल्टा चश्मा: जिन पुराने जिला अध्यक्षों को बदलने की बात, उन्हें ही मंडल चुनाव की जिम्मेदारी

CG News: पुराने और जमे जिला अध्यक्षों पर ही पार्टी मेहरबान कांग्रेस में सृजन अभियान चल रहा है। इसमें जिला अध्यक्षों को बदलने की बात कही गई है और अब उन्हीं के कंधों के सहारे ब्लाक स्तर पर चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत की जा रही है। ऐसे में राहुल गांधी की नई कांग्रेस का सपना कैसे होगा साकार।

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Bihar Congress Observer List

By Supriya Pandey

CG News: रायपुर। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पुराने, जमे और निष्क्रिय कांग्रेसियों को हटा कर नई कांग्रेस का सपना देखा है। इसके लिए पार्टी ने देशभर में सृजन अभियान की शुरुआत कर दी है। छत्तीसगढ़ में भी संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है, मगर शुरुआत ही ऐसी है कि कांग्रेस में उल्टी गंगा बहती दिख रही है। जिस तरह का सिस्टम बनाया गया है, उससे चुनाव में पद के दावेदार को ही चुनाव प्रक्रिया का जिम्मा दे दिया गया है। पार्टी के भीतर इस पर खासी चर्चा हो रही है। नए सिस्टम में मंडल अध्यक्ष पावरफुल हो जाएंगे, इसलिए इस पद पर ज्यादा मारामारी हो रही है। मंडल अध्यक्ष के अंदर शहरों के चार या पांच वार्ड आ जाएंगे। जाहिर है, पुराने जिला अध्यक्ष के जरिए ही जोड़- तोड़ चल रही है।

रायपुर और बिलासपुर सहित कई जिलों में पुराने अध्यक्ष बैठे हुए हैं। इन्हें हटा कर नई नियुक्ति की जाएगी, ऐसा माना जा रहा है। जबकि दुर्ग, रायगढ़, सरगुजा, मुंगेली समेत कुछ जिलों में नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है, इन्हें नहीं बदला जाएगा। पार्टी ने एक सप्ताह पहले सभी जिलों के लिए सेक्टरवार प्रभारी बनाया गया है, मतलब चुनाव के लिए यही पर्यवेक्षक की भूमिका में रहेंगे। इनमें ज्यादातर पूर्व मंत्री या वरिष्ठ विधायक शामिल हैं। पार्टी ने इनके लिए कोई शेड्यूल नहीं दिया है और लक्ष्य है कि अगस्त में जिलों में जाकर प्रक्रिया पूरी करवा लें। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसमें भी खेल हो गया है। जिलों में अध्यक्ष के दावेदारों में से ज्यादातर ने अपनी पसंद का पर्यवेक्षक नियुक्त करवा लिया है। अब यही पर्यवेक्षक जिलों में वर्तमान अध्यक्षों के जरिए ही चुनाव प्रक्रिया यानी योग्य प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं।

जिस अध्यक्ष को बदलना है उससे ब्लाक का काम-

कांग्रेस में जिन जिला अध्यक्षों को हटाने का संकेत दिया है, पर्यवेक्षक अब उन्हीं के माध्यम से ब्लाक कांग्रेस में अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का काम कर रहे हैं। ऐसे में तो साफ है कि ब्लाक अध्यक्ष भी वर्तमान जिला अध्यक्ष की पसंद से चुना जा सकता है या पैनल बनाने में जिला अध्यक्ष अपनी मनमानी कर सकते हैं।

पूरी प्रक्रिया ही उल्टी-

कांग्रेस में यह सब गड़बड़ी इसलिए हो रही है, क्योंकि प्रक्रिया ही उल्टी चल रही है। पहले प्रदेश स्तर पर संभावित फेरबदल को अंजाम दिया जाना था। उसके बाद जिला अध्यक्ष बदल दिए जाते। नए जिला अध्यक्ष होने से ब्लाक स्तर पर संगठन चुनाव की प्रक्रिया पर किसी तरह का संदेह या पक्षपात की गुंजाइश ही खत्म हो जाती। पुराने पदाधिकारी ही निचले स्तर पर चुनाव करवाएंगे और पर्यवेक्षक भी इनके भरोसे हों तो फिर विवाद की स्थिति तो बनेगी ही।

रायपुर और बिलासपुर में सबसे ज्यादा गुटबाजी-

छत्तीसगढ़ मेंं रायपुर और बिलासपुर में शहर व ग्रामीण जिला अध्यक्ष के चुनाव में सबसे ज्यादा गुटबाजी देखने को मिल रही है। रायपुर का विवाद तो आर्थिक नाकेबंदी के दिन सडक़ पर आ चुका है। बिलासपुर में अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर चुन- चुन कर निशाना बनाया गया था, वह भी जगजाहिर है। बिलासपुर में सेक्टर यानी वार्ड स्तर और उससे ऊपर मंडल स्तर पर चयन प्रक्रिया अंतिम दौर में चल रही है।

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